PoliTalks.News/Rajasthan. प्रदेश में चल रहे राजनीतिक घमासान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी के आगे सचिन पायलट व उनके खेमे की चिंताए बढती जा रही है. मंगलवार को पार्टी आलाकमान ने जहां सचिन पायलट व उनके खेमे के विधायकों को मंत्री व संगठन के पद से हटा दिया. वहीं मंगलवार देर रात पायलट सहित उनके खेमे के 19 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने नोटिस जारी कर पार्टी व्हिप के उल्लंघन पर जवाब मांगा है.
कांग्रेस ने अब सचिन पायलट सहित उनके समर्थक 19 विधायकों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कांग्रेस की ओर से जारी व्हिप के बावजूद सोमवार व मंगलवार को विधायक दल की बैठक में पायलट व उनके खेमे के विधायकों के शामिल नहीं होने पर मुख्य सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पायलट सहित उनके खेमे के 19 विधायकों को नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा है. जवाब नहीं देने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं.
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विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी किए नोटिस में विधायकों से पूछा गया है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और कांग्रेस विधायकों की दो बैठकों में शामिल नहीं होने पर उन्हें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए? अब पायलट व उनके खेमे के विधायकों को व्यक्तिगत रूप से सफाई देनी होगी. विधायकों द्वारा नोटिस का जवाब नहीें देने पर विधायकों की सदस्यता रद्द की जा सकती है. इसके साथ ही ऐसे विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव के लिए उपयुक्त उम्मीदवार की खोज शुरू होगी.
विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों को जारी नोटिस बीती उनके घरों पर भिजवाए गए. कई विधायकों के परिजनों द्वारा जब नोटिस नहीं लिया गया तो उनके घर पर नोटिस चस्पा कर दिया गया. इसके साथ ही विधायकों को ई मेल व वाटसअप के द्वारा भी नोटिस की प्रति भेजी गई है. इस नोटिस में यह भी लिखा गया है कि इस नोटिस के संबंध में लिखित जवाब नहीं दिया गया तो इस संबंध में सुनवाई और उसका निस्तारण एकपक्षीय कर दिया जाएगा.
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सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को जारी इस नोटिस का जवाब नहीं देने पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी विधायकों की सदस्यता को रदद कर सकते है. सूत्रों की माने तो इस नोटिस को लेकर सचिन पायलट का कहना है कि विधायक दल की बैठक ना तो विधानसभा में हुई थी ना ही पार्टी कार्यालय में ऐसे में जारी व्हिप का कोई मतलब नहीं था. ऐसे में पायलट अब अदालत की शरण में भी जा सकते है. लेकिन अदालत यह मामला जाता है तो यह केस बहुत लंबा खिंच सकता है जो कि सीएम गहलोत के खेमे के लिए अच्छा होगा.
बता दें, अगर पायलट सहित 19 विधायक नोटिस का जवाब नहीं देते है और उनकी विधानसभा सदस्यता रदद की जाती है तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 181 रह जाएगी. ऐसे में अगर भविष्य में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट भी होता है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बहुमत साबित करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. इस स्थिति में कांग्रेस को सरकार बचाए रखने के लिए महज 92 विधायकों के बहुमत होगी जो कि उनके पास आसानी से है. कांग्रेस खेमे की माने तो उनकी बाडाबंदी में फिलहाल 109 विधायक मौजूद है.