जयप्रकाश नड्डा बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष बन गए हैं. पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में उन्हें इस पद पर मनोनीत किया गया. बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया को बताया कि बीजेपी ने अमित शाह के नेतृत्व में कई चुनाव जीते. प्रधानमंत्री ने अब उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है तो उन्होंने खुद कहा कि पार्टी की कमान किसी को और संभालना चाहिए. बीजेपी संसदीय बोर्ड ने नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना है.
आपको बता दें कि बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद इस बात को लेकर कयासों का दौर चल रहा था कि किसे अध्यक्ष पद की कमान मिलेगी. मोदी के मंत्रिमंडल में जब जेपी नड्डा को जगह नहीं मिली तो यह अनुमान लगाया जाने लगा कि वे ही अमित शाह की जगह लेंगे. नड्डा को मोदी—शाह के अलावा संघ का भी चहेता माना जाता है. एक चर्चा यह भी है कि मोदी—शाह भूपेंद्र यादव को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन संघ के दखल के बाद नड्डा के नाम पर मुहर लगी.
जेपी नड्डा फिलहाल अमित शाह की सलाह से पार्टी का कामकाज संभालेंगे, लेकिन कहा जा रहा है कि संगठन के चुनाव होने के बाद वे ही अध्यक्ष बनेंगे. नड्डा का यहां तक पहुंचने का सफर दिलचस्प है. जेपी का परिवार मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर का है, लेकिन उनके पिता डॉ. नारायण लाल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी में कॉमर्स के असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के बाद पटना में बस गए. यहीं के भिखना पहाड़ी इलाके में 2 दिसंबर 1960 को जेपी का जन्म हुआ. जेपी की शुरूआती पढ़ाई पटना के सेंट जेवियर स्कूल और राममोहन राय सेमिनरी स्कूल से हुई.
जेपी नड्डा को स्कूल के दिनों में स्वीमिंग का बहुत शौक था. उन्होंने ऑल इंडिया जूनियर स्वीमिंग चैंपियनशिप में बिहार की ओर से हिस्सा लेते हुए पदक जीता. नड्डा ने पटना काॅलेज में इंटर की परीक्षा पास की और यहीं से ग्रेजुएट हुए. यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. उन्होंने साल 1975 के जेपी मूवमेंट में हिस्सा लिया. इस आंदोलन में भाग लेन के बाद नड्डा एबीवीपी में शामिल हो गए. उन्होंने साल 1977 में अपने कॉलेज में छात्रसंघ सचिव पद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इस दौरान उनके पिता डॉ. नारायण लाल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने.
1980 में पिता डॉ. नारायण लाल नड्डा के रिटायर्ड होने के बाद उनका पूरा परिवार हिमाचल प्रदेश लौट आया. यहां आकर जेपी ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एलएलबी की पढ़ाई शुरू की. इस दौरान उन्होंने छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इस जीत के बाद बीजेपी पर उनकी नजर पड़ी. पार्टी ने उन्हें साल 1991 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया. बाद में वे इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने. उनका विवाह 11 दिसंबर 1991 को जबलपुर से सांसद रहे जयश्री बनर्जी की बेटी डॉ. मल्लिका से हुआ, जो वर्तमान में हिमाचल यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर हैं.
जेपी नड्डा मुख्यधारा की राजनीति में साल 1993 में उस समय आए जब उन्होंने हिमाचल प्रदेश की बिलासपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. पहली बार विधायक बनने के बावजूद पार्टी ने उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा सौंपा. नड्डा ने साल 1998 और 2007 के चुनाव में भी बिलासपुर सीट से फिर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इस दौरान नड्डा को प्रदेश की कैबिनेट में भी जगह दी गई. प्रेम कुमार धूमल की सरकार में उन्हें वन-पर्यावरण, विज्ञान व टेक्नालॉजी विभाग का मंत्री बनाया गया. हालांकि इस चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन अनुभव की वजह से धूमल बाजी मार गए.
जेपी नड्डा को राष्ट्रीय राजनीति में लाने का श्रेय नीतिन गडकरी को है. गडकरी जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब नड्डा को न सिर्फ राज्यसभा भेजा गया, बल्कि पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया गया. गडकरी के बाद जब राजनाथ सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी नड्डा इसी पद पर बने रहे. राजनाथ सिंह का कार्यकाल पूरा होने के बाद जब बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर कयासबाजी चल रही थी तब जेपी नड्डा का नाम भी सामने आया था, लेकिन पार्टी की अमित शाह के हाथों में चली गई. यह एक संयोग ही है कि नड्डा अब शाह की विरासत संभालने जा रहे हैं.
जेपी नड्डा को काफी हद तक अमित शाह की तरह ही चुनाव प्रबंधन की रणनीति में माहिर माना जाता है. 2014 चुनाव के दौरान उन्होंने बीजेपी मुख्यालय से पूरे भारत में पार्टी की अभियान की निगरानी की थी. 2019 में उनके पास उत्तर प्रदेश का प्रभार था, नड्डा सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी पार्टी को यूपी 62 सीटें दिलवाने में कामयाब रहे. अमित शाह ने 2019 में पार्टी के लिए हर सीट पर 50 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा था. नड्डा ने यूपी में पार्टी को 49.6 फीसदी वोट दिलाने का करिश्मा कर दिखाया. मोदी की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य परियोजना आयुष्मान भारत की सफलता का श्रेय भी नड्डा को दिया जाता है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहते हुए जेपी नड्डा ने इस योजना को लागू किया.