महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का प्रचार इन दिनों चरम पर है औऱ राकांपा प्रमुख शरद पवार की बेटी, बारामती सांसद सुप्रिया सुले (Supriya Sule) प्रचार में व्यस्त हैं. वह ऐसे समय में पार्टी का प्रचार कर रही हैं, जब राकांपा के कई वरिष्ठ नेता शरद पवार को अकेला छोड़कर चले गए हैं. इस समय शरद पवार अकेले शक्तिशाली भाजपा को चुनौती दे रहे हैं. सुप्रिया सुले ने भाजपा नेतृत्व को इस बात के लिए धन्यवाद दिया है कि वह लगातार उनके परिवार को लगातार निशाना बना रहे हैं. शरद पवार इस समय महाराष्ट्र के सबसे कद्दावर नेता हैं और हमेशा से महाराष्ट्र की जनता के साथ हैं.
सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने कहा कि इस चुनाव में अर्थव्यवस्था और विकास राकांपा का प्रमुख मुद्दा है. अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है और रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान जनता को यह बात समझ में नहीं आ रही थी. अब विधानसभा चुनाव के दौरान जनता की तकलीफें सामने आने लगी हैं. हम राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से फीडबैक ले रहे हैं जिससे पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में इस साल महाराष्ट्र के करीब चालीस फीसदी लोग मोदी सरकार से निराश हो चुके हैं. चारों तरफ मंदी का माहौल है और लोगों को राजगार नहीं मिल रहा है. यह महाराष्ट्र के लिए निराशाजनक स्थिति है.
सुप्रिया सुले ने कहा कि लोकसभा चुनाव नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की हठधर्मिता के आधार पर लड़े गए थे. उस समय भाजपा ने यह नहीं सोचा कि क्या सही है, क्या गलत. लेकिन हमने ह्यूस्टन में देखा कि मोदी के नाम पर कितना बड़ा तमाशा किया गया. अमेरिका की सीनेट के कई नेता भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने के पक्ष में नहीं हैं. वे अमेरिका के किसी नेता के मोदी के कार्यक्रम में उपस्थित होने का विरोध कर रहे थे. उनके विरोध को शांत करने के लिए हमारे विदेश मंत्री मोदी के कार्यक्रम के दो हफ्ते पहले से अमेरिका में पड़ाव डाले हुए थे. धारा 370 हटाने का मुद्दा लोगों के गले नहीं उतर रहा है. मैं (Supriya Sule) राष्ट्रवाद के खिलाफ नहीं हूं. हर नागरिक के मन में देश के प्रति सम्मान होना चाहिए. लेकिन मैं समझती हूं कि राज्य के लोगों को किसी भी कट्टरवाद का समर्थन नहीं करना चाहिए.
बड़ी खबर: महाराष्ट्र में अब संजय निरुपम कांग्रेस से बगावत पर उतारू
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस को सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने कॉपीकैट बताया. उन्होंने कहा कि फड़नवीस या तो मोदी का प्रचार करते हैं या मोदी की नकल करते हैं. महाराष्ट्र में उनका अपना कोई अलग व्यक्तित्व नहीं है. पांच साल सरकार चलाने के बाद भी वह सिर्फ मोदी के नाम पर प्रचार कर रहे हैं और धारा 370 के अलावा उनके पास और कोई मुद्दा नहीं है. वे वही करने का प्रयास करते हैं, जो मोदी कर रहे हैं. वह महाराष्ट्र में सिर्फ केंद्र सरकार की योजनाओं के अनुवादक हैं. उन्होंने सिर्फ इवेंट मैनेजमेंट सीखा है. उनकी अपनी कोई विचारधारा नहीं है.
सुप्रिया सुले ने देवेन्द्र फड़नवीस के कार्यकाल में महाराष्ट्र में कितना निवेश हुआ? फॉक्सकॉन यहां कारोबार शुरू करने वाली थी, उसका क्या हुआ? नौकरी की क्या स्थिति है? निर्माण संबंधी गतिविधियां ठप क्यों हैं? इससे यही साबित होता है कि महाराष्ट्र बहुत पिछड़ रहा है. कोई भी सरकारी रिपोर्ट देख लीजिए, महाराष्ट्र अपने शीर्ष स्थान से नीचे आया है. नागपुर पहले एक शांत शहर हुआ करता था. लेकिन अब वहां अपराध के आंकड़े कई गुना बढ़ गए हैं. सामाजिक क्षेत्र में भी फड़नवीस सरकार का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा है. महिला सुरक्षा की स्थिति भी बिगड़ रही है. आज महाराष्ट्र में कौनसा स्मार्ट शहर है? इस तरह भाजपा महाराष्ट्र की छवि बिगाड़ने का काम ही ज्यादा कर रही है. देवेन्द्र फड़नवीस महाराष्ट्र में सबसे निकम्मे मुख्यमंत्री साबित हुए हैं. इवेंट मैनेजमेंट में उन्हें जरूर महारत हासिल है.
फड़नवीस के कार्यकाल में कई राकांपा नेताओं के भाजपा से जुड़ने पर सुप्रिया सुले ने कहा कि वे गलत कारणों से भाजपा में शामिल हो रहे हैं. वाशी में एक नेता (गणेश नाइक) का 35 विधानसभा क्षेत्रों में दबदबा था. आज दो सीटों पर भी उसे समर्थन नहीं मिल रहा है. मालशिरस का भाजपा प्रत्याशी विजय दादा (विजय सिंह मोहिते पाटिल) का नाम तक नहीं लेता. इसे मैं एक बहुत बड़े खेल का हिस्सा मानती हूं. यह महाराष्ट्र के बड़े नेताओं को राजनीतिक रूप से खत्म करने का प्रयास है. भाजपा में शामिल होने वाले किसी भी नेता के खिलाफ जांच रुक जाती है, इसलिए हमारे तमाम वरिष्ठ नेताओं के बेटे भाजपा में चले गए हैं. जो भी भाजपा में गए हैं, उनके खिलाफ कोई न कोई आरोप हैं.
ये भी पढ़ें: दो भाईयों की लड़ाई में कहीं शरद पवार के हाथ न लग जाए छीका
सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने कहा कि भाजपा चुनाव बाद भी फड़नवीस को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात रहे हैं. अगर ऐसी बात है तो चंद्रकांत पाटिल और पंकजा मुंडे का नाम क्यों लिया जा रहा है? ये दोनों न सिर्फ किसी परिवार विशेष से जुड़े हुए हैं, बल्कि उन पर उनके भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं. हम यह मानते हैं कि महाराष्ट्र में राजनीति प्रतिभाओं की कमी नहीं है और राकांपा का मुख्यमंत्री ढाई साल में इस राज्य को फिर से पहले पायदान पर लाकर खड़ा कर सकता है. हमने एक साल के भीतर छत्रपति शिवाजी और डॉ. अंबेडकर के स्मारक बना दिए थे.