Politalks.News/Bharat. प्रसिद्ध चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच मंगलवार को हुई लम्बी मुलाकात को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है. 2 घण्टे से ज्यादा लम्बी चली इस मुलाकात को लेकर एक के बाद एक कई बड़ी बातें निकल कर सामने आ रही हैं. पीके और गांधी परिवार की मुलाकात को लेकर सबसे बड़ी जो खबर सामने आ रही वो यह कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की तरफ से एनसीपी प्रमुख शरद पवार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है. बताया जा रहा है कि पीके ने पहले शरद पवार से इस बारे में बात की उसके बाद कांग्रेस के तीनों दिग्गज सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी के साथ बैठक कर यह प्रस्ताव रखा है.
दरअसल, मंगलवार शाम को प्रशांत किशोर ने राजधानी दिल्ली स्थित राहुल गांधी के आवास पर राहुक, प्रियंका और सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. हालांकि राहुल और प्रियंका वहां मौजूद थे जबकि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी वर्चुअली इस बैठक में शामिल हुई थीं. पीके और गांधी परिवार की मुलाकात को लेकर पहले खबरें आ रहीं थीं यह मीटिंग पंजाब कांग्रेस में जारी कलह को खत्म करने या आने वाले समय में 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर की गई थी. देर रात तक यह खबर भी आई कि इस बैठक के जरिए कांग्रेस 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है, जिसकी रणनीति बंगाल में ममता बनर्जी को ऐतिहासिक जीत दिलवाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर करेंगे.
पवार हो सकते हैं विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार !
अब नई बात सामने आई है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि बैठक के दौरान इन मुद्दों के साथ आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा की गई है. इस दौरान उम्मीदवार के तौर पर विपक्षी दलों की पसंद के रूप में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार का नाम सामने आया है. खास बात यह है कि हाल ही में पीके ने दो बार पवार से उनके आवास पर मुलाकात की थी. उस दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि देश के विपक्षी दल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ नए सियासी समीकरण या तीसरे मोर्चे की तैयारी कर रहे हैं.
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कोरोना की दूसरी लहर के थमते ही राजनीतिक भागदौड़ शुरू!
कोरोना संकट से इतर अब देश में राजनीतिक घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहा है. अगले साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ राष्ट्रपति चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी हलचल शुरू हो गई है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मंगलवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ हुई मुलाकात इसी कड़ी का एक अहम हिस्सा है. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर पूरे देश के विपक्ष को मोदी के खिलाफ साधने में लगे हैं. कोशिश है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार को अगले राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा सके. बता दें कि साल 2022 में ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा होगा. ऐसे में देश को एक नए राष्ट्रपति की तलाश होगी.
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क्या यहबहै पीके का विपक्ष को एकजुट करने का सूत्र?
प्रशांत किशोर की सियासी गणित के मुताबिक, अगर पूरा विपक्ष एकजुट होता है तो इलेक्टोरल कॉलेज के मामले में मोदी सरकार के सामने उसे मजबूती मिलेगी. साथ ही अगर विपक्षी पार्टियों के साथ बीजेडी के नवीन पटनायक आते हैं, तो ये राह आसान होगी. क्योंकि महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में इस वक्त विपक्षी पार्टियों की सरकार है, ऐसे में यहां से बड़े नंबर मिलने की आस है. सिर्फ ओडिशा ही एक ग्रे एरिया है, जहां नवीन पटनायक पूरी तरह से विपक्षी खेमे में खड़े हुए नहीं दिखाए हैं. सूत्रों की माने, तो इस मसले पर प्रशांत किशोर ने नवीन पटनायक, एमके स्टालिन से भी मुलाकात की है. हालांकि, इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आई थी.
पीके ने कांग्रेस को बताया पूरा प्लान!
मंगलवार को प्रशांत किशोर की राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के साथ हुई बैठक को विपक्ष के बीच जमी बर्फ को पिघलाने वाली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है. राहुल गांधी और प्रशांत किशोर की ये मुलाकात दो घंटे से अधिक वक्त तक चली. पीके का मानना है कि अगर विपक्ष एकजुट होता है तो बीजेपी और मोदी के गेम प्लान को चौपट किया जा सकता है, और लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका होगा. ऐसे में 2024 के चुनाव से पहले ये फायदेमंद होगा.
