BSP विधायकों के कांग्रेस में विलय पर मायावती (Mayawati) को जवाब देते हुए राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा कि हमने कभी हॉर्स ट्रेडिंग नहीं की. उक्त सभी विधायकों ने राज्य में एक स्थिर सरकार की चाहत रखते हुए राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में शामिल होने का फैसला किया है. उन्हें कोई प्रलोभन नहीं दिया गया है.
सीएम गहलोत ने कहा कि मैं मायावती जी का रिएक्शन समझ सकता हूं जो स्वाभाविक भी है. लेकिन उनको भी यह समझना पड़ेगा कि यह सरकार में बैठे हुए लोगों ने मैनेज नहीं किया है, कोई प्रलोभन नहीं दिया है. यह हमारे प्रदेश की खूबी है कि हमने कभी हॉर्स ट्रेडिंग नहीं की.
मायावती जी ने जो कहा है, मैं समझता हूं उनका ऐसा रिएक्शन स्वाभाविक है…परंतु उनको यह भी समझना पड़ेगा कि यह सरकार में बैठे हुए लोगों ने मैनेज नहीं किया है, कोई प्रलोभन नहीं दिया है और यह हमारे प्रदेश की खूबी है कि हमने कभी हॉर्स ट्रेडिंग नहीं की है।
1/ pic.twitter.com/YdWGT7tC8V— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 17, 2019
गहलोत ने कहा कि पिछली सरकार में 6 बीएसपी विधायकों ने कांग्रेस ज्वॉइन की थी. आज तक इतिहास में हमने कभी किसी को प्रलोभन नहीं दिया है यह कोई कम बात है क्या? उन्होंने कहा कि अगर ऐसी स्थिति किसी अन्य राज्यों में होती तो बड़े रूप में हॉर्स ट्रेडिंग होती.
पहले भी हम लोग सरकार में थे तब भी बीएसपी के 6 लोग ज्वाइन किए थे, आज तक इतिहास में हमने कभी किसी को प्रलोभन नहीं दिया है यह कोई कम बात है क्या?
और यही हमारे विधायक अगर दूसरे राज्यों में होते तो मैं समझता हूं कि बड़े रूप में हॉर्स ट्रेडिंग होती कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
2/
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 17, 2019
उन्होंने कहा कि विधायकों ने राजस्थान की स्थिति और भावनाएं देखते हुए सोच समझकर ये फैसला लिया है. हमने उन पर कोई दबाव नहीं बनाया.
विधायकों ने राजस्थान की स्थिति देखी, क्षेत्र के लोगों की भावनाएं देखी कि हमें काम करवाने हैं, विकास करवाना है, सरकार के साथ जुड़कर करवा सकते हैं और सरकार भी स्टेबल रहनी चाहिए, यह सोच कर उन्होंने फैसला किया, हमने उन पर कोई दबाव नहीं बनाया,उसके बाद फैसला होना स्वाभाविक फैसला है।
3/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) September 17, 2019
वहीं बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए कांग्रेस को गैर भरोसेमंद और धोखेबाज पार्टी बताया. मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने दूसरी बार उनके साथ विश्वासघात किया है वो भी उस समय जब बीएसपी कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी.
1. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बीएसपी के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है। यह बीएसपी मूवमेन्ट के साथ विश्वासघात है जो दोबारा तब किया गया है जब बीएसपी वहाँ कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी।
— Mayawati (@Mayawati) September 17, 2019
उन्होंने इस मुद्दे को जातिगत मोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस दलित विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है. मायावती ने कांग्रेस पर संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर की विचारधारा विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया. ये अति-दुःखद व शर्मनाक है.
3.कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही। इसी कारण डा अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया। अति-दुःखद व शर्मनाक।
— Mayawati (@Mayawati) September 17, 2019
गौरतलब है कि राजस्थान में बसपा के 6 विधायकों ने सोमवार देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को विलय पत्र पेश किया. इसके बाद राजेन्द्र गुढा (विधायक, उदयपुरवाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (विधायक, नदबई), वाजिब अली (विधायक, नगर), लाखन सिंह मीणा (विधायक, करोली), संदीप यादव (विधायक, तिजारा) और बसपा विधायक दीपचंद खेरिया ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. इसके बाद कांग्रेस के पास विधानसभा में स्वयं का पूर्ण बहुमत हो गया है. इससे पहले उनके पास 100 सीटें थीं जो बढ़कर 106 हो गई हैं.
कांग्रेस की पिछली सत्ता में भी कमोबेश यही स्थिति थी जब 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 96 सीटें ही मिलीं थी. बाहरी विधायकों के समर्थन से अशोक गहलोत ने सरकार तो बना ली लेकिन अल्प बहुमत के चलते सरकार पर हमेशा सत्ता परिवर्तन की तलवार लटकी रहती थी. उस समय भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अप्रैल, 2009 में बसपा के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया और कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 102 हो गई.