पॉलिटॉक्स न्यूज/एमपी. मध्यप्रदेश में 15 साल बाद बनी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 15 महीने ही चल सकी. सूबे में पिछले 15 दिनों से चल रहा सियासी घमासान का अंत कमलनाथ सरकार के अंत से हुआ. सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को फ्लोर टेस्ट से पहले ही अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया और अगला मुख्यमंत्री बनने तक कमलनाथ को ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने का आग्रह किया, जिसे कमलनाथ ने स्वीकार कर लिया.
मध्यप्रदेश में ‘महाराज’ ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी से नाराजगी के चलते कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके पीछे- पीछे समर्थक 22 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे देने के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार शुक्रवार को विधानसभा के विशेष सत्र में फ्लोर टेस्ट होना था लेकिन उससे पहले ही सीएम कमलनाथ ने एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए अपने विधायकों के समक्ष अपना इस्तीफा देने की बात कही और उसके तुरंत बाद राज्यपाल लालजी टंडन से राजभवन में मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया. इससे पहले स्पीकर एनपी प्रजापति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सभी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने की बात कही थी. 6 विधायकों के इस्तीफे पहले से ही स्वीकार कर लिए गए थे. बीजेपी के एक विधायक ने भी शुक्रवार सुबह अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंप दिया. वहीं बीजेपी के विधायक दल के नेता चुनने में पेंच फंसता दिख रहा है. कोरोना संक्रमण के संभावित खतरे के बहाने पूर्व सीएम शिवराज सिंह के आवास पर होने वाला विधायकों का भोज निरस्त कर दिया गया.
इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा कि 17 मार्च को कांग्रेस के बागी विधायकों ने मेरे कार्यालय में इस्तीफे पहुंचा दिए. मैं तब से आज तक भोपाल में हूं लेकिन 19 मार्च तक किसी भी विधायक ने मुझसे भेंट कर इस्तीफों पर चर्चा नहीं की. प्रजापति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दुखी मन से सभी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर रहा हूं. इस्तीफे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि एक साथ इतने इस्तीफे देने के पीछे कोई छिपा कारण हो सकता है. मैंने अपना काम स्पष्ट और बिना किसी पक्षपात के किया है. पीसी में विधानसभा अध्यक्ष ने दोपहर दो बजे विशेष सत्र आहूत करने की बात भी कही थी. बता दें कि शुक्रवार सुबह बीजेपी विधायक शरद कॉल ने भी अपना इस्तीफा दे दिया.
कोरोना इफेक्ट: होम क्वारंटाइन के बावजूद बाहर घूमते मिले तो दर्ज होगी एफआईआर
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए कहा कि महाराज और 22 लोभियों की वजह से सरकार गिर गई. हम महल को कांग्रेस में लाना चाहते थे लेकिन ऐसा हो न सका. कमलनाथ ने कहा कि 15 साल की अथाह मेहनत के बाद सत्ता मिली थी लेकिन कांग्रेस 15 महीने भी इसे संभाल नहीं पाई. वहीं सिंधिया और बागियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एक महाराज और 22 विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी ने मप्र में लोकतंत्र की हत्या कर दी. ये विश्वासघात मेरे साथ नहीं मध्य प्रदेश की जनता के साथ हुआ है.
आज मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हार हुई है , लोभी और प्रलोभी जीत गए हैं ।
मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता।
मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूँगा।— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 20, 2020
कमलनाथ ने बीजेपी पर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने हमारी सरकार के साथ साजिश की, किसानों के साथ धोखा करने की कोशिश की लेकिन प्रदेश की जनता सच्चाई के साथ खड़ी है. पिछले 15 महीनों में जनता ने महसूस किया कि सरकार क्या होती है. पिछले 15 महीनों में हमारे उपर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है. मैंने कभी धोखे और सौदेबाजी की राजनीतिक नहीं की. अब प्रदेश पूछ रहा है कि मेरा क्या कसूर था? कमलनाथ ने कहा कि जैसा बीजेपी कर रही है, मैं वैसे सरकार नहीं बचाउंगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद कमलनाथ दोपहर एक बजे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल टंडन को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस्तीफे के साथ ही सदन में बहुमत परीक्षण रद्द हो गया.
