‘बंगाल हिंसा की जांच करेगी CBI’ ममता को ‘हाई’ झटका, BJP बोली- ‘हिंसा रोकने में नाकाम सरकार की खुली पोल’

ममता बनर्जी को बड़ा झटका, कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश- 'बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा में रेप और हत्या के मामलों की CBI जांच की जाए' 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगी, ममता सरकार पर बीजेपी हमलावर, राज्य सरकार के संरक्षण में हुई हिंसा, हाईकोर्ट के आदेश ने खोली सरकार की पोल, सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है ममता सरकार-सूत्र

बंगाल हिंसा पर ममता बनर्जी को हाईकोर्ट का झटका
बंगाल हिंसा पर ममता बनर्जी को हाईकोर्ट का झटका

Politalks.News/Bungal. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की CBI जांच के आदेश दिए हैं. यह जांच कोर्ट की निगरानी में की जाएगी. इसके लिए SIT का गठन होगा. हत्या और रेप के मामलों की जांच का जिम्मा CBI का होगा. दूसरे मामलों की जांच SIT करेगी. कोर्ट ने राज्य सरकार को हिंसा से पीड़ित लोगों को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी ममता बनर्जी पर हमलावर हो गई हैं. बीजेपी ने आरोप लगाया कि हम तो पहले ही कह रहे थे ममता बनर्जी हिंसा रोकने और इंसाफ दिलाने में नाकाम रहीं हैं. वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश ने ममता सरकार की पोल खोल दी है. इधर TMC सूत्रों का कहना है कि मामले में कानूनी पहलू देखे जा रहे हैं जरुरत पड़ी तो किया जा सकता है सुप्रीम कोर्ट का रूख. लेकिन ये तय है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर हाईकोर्ट के आदेश ने बीजेपी को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है.

कोर्ट ने CBI और SIT से 6 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. हाईकोर्ट ने कहा कि. ‘राज्य सरकार जांच कराने में नाकाम रही है. चुनाव आयोग पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि, ‘चुनाव आयोग को हिंसा पर बेहतर भूमिका निभानी चाहिए थी. कोलकाता पुलिस कमिश्नर सोमेन मित्रा भी इस जांच का हिस्सा होंगे’

‘हिंसा रोकने और इंसाफ दिलाने में ममता रहीं विफल’- बीजेपी
हाईकोर्ट के आदेश पर बीजेपी ने हाथो-हाथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि, ‘बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा हुई, इस हिंसा को ममता बनर्जी नहीं रोक पाईं, उसके बाद लोगों को इंसाफ दिलाने में भी ममता जी विफल रहीं, पश्चिम बंगाल वो प्रदेश बन गया है, जहां वर्दी का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है, कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा है कि CBI जांच करेगी और अभी तक जो भी सबूत इकट्ठे किये गए हैं, वो सब CBI को दे दिए जाएंगे’ ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए गौरव ने कहा कि, ‘हमारे जो भाई बहन पश्चिम बंगाल में हैं, हम उन्हें ये संदेश जरूर देना चाहेंगे कि उनको इंसाफ मिले ये हमारी प्राथमिकता है. जब तक आपको इंसाफ नहीं मिलता तब तक भाजपा हर उस परिवार और पीड़ित के साथ खड़ी है, जिसके साथ TMC के गुंडों ने और ममता बनर्जी ने
अन्याय किया है’.

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‘हम अदालत के आदेश का स्वागत करते हैं’- कैलाश विजयवर्गीय
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने हाईकोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, ‘पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा राज्य सरकार के संरक्षण में हुई. कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश ने सरकार की पोल खोल दी है. हम अदालत के आदेश का स्वागत करते हैं’. इस मुद्दे पर अनुराग ठाकुर  केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, ‘पश्चिम बंगाल सरकार को दायित्व मिला है जनता की सेवा करने का, ना की हिंसा फैलाने का. हिंसा नहीं होनी चाहिए. जहां से स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आए, उस राज्य को हिंसा के लिए जाना जाए तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा’.

‘मैं फैसले से नाखुश, जरुरत पड़ी तो जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट’- सौगत रॉय
टीएमसी नेता सौगत रॉय ने कहा कि, ‘मैं फैसले से नाखुश हूं. यदि हर कानून और व्यवस्था के मामले में जो पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, सीबीआई इसमें आती है तो यह राज्य के अधिकार का उल्लंघन है. मुझे यकीन है कि राज्य सरकार स्थिति का न्याय करेगी और यदि आवश्यक हो तो उच्चतम न्यायालय में अपील करने का निर्णय लेगी.’

बंगाल पुलिस ने की थी 17 लोगों की मौत की पुष्टि
पुलिस ने राजनीतिक हिंसा में 17 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी. हालांकि, भाजपा का आरोप था कि उनके इससे कई गुना ज्यादा कार्यकर्ता मारे गए हैं. भाजपा ने एक सूची तैयार कर की थी. सूची के मुताबिक चुनाव के बाद हत्या, हिंसा, आगजनी और लूटपाट की 273 घटनाएं हुईं थी.

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गृह मंत्रालय को मांगनी पड़ी थी रिपोर्ट
अप्रैल-मई में हुए बंगाल चुनाव के नतीजे वाले दिन कोलकाता में BJP दफ्तर को आग लगा दी गई थी. इसके अगले दिन 2 पार्टी कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या की खबर सामने आई थी. विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने पर गृह मंत्रालय ने बंगाल सरकार से रिपोर्ट भी मांगी थी.

NHRC ने कोर्ट से कहा था- बंगाल में कानून का शासन नहीं
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने 13 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट में रिपोर्ट सब्मिट की थी. आयोग ने हिंसा को लेकर अदालत से कहा था कि, ‘बंगाल में कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का कानून चलता है. बंगाल हिंसा के मामलों की जांच राज्य से बाहर की जानी चाहिए. रिपोर्ट के कुछ न्यूज चैनल और वेबसाइट्स पर खुलासे के बाद ममता बनर्जी ने ऐतराज जाहिर किया था. ममता ने कहा था कि आयोग को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और इस रिपोर्ट को लीक नहीं किया जाना चाहिए था. इस रिपोर्ट को केवल कोर्ट के सामने रखना चाहिए था.

 

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