Politalks.News/Delhi. अफगानिस्तान में हर पल स्थिति बदल रही है. इस मुल्क पर दुनियाभर की नजरें हैं. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूरा गणित बदल चुका है. भारत इसे लेकर फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहा है. इस बीच विदेश मंत्री रह चुके नटवर सिंह ने इस मामले में भारत सरकार की एक बड़ी चूक की ओर इशारा किया है. उनका मानना है कि, ‘केंद्र सरकार को तालिबान के कब्जा करने से पहले ही उसके साथ खुले तौर पर संपर्क स्थापित करना चाहिए था’. नटवर सिंह ने यह भी कहा कि, ‘अगर तालिबान अफगानिस्तान में एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करता है तो फिर भारत को उसके साथ राजनयिक संबंध बनाने चाहिए’.
‘सावधानी बरतें, वैट एंड वॉच की नीति अमल में लाएं’- नटवर
UPA की मनमोहन सिंह की पहली सरकार में विदेश मंत्री और अतीत में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे 92 वर्षीय सिंह का कहना है कि, ‘फिलहाल भारत को ‘प्रतीक्षा करने और नजर रखने’ की रणनीति पर अमल करना चाहिए. सिंह ने यह भी कहा कि, ‘पिछले दिनों अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान 20 साल पहले के तालिबान के मुकाबले बेहतर दिखाई देता है’. नटवर सिंह के मुताबिक, ‘अफगानिस्तान से ‘भाग चुके’ राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ भारत के नजदीकी रिश्ते थे. हालांकि, हालात अब बहुत ज्यादा बदल चुके हैं. बेशक स्थिति ‘विपरीत नही’ है, लेकिन सांकेतिक मित्रता भी नहीं है. यही वजह है कि भारत सरकार बहुत सावधान है’.
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‘तालिबान से पहले ही करना चाहिए था संपर्क’
नटवर सिंह से जब ये पूछा गया कि क्या भारत को तालिबान के साथ पहले ही संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने इसका जवाब ‘हां’ में दिया. नटवर सिंह ने तालिबान के साथ अमेरिका के बातचीत करने का हवाला दिया उन्होंने कहा कि ‘अगर मैं विदेश मंत्री होता तो मैं उनके साथ संपर्क करता. मैं अपने तरीके से आगे बढ़ा होता और अपनी खुफिया एजेंसी से कहता कि चुपचाप संपर्क किया जाए.’
‘हम पाकिस्तान और चीन के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ सकते’
पूर्व विदेश मंत्री ने गुआंतानामे में क्यूबा के साथ अमेरिका के संपर्क किए जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि, ‘भारत को तालिबान के साथ संपर्क करना चाहिए था. कारण है कि ‘हम पाकिस्तान और चीन के लिए खुला मैदान नहीं छोड़ सकते’. इस सवाल पर कि क्या भारत को भी चीन की तरह तालिबान के साथ सार्वजनिक रूप से संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने कहा कि, ‘कम से कम विदेश सचिव के स्तर पर भारत को तालिबान के साथ खुले तौर पर संपर्क रखना चाहिए था’.
‘मौजूदा तालिबान पहले से बेहतर’
विदेश मामलों के ‘घाग जानकार’ नटवर सिंह के अनुसार मौजूदा तालिबान पहले के तालिबान से बेहतर नजर आता है. इसका कारण है कि वो लोग खुलेआम ‘हिंदू विरोधी’ थे. ये अभी भी पाकिस्तान के ज्यादा नजदीक हैं. लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि इस्लामाबाद उन्हें अपनी शर्तों पर चला सके.
‘हम अभी नहीं है खिलाड़ी की भूमिका में’
नटवर सिंह ने कहा कि, ‘पाकिस्तान ने तालिबान को वित्तीय मदद दी, फिर अमेरिका ने उन्हें हथियार दिए. यह बहुत जटिल स्थिति है लेकिन फिलहाल हम इसमें खिलाड़ी की भूमिका में नहीं है’. नटवर सिंह ने कहा कि, ‘भारत ने पिछले 10-12 साल में अफगानिस्तान में 300 करोड़ डॉलर खर्च किए हैं. अब यह सब चला गया है (तालिबान के आने के साथ) ही हिंसा शुरू हो चुकी है. लेकिन वे पहले के मुकाबले काफी बेहतर हैं. वे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं. वे दुनिया के बारे में पहले से अधिक जागरूक हैं’
‘अमेरिका को लेनी चाहिए जिम्मेदारी, सैनिक हटाकर रास्ता किया आसान’- नटवर
दिग्गज कांग्रेसी रहे और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का कहना है कि, ‘अमेरिका को बहुत सारी जिम्मेदारी लेनी होगी. इसका कारण है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने सैनिकों को हटाकर तालिबान के लिए वहां आना आसान कर दिया. नटवर सिंह ने अफगान संकट पर कहा कि, ‘अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ देने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है’