वहीं प्रदेश की जनता को धन्यवाद देते हुए कमलनाथ ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमेशा प्रदेश की जनता के सुख-दुःख में खड़ा रहूंगा और आपके हित के लिये सदैव संघर्षरत रहूंगा. मुझे उम्मीद व विश्वास है कि आपका यही प्रेम-स्नेह-सहयोग मुझे आगे भी मिलता रहेगा. मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता. मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूंगा.
मै आपको विश्वास दिलाता हूँ कि हमेशा प्रदेश की जनता के सुख-दुःख में खड़ा रहूँगा , आपके हित के लिये सदैव संघर्षरत रहूँगा।
मुझे उम्मीद व विश्वास है कि आपका यही प्रेम – स्नेह – सहयोग मुझे आगे भी मिलता रहेगा।
2/2— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 20, 2020
मप्र सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए 40 करोड़ में विधायकों की खरीद फरोख्त की बात कही. पटवारी ने कहा कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है.
सरकार के गिरने के साथ ही प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनना तय हो गया है लेकिन विधायक दल के नेता के नाम पर पेंच फंसता दिख रहा है. यूं तो संभावना शिवराज सिंह के नाम पर बन रही है लेकिन नरोत्तम मिश्रा के हालिया बयानों पर गौर करें तो यहां दो तीन नाम सामने आ रहे हैं. हाल में उन्होंने कहा था कि सीएम बनाने का फैसला बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह तय करेंगे. वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हूं. इस तरह के बयानों को देखते हुए कहा जा सकता है कि शिवराज सिंह के नाम पर सहमति नहीं बन सकती है. इस मुद्दे पर आगामी दो से तीन दिनों में सारी स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है.
दूसरी ओर, कमलनाथ के इस्तीफे देने के बाद कई राजनेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की. बीजेपी की ओर से राज्यसभा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के इस्तीफे पर कहा कि मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है. मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी. सच्चाई की फिर विजय हुई.
मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है। मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी। सच्चाई की फिर विजय हुई है। सत्यमेवजयते।
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) March 20, 2020
प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने कमलनाथ के इस्तीफे पर ट्वीट करते हुए लिखा कि कांग्रेस सरकार अपने अंतर्विरोधों के कारण ही गिरी है. प्रदेश की बदहाली और दुर्व्यवस्था देखकर कांग्रेस के मित्र ही इतने नाराज हो गए कि साथ छोड़कर चले गए. कमलनाथ मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनके आसपास काम कर रहे दिग्विजय के कारण परिस्थितियां ऐसी पैदा हो गईं कि यह सरकार गिर गई.
कांग्रेस सरकार अपने अंतर्विरोधों के कारण ही गिरी है। प्रदेश की बदहाली और दुर्व्यवस्था देखकर कांग्रेस के मित्र ही इतने नाराज हो गए कि साथ छोड़कर चले गए। कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनके आसपास काम कर रहे श्री दिग्विजय जी के कारण परिस्थितियां ऐसी पैदा हो गईं कि यह सरकार गिर गई। pic.twitter.com/RNwsr1NN4l
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 20, 2020
वहीं बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट करते हुए कहा कि अहंकार को आखिर में परास्त होना ही पड़ता है.
अहंकार को आखिर में परास्त होना ही पड़ता है !!!
देर से ही सही, पर अंततः कमलनाथ को जाना ही पड़ा! सरकार बचाने की सारी जुगत धरी रह गई! लोकतंत्र में संख्या बल ही प्रमुख होता है और कमलनाथ सरकार इसमें भाजपा से पिछड़ गई थी!
गए 'कमल' अब फिर खिलेगा 'कमल!'
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) March 20, 2020
मध्यप्रदेश के सियासी घटनाक्रम पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. सीएम गहलोत ने कहा कि मैंने आज मध्यप्रदेश में जो देखा है, वह व्यापक दिन के उजाले में लोकतंत्र की हत्या है. सत्ता की लालसा के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को खारिज करना बीजेपी के लिए एक आदत बन गई है.
What we have witnessed today in #MadhyaPradesh is a blatant killing of Democracy in broad day light. Dismantling the democratically elected govt for the lust of power has become a habit for the BJP.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) March 20, 2020