पॉलिटॉक्स न्यूज. कोरोना महामारी के इस संकट की घड़ी में भी केंद्र और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के बीच तनातनी बदस्तूर जारी है. राज्यपाल जगदीप धनकड़ और मुख्यमंत्री ममता दीदी के बीच की ताजा कश्मकश अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि केंद्र की ओर से भेजी गई टीमों ने ममता सरकार पर सहयोग न करने का आरोप जड़ दिया. केंद्रीय टीम ने कहा कि क्वॉरंटीन सेंटर से टेस्टिंग के लिए मरीजों को इस तरीके से ले जाया जाता है जिससे उनमें संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा हो सकता है. टीम राज्य सरकार पर कोरोना के पॉजिटिव आंकड़ों और मरने वालों की संख्या पर अपना शक पहले ही जता चुकी है.
कोरोना के हालातों का जायजा लेने और लॉकडाउन की पालना के संबंध में केंद्र की ओर से भेजी गई टीमों ने ममता सरकार पर सहयोग न करने का आरोप भी लगाया है. केंद्रीय टीम के अनुसार, राज्य सरकार उन्हें और स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पतालों का दौरा करने के लिए उचित मात्रा में पीपीई किट तक नहीं मुहैया करवाई जा रही है. टीम ने ये भी कहा कि क्वॉरंटीन सेंटर से टेस्टिंग के लिए मरीजों को इस तरीके से ले जाया जाता है जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा हो सकता है.
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इसी कड़ी में केंद्रीय टीम ने राज्य सरकार से कुछ जानकारी भी मांगी है. केंद्रीय टीम ने पश्चिम बंगाल सरकार से निजामुद्दीन मरकज में हिस्सा लेकर राज्य लौटे लोगों के बारे में जानकारी मांगी. साथ ही प्रदेश सरकार से यह पूछा कि जो लिस्ट खुद राज्य सरकार ने केंद्र को मुहैया करवाई है, उनकी कांटेक्ट ट्रेसिंग के बारे में क्या प्रक्रिया अपनाई गई है. इससे पहले टीमों ने दार्जिलिंग में पुलिस कमिश्नर से मुलाकात नहीं कराने का आरोप लगाया था. साथ ही बंगाल सरकार से कोरोना से होने वाली मौतों का पता लगाने वाली कार्यप्रणाली पर स्पष्टीकरण भी मांगा था.
इस पर बंगाल प्रशासन ने टीम से कहा था कि यदि किसी कोरोना पेशेंट की मौत रोड एक्सीडेंट से होती है तो मौत की कैटेगरी में रोड एक्सीडेंट दिखाया जाता है. केंद्रीय टीम ने पश्चिम बंगाल सरकार की इस राय से असहमति जाहिर की और पत्र लिखकर उनसे 37 सवाल पूछते हुए सभी बातों पर स्पष्टीकरण की मांग की थी.
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इससे पहले बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक वीडियो जारी करते हुए ममता सरकार पर कोरोना से हुई मौतों पर पर्दा डालने के लिए रातों रात शवों को अंधेरे में ठिकाने लगाने का आरोप लगाया था. उसके बाद पार्टी महासचिव ने एक और आरोप ममता बनर्जी पर लगाते हुए कहा कि ममता सरकार कोरोना मरीजों की जानकारी ही नहीं छिपा रही बल्कि वो तब्लीगी जमात के लोगों पर भी चुप है. उन्होंने जमात से लौटे लोगों की पहचान करने और क्वारंटीन करने पर सवाल के एक्शन पर सवाल उठाया.
ममता सरकार #Covid19 मरीजों की जानकारी ही नहीं छुपा रही, तबलीगी जमात के लोगों पर भी चुप है। हालात देखने पहुंचे केंद्रीय दल को भी उन्होंने जानकारी नहीं दी। दल जमात से लौटे लोगों की पहचान और उन्हें क्वारंटीन करने के लिए सरकार ने क्या किया? जानना चाहती थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। pic.twitter.com/X6leEg84D5
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) April 25, 2020
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इससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने ममता बनर्जी पर कोविड-19 से निपटने में असफल रहने का आरोप लगाते हुए उनके रवैये को ‘जन-विरोधी’ बताया था. गवर्नर ने ये भी कहा था कि राज्य सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के तुष्टिकरण के अलावा संविधान की अवहेलना करने का काम भी कर रही है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से पूछा कि वास्तविक स्थिति पर पर्दा क्यों डाला जा रहा है. इसके बाद बंगाल मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच कुछ पत्रों का आदान प्रदान भी हुआ था.