भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी आज अपना 69वां जन्मदिवस मना रहे हैं. शायद कम ही लोगों को जानकारी होगी कि परम देशभक्त और हमेशा व्यवहारिक बात करने वाले नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अभी तक देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने वाले पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है. उनके पहले देश के सभी 13 प्रधानमंत्रियों का जन्म परतंत्र भारत में हुआ था. मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले वे 7 अक्तूबर, 2001 से 22 मई, 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मोदी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य हैं. भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस को ‘सेवा सप्ताह’ के रूप में मना रही है.
नरेंद्र मोदी वर्तमान में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं. उन्हें ‘नमो’ नाम से भी जाना जाता है. सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर साढ़े करोड़ से अधिक फॉलोअर हैं. टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है. अपने राजनीतिक गुरू अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेंद्र मोदी एक राजनेता के साथ एक कवि भी हैं और गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएं लिखते हैं.
नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर, 1950 गुजरात के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक गुजराती तेली मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ. वे अपने माता-पिता की 6 संतानों में तीसरी औलाद थे. नरेंद्र मोदी के 5 भाई और एक बहिन है जिसका नाम वासंतीबेन है. मोदी का परिवार ‘मोध-घांची-तेली’ समुदाय से संबंध रखता है जिसे भारत सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. वह पूर्णत: शाकाहारी हैं.
बालक नरेंद्र ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की और बाद में अपना खुद का टी-स्टॉल चलाया. आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से जुड़े और लंबे समय तक बने रहे. बड़नगर के ही एक स्कूल मास्टर के अनुसार ‘नरेंद्र हालांकि एक औसत दर्ज़े का छात्र था, लेकिन वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिताओं में उसकी बेहद रुचि थी. उसकी रुचि राजनीतिक विषयों पर नयी-नयी परियोजनाएं प्रारम्भ करने की भी थी.’ नरेंद्र मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है.
13 वर्ष की आयु में नरेंद्र मोदी की सगाई जसोदाबेन चमनलाल के साथ कर दी गयी और चार वर्ष बाद दोनों का विवाद हुआ. हालांकि उन दोनों के गृहस्थ जीवन में रहने पर विवाद बना हुआ है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, दोनों ने पति-पत्नी के रूप में कुछ वर्ष साथ बिताए लेकिन बाद में वे एक-दूसरे के लिए अजनबी हो गए. वहीं नरेंद्र मोदी के जीवनी-लेखक ऐसा नहीं मानते. उनके अनुसार, ‘दोनों की शादी जरूर हुई परन्तु वे दोनों एक साथ कभी नहीं रहे. शादी के कुछ बरसों बाद नरेन्द्र मोदी ने घर त्याग दिया और एक प्रकार से उनका वैवाहिक जीवन लगभग समाप्त-सा हो गया.’
नरेंद्र मोदी जब विश्वविद्यालय के छात्र थे, तभी से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में नियमित जाने लगे. यही से उनकी राजनीति की पहली पाठशाला का जन्म हुआ. उन्होंने शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलायी और भारतीय जनता पार्टी का जनाधार मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभायी. गुजरात में शंकरसिंह वाघेला का जनाधार मजबूत बनाने में नरेंद्र मोदी की ही रणनीति थी.
अप्रैल, 1990 में जब केन्द्र में मिली जुली सरकारों का दौर शुरू हुआ तब मोदी की मेहनत रंग लायी. गुजरात विधानसभा चुनाव-1997 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली. इसी दौरान दो राष्ट्रीय घटनाएं देश में घटी. पहली घटना थी सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा जिसमें आडवाणी के प्रमुख सारथी की भूमिका में नरेंद्र मोदी का मुख्य सहयोग रहा. इसी प्रकार कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित काश्मीर तक की मुरली मनोहर जोशी की दूसरी रथ यात्रा, जो नरेंद्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई. इसके बाद शंकरसिंह वाघेला ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया, जिसके परिणामस्वरूप केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया गया और नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुला कर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केंद्रीय मंत्री का दायित्व सौंपा गया.
1995 में केंद्रीय मंत्री होने के नाते उन्हें 5 प्रमुख राज्यों में पार्टी संगठन का काम दिया गया, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) का उत्तरदायित्व दिया गया. इस पद पर वह अक्टूबर, 2001 तक काम करते रहे. गुजरात के भुज में 2001 में आए भूकंप के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की छवि और असफल स्वास्थ्य के चलते भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें हटाकर गुजरात के सीएम पद की कमान नरेंद्र मोदी को सौंप दी. वे गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री बने.
नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री का अपना पहला कार्यकाल 7 अक्टूबर, 2001 से शुरू किया। इसके बाद मोदी ने राजकोट विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस पार्टी के आश्विन मेहता को 14,728 मतों से हराया. 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर मानते हुए उनके संचालन की आलोचना भी हुई लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला. इसके बाद मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी की नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेय दिया गया. उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बिठाया.
उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की. एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृह राज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज़ की. लेकिन बाद में उन्होंने अपनी कर्मस्थली के तौर पर वाराणसी को चुना और वडोदरा सीट छोड़ दी. उन्होंने देश के 14वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की. उनके राज में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एवं बुनियादी सुविधाओं पर खर्च तेज़ी से बढ़ा. उन्होंने अफसरशाही में कई सुधार किये तथा योजना आयोग को हटाकर नीति आयोग का गठन किया. अपने शासनकाल में मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अहम और साहसिक फैसलों को अंजाम दिया. साथ ही ‘मन की बात’ प्रोग्राम के जरिए वे देश की जनता से जुड़े और स्वच्छ भारत अभियान एवं शौच मुक्त भारत जैसे अभियान को गति दी.
2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक साढ़े तीन सौ से अधिक लोकसभा सीटों पर कब्जा किया. नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर वाराणसी सीट से बड़े अंतर से जीत दर्ज की. 30 मई, 2019 को उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. उनके खास और करीबी अमित शाह को उन्होंने गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जिसके चलते सदन से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना ऐतिहासिक कदम रहा. इसके अलावा, तीन तलाक बिल को भी सदन से मंजूरी मिली. चंद्रयान-2 मिशन भी एक ऐतिहासिक घटना रही. 70 वर्ष से अधिक उम्र के सांसदों एवं विधायकों को मंत्रिपद न देने का उनका कड़ा निर्णय भी तारीफ के काबिल है.
पिछले 5 सालों के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
फरवरी, 2019: सियोल शांति पुरस्कार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दक्षिण कोरिया में सियोल शांति पुरस्कार 2018 से नवाजा गया. वे इस पुरस्कार को पाने वाले पहले भारतीय और दुनिया के 14वें व्यक्ति हैं.
अप्रैल, 2016: अब्दुलअजीज अल सऊद के आदेश
नरेंद्र मोदी को सउदी अरब के उच्चतम नागरिक सम्मान ‘अब्दुलअजीज अल सऊद के आदेश’ (The Order of Abdulaziz Al Saud) से सम्मानित किया गया है.
जून, 2016: अमीर अमानुल्ला खान अवॉर्ड
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अफगानिस्तान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘अमीर अमानुल्ला खान अवॉर्ड’ से सम्मानित किया.
सितम्बर, 2018: चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह सम्मान अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और एक ही बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक से देश को मुक्त कराने के संकल्प के लिए दिया गया. फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों और नरेंद्र मोदी को संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया.
5 अप्रैल, 2019: ऑर्डर ऑफ जयेद
संयुक्त अरब अमीरात ने अपने देश का ‘ऑर्डर ऑफ जयेद’ नामक सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार प्रदान किया.
12 अप्रैल, 2019: सेंट ऐण्ड्रू ऑर्डर
रूस ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘सेंट ऐण्ड्रू ऑर्डर’ से सम्मानित किया.
इतना ही नहीं, 2016 में विश्व प्रसिद्ध फ़ोर्ब्स पत्रिका में विश्व के शक्तिशाली व्यक्तियों की लिस्ट में नरेंद्र मोदी को में मोदी का 9वां स्थान दिया है.
नरेंद्र मोदी के दूसरे शासनकाल में हालांकि उनकी सरकार आर्थिक मंदी और गिरती अर्थव्यवस्था पर विपक्ष की तरफ से घिरी हुई है, लेकिन ये उनके नेतृत्व का ही करिश्मा है कि उनके सामने सिर उठाने वाले अब सदन में थोड़े ही दिखाई देते हैं. पिछले 70 सालों से देश की राजनीति में नंबर एक पर काबिज रही कांग्रेस पार्टी के सांसदों की संख्या लोकसभा में केवल 51 ही बची हैं. हाल में नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिनों का लेखा—जोखा प्रस्तुत किया. उम्मीद है कि आने वाले पांच सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश तरक्की के शिखर पर पहुंचेगा.