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दिग्गजों की चुनावी रणनीति की कमान संभाल चुके हैं पीके
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर के ममता बनर्जी, जगन रेड्डी, अरविंद केजरीवाल, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे समेत अन्य नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं. ऐसे में इन्हें साथलाने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी, लेकिन कांग्रेस को साथ लाना भी ज़रूरी है. मंगलवार को हुई बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी रहे और माना जा रहा है कि सोनिया गांधी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया. प्रशांत किशोर की ओर से कांग्रेस लीडरशिप को एक प्रेजेंटेशन दी गई, जिसमें कांग्रेस को विभिन्न राज्यों की स्थिति
को लेकर समझाया गया.
राहुल से 5 साल बाद हुई थी मुलाकात
2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के असफल होने के पांच साल बाद राहुल और किशोर की मुलाकात हुई थी. इस लिहाज से भी बैठक को काफी अहम माना जा रहा था. समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ रही कांग्रेस का ‘यूपी की लड़की’ का नारा फेल हो गया था और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद किशोर ने कहा था, ‘यह होना ही था’. उन्होंने कांग्रेस के काम करने के तरीके पर सवाल उठाया था. साथ ही पार्टी को जिद्दी और अहंकारी बताया था. किशोर ने यह तक कह दिया था कि भविष्य में कांग्रेस के साथ काम करने का कोई सवाल नहीं उठता, लेकिन वे प्रियंका गांधी के संपर्क में बने रहेंगे.
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कुछ ज्यादा ही बड़ा है पीके का प्लान!
सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार के साथ प्रशांत किशोर की मुलाकात जरूरी नहीं कि किसी राज्य विशेष के लिए हो, बल्कि किसी ”बड़ी रणनीति‘ का हिस्सा हो सकती है. इस मीटिंग में आने वाले समय में होने वाले विधानसभा चुनावों औऱ साथ ही 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी मंथन हुआ. प्रशांत किशोर ने इससे पहले 2024 में भाजपा से मुकाबला करने के लिए एक नए मोर्चे की अटकलों के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी. दोनों ने कहा है कि कांग्रेस के बिना भाजपा के खिलाफ कोई गठबंधन नहीं हो सकता है. शिवसेना ने भी दोनों को यहीं राय दी थी कि अगर मोदी को मात देनी है तो शरद पवार और राहुल गांधी को हाथ मिलाना पड़ेगा
पंजाब क्राइसिस भी खत्म होने के आसार !
साथ ही सूत्रों की माने तो प्रशांत किशोर और राहुल गांधी की मुलाकात के दौरान पंजाब विवाद सुलझाने और नवजोत सिंह सिद्धू की भूमिका को लेकर इस बैठक में चर्चा हुई है. बताया जा रहा है कि सिद्धू की भूमिका को लेकर अगले दो दिन में फैसला होने की उम्मीद है. प्रशांत किशोर, अमरिंदर सिंह के सलाहकार हैं. इस बैठक में प्रशांत के साथ प्रियंका गांधी, हरीश रावत और पार्टी के संगठन महासचिव वेणुगोपाल भी मौजूद थे. पंजाब का संकट सुलझाने और सिद्धू की भूमिका तय करने के लिए आख़िरी दौर की बात चल रही है और कांग्रेस का दावा है कि अगले 4 दिन में सिद्धू की भूमिका तय हो जाएगी.
पंजाब फॉर्मूला तय करने के लिए प्रशांत किशोर की उपस्थिति में राहुल और प्रियंका दोनों ने चर्चा की. सूत्रों के मुताबिक अमरिंदर सिंह की सिद्धू को अध्यक्ष न बनाए जाने की मंशा को प्रशांत किशोर ने आलाकमान को बता दिया है. सिद्धू को उप-मुख्यमंत्री और कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने पर अमरिंदर सिंह को कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन उनके साथ 2 और उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की बात है जिसमें से एक दलित होगा प्रशांत किशोर ने कैप्टन खेमे के किसी हिंदू को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग के फायदे भी कांग्रेस नेतृत्व को समझाए. सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना राहुल गांधी और प्रियंका तलाश रहे थे और ये विकल्प अब भी मौजूद है, बस अमरिंदर सिंह का इस पर राजी होना बाकी है.