Politalks.News/Bharat/JayaPrada. आज बात करेंगे एक ऐसी अभिनेत्री की जिन्होंने सिनेमा के साथ राजनीति के मैदान में भी अपने आप को स्थापित किया. 80 के दशक में कई सुपरहिट फिल्में देने वाली इस अदाकारा ने सियासत में भी खूब सुर्खियां बटोरीं हैं. हम बात कर रहे हैं मशहूर फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा की, आज जया का जन्मदिन है. आइए जानते हैं उनका कैसा रहा जयाप्रदा का फिल्मी और राजनीति का सफर. जयाप्रदा ने फिल्म इंडस्ट्री में हिंदी के अलावा तेलुगू, तमिल और मलयालम फिल्मों में भी काम किया है. जयाप्रदा का जन्म 3 अप्रैल 1962 को राजमुंदरी, आंध्र प्रदेश में हुआ था. उनका बचपन का नाम ललिता रानी था. उनके पिता कृष्ण राव एक तेलुगु फिल्म फाइनेंसर थे. वे काफी छोटी थीं, तब मां ने उन्हें डांसिंग और म्यूजिक क्लासेस ज्वाइन करवा दी थी. डांस का यही हुनर उन्हें एक्टिंग की दुनिया तक ले गया.
जया ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत महज 14 साल की आयु में तेलुगु फिल्मों से की थी, लेकिन उन्हें असली पहचान बॉलीवुड में आकर ही मिली. जयाप्रदा को बॉलीवुड में लाने का श्रेय निर्माता-निर्देशक के. विश्वनाथ को जाता है जिन्होंने उनके साथ 1979 में सरगम बनाई. इस फिल्म में उनके साथ ऋषि कपूर थे. सरगम फिल्म जबरदस्त हिट रही और वे रातों रात स्टार बन गईं. बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में कभी उनकी गिनती हुआ करती थी. सिनेमा दर्शकों ने अमिताभ बच्चन और जितेंद्र के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की. जयाप्रदा ने अमिताभ बच्चन के साथ शराबी, गंगा जमुना सरस्वती, आखिरी रास्ता, जादूगर, इंद्रजीत और आज का अर्जुन की. उनकी और अमिताभ की फिल्में अधिकतर हिट होती थीं. ऐसे ही जयाप्रदा और जितेंद्र ने 24 फिल्मों में साथ काम किया है. संजोग, मवाली, तोहफा, औलाद, घर-घर की कहानी, मां, थानेदार, ऐसा प्यार कहां आदि फिल्मों में काम किया.
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साल 1986 में जयाप्रदा ने फिल्म निर्माता श्रीकांत नहाटा से शादी की. जया श्रीकांत की दूसरी पत्नी थीं. इससे पहले श्रीकांत ने चंद्रा के साथ शादी की थी, जिनसे उनके तीन बच्चे भी हैं. श्रीकांत और जयाप्रदा की शादी से काफी विवाद भी खड़ा हुआ, क्योंकि उन्होंने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना जयाप्रदा से शादी की थी. लगभग 200 फिल्मों में काम कर चुकी जयाप्रदा ने उसके बाद अपनी राजनीति की पारी शुरू की.
राजनीति के मास्टर अमर सिंह के इर्द-गिर्द घूमता रहा अभिनेत्री जयाप्रदा का सियासी सफर
अभिनेत्री जयाप्रदा की राजनीति समाजवादी नेता दिवंगत अमर सिंह के ही इर्द-गिर्द घूमती रही. हालांकि जयाप्रदा ने राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1994 से की थी. उन्होंने तेलुगु देशम पार्टी से जुड़कर राजनाति में कदम रखा. 1996 में टीडीपी ने जयाप्रदा को राज्यसभा सांसद बनाया. लेकिन जब उन्हें दोबारा राज्यसभा के लिए नामित नहीं किया गया तो वो नाराज हो गईं. इसके बाद जया ने उत्तर भारत की ओर रुख कर उत्तर प्रदेश का राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी को चुना. जयाप्रदा को समाजवादी पार्टी में लाने वाले अमर सिंह थे. साल 2004 में वो समाजवादी से जुड़ीं और रामपुर से सांसद भी रहीं. जयाप्रदा सपा के टिकट पर रामपुर से दो बार लोकसभा सांसद रहीं. पार्टी में बढ़ी अंदरूनी कलह के बाद जया का सफर समाजवादी पार्टी में लंबा न चल सका और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के चलते जयाप्रदा को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.
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समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद अमर सिंह ने राष्ट्रीय लोक दल ज्वाइन कर ली. उसके बाद जयाप्रदा ने भी अमर सिंह का साथ देते हुए साल 2014 में रालोद में आ गई. लेकिन रालोद में जयाप्रदा ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकी. वर्ष 2018 में अमर सिंह की भाजपा से नजदीकियां बढ़ने लगी थी. उसके बाद मार्च 2019 को जयाप्रदा भी भाजपा में शामिल हो गईं. हालांकि जयाप्रदा के लिए पार्टी बदलना कोई पहली बार नहीं है. भाजपा उनकी चौथी पार्टी है जिसमें वो शामिल हुई हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर से बीजेपी के टिकट पर फिर चुनाव लड़ा, लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान से जीत नहीं पाईं.