लोकसभा चुनाव में धुंआधार वापसी के बाद एनडीए ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि मोदी लहर आज भी कायम है. देश की राजनीति में सबसे अहम माने जाने वाले राज्य उत्तरप्रदेश पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी. सबसे ज्यादा सीट रखने वाले इस राज्य की सियासी नब्ज को टटोलने में हर कोई लगा हुआ था. तरह-तरह के आंकड़ें भी सामने आ रहे थे लेकिन बीजेपी वहां इस बहुमत के साथ इतिहास रचेगी, ये शायद किसी को अंदाजा नहीं था.
सपा-बसपा और लोकदल के गठबंधन के बावजूद यूपी में एनडीए ने 64 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है. इस प्रचंड जीत के बाद अब सुगबुगाहट तेज हो चुकी है कि उनकी इस टीम में कौन मंत्री बनेगा. साथ ही यहां से चुनाव जीते कई सांसदों की उम्मीदें आसमान छूने लगी हैं. नरेंद्र मोदी कैबिनेट में उत्तरप्रदेश से छह नए मंत्री भी शामिल हो सकते हैं. प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को मिलाकर उत्तरप्रदेश से एक दर्जन से अधिक मंत्री केंद्र सरकार में रहेंगे. इसके लिए अंदर खाने प्रयास भी शुरू हो गए हैं और मोदी की सूची में शामिल होने के लिए हर संभव कोशिश हो रही है.
यह संकेत साफ है कि सरकार में उत्तरप्रदेश को विशेष महत्व मिलेगा क्योंकि यह नरेंद्र मोदी का राज्य है. जातीय संतुलन के साथ क्षेत्रीय समीकरण भी साधे जाएंगे. बीजेपी ने उत्तरप्रदेश में सहयोगी समेत 64 सीटें जीती हैं. 2014 में 73 सीटें जीतने के बाद मोदी सरकार में उत्तरप्रदेश से दर्जनभर मंत्री शामिल किए गए थे. अब जीते हुए मंत्रियों में किसे दोबारा शपथ लेने का मौका मिलेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन कुछ सांसदों की तकदीर का ताला जरूर खुल सकता है. अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पराजित करने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का मंत्रिमंडल में महत्व बढ़ेगा. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को सहेजते हुए रिकॉर्ड जीत दर्ज की है इसलिए उनके महत्व को कमतर नहीं किया जा सकता है.
उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के जातीय समीकरण को ध्वस्त करने और 2022 में आने वाले विधानसभा चुनाव को लक्ष्य करते हुए बीजेपी पिछड़ों और दलितों के बीच कुछ चेहरे जरूर उभारेगी. सहयोगी अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं और अबकी बार उनका कद बढ़ सकता है. कुर्मी बिरादरी पर मजबूत पकड़ बनाएं रखने के लिए आठ बार के सांसद संतोष गंगवार को फिर शामिल किये जाने की संभावना है. पहले भी मोदी सरकार में राज्य मंत्री रह चुके बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को कैबिनेट में जगह मिल सकती है.
योगी सरकार के मंत्री आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल व इलाहाबाद से जीतीं रीता बहुगुणा जोशी, कल्याण सिंह के पुत्र एटा सांसद राजवीर सिंह भी इस दौड़ में हैं. मेनका गांधी और वरुण गांधी में भी किसी एक की ताजपोशी हो सकती है. देवरिया में कलराज मिश्र की सीट पर जीते बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और ब्राह्मणों के बड़े नेता डॉ. रमापति राम त्रिपाठी भी मोदी टीम में शामिल किए जा सकते हैं.
निषाद, कश्यप और बिंद बिरादरी में पकड़ बनाए रखने के लिए साध्वी निरंजन ज्योति की दोबारा ताजपोशी हो सकती है. सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले वीके सिंह, महेश शर्मा, डॉ. सत्यपाल सिंह का दावा फिर बरकरार है. तीन-चार बार के सांसद गोंडा के कीर्तिवर्धन सिंह, फैजाबाद के लल्लू सिंह, बलिया के वीरेंद्र सिंह मस्त, डुमरियागंज के जगदंबिका पाल और देवेंद्र सिंह भोले में से किसी न किसी को क्षत्रिय समाज के कोटे में मौका मिल सकता है.
दलित वर्ग में कोरी समाज के प्रतिनिधि के रुप में जालौन के भानुप्रताप सिंह की भी पैरवी हो रही है. अबकी बार संचार मंत्री मनोज सिन्हा को छोड़कर बाकी सभी मंत्री चुनाव जीत गए. सिन्हा का भी समायोजन हो सकता है.