महाराष्ट्र का सियासी संकट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, शिवसेना ने की कांग्रेस-एनसीपी को अतिरिक्त समय देने की मांग

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एनसीपी द्वारा अतिरिक्त 48 घण्टे का समय मांगे जाने के निवेदन को आधार बनाते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर दी, जिस पर मोदी केबिनेट ने अपनी मुहर भी लगा दी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र का सियासी संघर्ष अब सियासी संकट की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है. ताजा घटनाक्रम के अनुसार एनसीपी द्वारा आज सुबह 11 बजे दावा पेश करने के लिए अतिरिक्त 48 घण्टे का समय ओर देने सम्बन्धी एक पत्र राज्यपाल को लिखा गया. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस पत्र को आधार बनाते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर दी. जिस पर मोदी केबिनेट की आपात बैठक ने अपनी मुहर भी लगा दी और इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने ब्राजील के लिए रवाना हो गए. इस गहमा गहमी के बीच शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी. शिवसेना ने एनसीपी-कांग्रेस (Congress-NCP) को समर्थन पत्र के लिए अतिरिक्त तीन दिन का समय के साथ जल्द सुनवाई की मांग की है. शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से संपर्क साधा है.

दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पहले भाजपा और उसके बाद शिवसेना और उसके बाद एनसीपी (Congress-NCP)  को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया. भाजपा ने रविवार शाम बहुमत के अभाव में सरकार बनाने से इंकार कर दिया. इसके बाद राज्यपाल ने शिवसेना को दावा पेश करने के किए 24 घण्टे यानि सोमवार शाम 7.30 बजे तक का वक़्त दिया. कांग्रेस से स्पष्ट जवाब नहीं मिलने की स्थिति में शिवसेना ने राज्यपाल से अतिरिक्त 48 घण्टे देने का निवेदन किया जिसे राज्यपाल ने अस्वीकार कर दिया. इसके तुरंत बाद गर्वनर ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और मंगलवार रात 8.30 बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहा.

हालांकि कांग्रेस के जवाब में देरी के चलते अभी तक भी सरकार (Congress-NCP)  बनाने की स्थिति साफ नहीं हो पायी. ऐसे में सुबह 11.30 बजे एनसीपी ने राज्यपाल के नाम चिट्ठी लिखकर दावा पेश करने के लिए 48 घंटे का समय मांगा. एनसीपी का कहना है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को डिस्कस करने, सभी विधायकों के समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर लेने और विकास के मुद्दे जैसे तकनीकि बातों के लिए तय समय काफी कम है. इतने कम समय में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया जा सकता. लेकिन राज्यपाल ने उनकी इस मांग को अस्वीकार कर दिया.

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एनसीपी के पत्र के आधार पर गर्वनर कोश्यारी ने वक्त से पहले ही केंद्र को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर दी. इस मामले में शिवसेना ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और राज्यपाल के इस फैसले को चुनौती दी है. वहीं कांग्रेस का लचर रवैया अभी तक न शिवसेना और न ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार के समझ में आ रहा है. शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से फोन पर वार्ता कर चुके हैं. (Congress-NCP) राष्ट्रपति शासन लगने में खबर लिखे जाने तक केवल चार घंटों से भी कम समय बचा है लेकिन अब तक स्थितियां साफ नहीं हो पायी है.

मंगलवार सुबह अजित पवार ने मीडिया कर्मियों के सामने पार्टी की इस मजबूरी का इजहार किया था. उन्होंने ये भी कहा था कि कांग्रेस हमारी सहयोगी पार्टी है और उनके फैसले के बिना शिवसेना को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता. हालांकि देखा जाए तो सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए तीनों पार्टियों का साथ आना जरूरी है. ऐसे में किसी भी पार्टी का गठबंधन न आना कोई विकल्प नहीं है. इस मामले में शरद पवार ने चुप्पी साध ली है लेकिन कांग्रेस के व्यवहार से नाराज जरूर हैं.

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वहीं शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत और एनसीपी के नंबर दो नेता छगन भुजबल ने अभी भी भाजपा विरोधी सरकार बनाने का विश्वास दिखाया है. संजय राउत अभी सीने में दर्द की शिकायत के चलते लीलावती अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन शिवसेना को निश्चित तौर पर उनकी कमी इस मौके पर जरूर खल रही होगी.

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