Politalks.News/Bharat/Corona. बेकाबू हुई कोरोना की दूसरी लहर देशभर में कहर बरपा रही है. कोरोना के अप्रत्याशित बढ़ते मामलों के बीच बदइंतजामी को लेकर अब केन्द्र सरकार पर लोग सवाल उठाने लगे हैं. एक और जहां पूरे देश में कोरोना प्रोटोकॉल को फॉलो करने की बात की जा रही है, वहीं खुद केन्द्र सरकार द्वारा ही कोरोना प्रोटोकॉल की सबसे ज्यादा धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इन सबके बीच पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरकार को कोरोना संकट से निपटने के लिए पांच अहम सुझाव दिए हैं. इनमें कोरोना से लड़ाई के लिए टीकाकरण को बढ़ाना और यूरोपीय एजेंसियों अथवा यूएसएफडीए से स्वीकृत टीकों को मंजूरी प्रदान करना शामिल है.
टीकाकरण की संख्या नहीं फीसदी पर देना होगा ध्यान
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अपने पत्र में लिखा, ‘इस संबंध में मेरे पास कुछ सुझाव है. इन्हें रखते समय मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि मैं इन्हें रचनात्मक सहयोग की भावना से आपके विचार के लिए रख रहा हूं. मैंने इस भावना में हमेशा विश्वास किया है और अमल किया है.’ पूर्व प्रधानमंत्री ने जो सुझाव दिए हैं उसके मुताबिक, कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई में टीकाकरण के प्रयासों को बढ़ाना ही होगा. हमें टीकाकरण की कुल संख्या की ओर देखने से बचना चाहिए और इसकी बजाय कितने फीसदी आबादी का टीकाकरण हुआ है, उस पर फोकस करना चाहिए. भारत में अभी तक बहुत कम प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हुआ है. मनमोहन सिंह ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि सही नीति के जरिये हम कहीं बेहतर और बेहद जल्द कर सकते हैं.’
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टीकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार को इस बात का प्रचार करना चाहिए कि विभिन्न टीका उत्पादकों को कितनी डोज का आर्डर दिया गया है और अगले छह महीनों में कितनी आपूर्ति मिलेगी. अगर इस अवधि में लक्षित संख्या में लोगों का टीकाकरण करना है तो इसके लिए एडवांस में पर्याप्त आर्डर देने चाहिए ताकि उत्पादक निर्धारित समय पर निश्चित आपूर्ति कर सकें.
राज्य सरकारों को दिए जाने चाहिए स्पष्ट संकेत
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा, सरकार को बताना चाहिए कि टीकों की संभावित आपूर्ति का वितरण राज्यों में किस तरह होगा और यह पारदर्शी फार्मूले के आधार पर होना चाहिए. आपात जरूरतों के लिए केंद्र सरकार वितरण का 10 फीसदी अपने पास रख सकती है, लेकिन उसके अलावा राज्य सरकारों को स्पष्ट संकेत देने चाहिए कि उन्हें कितने टीके उपलब्ध होंगे ताकि वे टीकाकरण की योजना बना सकें.
फ्रंटलाइन वर्कर नए सिरे से हो परिभाषित
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने लिखा, राज्यों को ऐसे फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणियों को परिभाषित करने की कुछ छूट दी जानी चाहिए, जिन्हें टीके लगाए जा सकते हैं भले ही वे 45 साल से कम उम्र के हों. उदाहरण देते हुए मनमोहन सिंह ने बताया कि राज्य शायद स्कूल अध्यापकों या वाहन चालकों इत्यादि को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखना चाहें.
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घरेलू ब्रिज ट्रायल पर जोर दिए बिना आयात की अनुमति दी जाए
मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता के रूप में भारत की क्षमता काफी हद तक निजी क्षेत्र में है. जन स्वास्थ्य आपातकाल के इस दौर में भारत सरकार को धन उपलब्ध कराकर और अन्य छूट देकर टीका उत्पादकों की मदद करनी चाहिए ताकि वे अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार कर सकें. पूर्व पीएम ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह समय अनिवार्य लाइसेंस प्रविधानों को लागू करने का है ताकि बड़ी संख्या में कंपनियां लाइसेंस के तहत टीकों का उत्पादन कर सकें.’ मनमोहन सिंह ने कहा कि चूंकि घरेलू आपूर्ति सीमित है इसलिए यूरोपीयन मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए जैसी विश्वसनीय एजेंसियों से स्वीकृत टीकों को घरेलू ब्रिज ट्रायल पर जोर दिए बिना आयात की अनुमति दी जानी चाहिए.