इतनी आसान नहीं है ‘गहलोत के दुर्ग’ पर फतह! तो वहीं ‘क्राउड पुलर’ पायलट का जलवा भी नहीं कुछ कम

पंजाब, उत्तराखंड के बाद राजस्थान पर आलाकमान का फोकस, आसान नहीं होगी मरुधरा में सुलह की राह, यहां सियासी जादूगर के दुर्ग को फतह करना होगा टेढ़ी खीर, जादूगर के तरकश में अभी हैं कई तीर तो वहीं हाईकमान का फोकस भविष्य पर, पायलट राजस्थान के साथ शेष हिंदी बेल्ट में भी हैं खासा लोकप्रिय

सियासी घमासान पर टिकी सभी की निगाहें
सियासी घमासान पर टिकी सभी की निगाहें

Politalks.News/Rajasthan. पंजाब में कांग्रेस कलह की सर्जरी करने के बाद आलाकमान का पूरा ध्यान राजस्थान पर है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवादों के निपटारे के लिए बनी सुलह कमेटी की रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान के पास है. वहीं अब शनिवार देर रात तक कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आलाकमान के संदेश पर होने वाले महामंथन पर सभी की निगाहें टिक गईं हैं. राजस्थान कांग्रेस की कत्ल की रात को देखते हुए पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट बैंगलुरू दौरे से जयपुर आ गए हैं और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी अपना अजमेर दौरा रद्द कर दिया है. लेकिन राजस्थान की राजनीति की खासकर सीएम गहलोत की राजनीति को समझने वाले जानकारों का कहना है कि पंजाब और राजस्थान में दिन रात का अंतर है. इतिहास गवाह है कि ‘राजस्थान के किले’ ऐसे ही नहीं जीते जा सके थे. शत्रुओं की सेनाओं के पसीने छूट जाते थे और अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि राजनीति के इस पुराने जादूगर के तरकश में कई तीर हैं. आपको बता दें, अशोक गहलोत राजनीति के जादूगर माने जाते हैं.

आसान नहीं होगी ‘जादूगर’ के दुर्ग पर ‘फतह’!
राजस्थान में गहलोत के ‘दुर्ग’ पर विजय पाना आलाकमान के लिए आसान नहीं होगा. क्योंकि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर को अडियल ही माना जाता है. लेकिन राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का राजनीतिक कौशल किसी से छिपा नहीं है. पंजाब औऱ राजस्थान की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तरह 24 घंटे की राजनीति करते हैं. अशोक गहलोत जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब से यह समझ गए थे कि जिसके पास ज्यादा विधायक हैं कांग्रेस आलाकमान चाहकर भी उसका कुछ नहीं कर सकता है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री गहलोत की विधायकों का पूरा ध्यान रखते हैं. सभी से वन-टू-वन संवाद करते हैं.

पिछले साल आए सियासी संकट के बाद तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भी सतर्क हैं. यहां तक कि सीएम गहलोत की सरपरस्ती में कुछ विधायक तो ऐसे भी हैं जो खुद को सीएम से कम नहीं समझते हैं. सीएम गहलोत के राज में एसपी से लेकर चपरासी और नर्स से लेकर कलेक्टर तक विधायक अपनी मर्ज़ी से लगवा रहे हैं. बता दें, सियासत के जादूगर मुख्यमंत्री गहलोत ने तो सियासी संकट के बाद पायलट कैंप के विधायकों में भी सेंधमारी की है. मंत्री विश्वेन्द्र सिंह सीएम गहलोत को अपना नेता मान चुके हैं. विधायक इन्द्राज गुर्जर और पीआर मीणा भी सीएम गहलोत की तारीफ कर चुके हैं, लेकिन बाद में इन्होने अपना स्टैंड चेंज कर लिया था.

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सीएम गहलोत के तरकश में हैं कई तीर

सीएम अशोक गहलोत गांधी परिवार के पुराने वफादार हैं. लिहाज़ा उन्हें उम्मीद है कि उसे वो ठीक कर लेंगे. मुख्यमंत्री गहलोत के पास अभी ढाई साल का वक़्त है लिहाज़ा दबाव में आने के लिए मजबूर नहीं है. इसलिए कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री गहलोत गांधी परिवार के पास जाएंगे और अपनी बात मनवा ही लेंगे. क्योंकि गहलोत के तरकश में कई ऐसे तीर हैं जो निशाने पर लगेंगे ही लगेंगे. सचिन पायलट पर मानेसर में बाड़ाबंदी कर कांग्रेस की सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप है.

AICC में पकड़ पड़ी ढीली, नई पीढ़ी के नेताओं से नहीं है तालमेल

हालांकि AICC और गांधी परिवार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पकड़ थोड़ी ढीली जरूर पड़ी है. एक तो सीएम गहलोत का दो साल से घर से बाहर नहीं निकलना इनकी कमजोरी बनता जा रहा है, वहीं प्रियंका गांधी के निजी सचिव के पद से धीरज श्रीवास्तव के हटाए जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत की पकड़ गांधी परिवार में कमज़ोर हुई है. सीएम गहलोत के मित्र और गांधी परिवार के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के निधन के बाद तो उनको बड़ा झटका लगा है अब उनका संदेश गांधी परिवार तक पहुंचाने वाला बचा ही नहीं. गांधी परिवार के नज़दीक फ़िलहाल KC वेणुगोपाल और अजय माकन जैसे नई पीढ़ी के नेता है जहां पर सीएम गहलोत की पकड़ पहले की तरह मज़बूत नहीं है.

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कांग्रेस का भविष्य पर फोकस, पायलट हैं क्राउड पुलर

कांग्रेस आलाकमान का भविष्य की राजनीति पर फोकस है. गांधी परिवार की नई क्राइसिस मैनेजर प्रियंका गांधी की यह सोच है कि कांग्रेस को आगे ले जाने के लिए नई पीढ़ी के नेताओं की ज़रूरत है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद राजस्थान में सचिन पायलट एकमात्र ऐसे नौजवान नेता हैं जो की क्राउड पुलर है. राजस्थान ही नहीं यूपी, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश सहित हिंदी बैल्ट में सचिन पायलट का जनाधार और युवाओं के साथ खासा जुड़ाव है.

पायलट समर्थकों की उम्मीदों को लगे पंख

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर नवजोत सिंह सिद्धू की ताज़पोशी के बाद अब बहुत सचिन पायलट समर्थकों को यह उम्मीद जगी है कि राजस्थान पर भी कांग्रेस आलाकमान ध्यान देगा. पिछले एक साल से ठंड में लगे हुए सचिन पायलट और उनके समर्थकों की भी उम्मीद जगी है कि शायद कांग्रेस आलाकमान पायलट के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर वैसे ही दबाव डालेगा जैसे पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर दबाव डाल कर सिद्धू को उनका हक़ दिलाया है.

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