politalks.news

ऐतिहासिक जीत के बाद केंद्र में सरकार बनाने की तैयारियों में जुटी बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में शायद विशेष अभियान छेड़ रखा है. आज दूसरे दिन भी एक टीएमसी के विधायक ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी लगातार यहां सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तीसरा झटका दिया है. इससे पहले लोकसभा चुनाव में दो सीटों से 18 पर पहुंच कर बीजेपी ने दीदी को झटका दिया था. इसके बाद कल दो टीएमसी विधायकों ने भी बीजेपी की सदस्यता ले ली. जिसमें मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु रॉय बड़ा चेहरा हैं. पश्चिम बंगाल में मची सियासी खलबली से तो लगता है कि टीएमसी और दीदी के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं.

प्रदेश में पिछले चुनाव में दो से बढ़कर अब 18 सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी के होंसले बुलंद नजर आ रहे हैं. ममता बनर्जी के सूबे में आगे की रणनीति पर कार्य करना शुरू कर दिया है. दीदी के लिए एक तो लोकसभा चुनाव में हार का जख्म और उपर से टीएमसी विधायकों और नेताओं का बीजेपी में शामिल होना जख्म कुरेदने जैसा है. बुधवार को फिर एक टीएमसी विधायक समेत चार नेताओं ने बीजेपी ज्वॉइन की है. इनमें टीएमसी विधायक मनिरुल इस्लाम के अलावा टीएमसी नेता गदाधर हाजरा, मोहम्मद आसिफ इकबाल और निमाई दास भी शामिल हैं. ये सभी नेता दिल्ली में कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए.

मंगलवार को टीएमसी के दो विधायकों ने दिल्ली में वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता ले ली और आज फिर एक टीएमसी विधायक ने चार नेताओं के साथ दीदी को बाय-बाय कह दिया है. बता दें कि कल टीएमसी के दो विधायकों के अलावा एक सीपीएम विधायक ने भी बीजेपी ज्वॉइन की थी. इस दौरान बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि ये सिलसिला लोकसभा चुनाव की तरह सात चरणों तक चलने वाला है और ये पहला चरण है.

politalks.news

टीएमसी छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु रॉय ने भी मंगलवार को बीजेपी का साथ पसंद कर लिया. सुभ्रांशु रॉय के अलावा टीएमसी विधायक तुषारक्रांति भट्टाचार्य और सीपीएम विधायक देवेंद्र रॉय ने भी पार्टी छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इनके साथ-साथ पश्चिम बंगाल में बीजेपी की हालिया जीत से प्रभावित होकर दर्जनों टीएमसी पार्षद भी पार्टी में शामिल हो गए.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के समय भी पश्चिम बंगाल में टीएमसी-बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं में तनातनी देखी गई थी. इस दौरान कई जगह से तो दोनों के बीच हिंसक झड़पों और हमलों तक की खबरें आई थी. इसके बाद आए चुनाव नतीजों ने दीदी को चौका दिया था. अब उनके विधायकों का पार्टी छोड़ना भी किसी बड़े जख्म से कम नहीं है. इस दौरान बीजेपी लगातार ममता बनर्जी पर प्रदेश में हुई 54 हत्याओं को लेकर आरोप लगाती रही है. बुधवार को ममता ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और 30 मई को होने वाले नरेद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में जाने से इनकार कर दिया.

Leave a Reply