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लोकसभा चुनाव के रण में जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. एक ओर उम्मीदवारों का एलान किया जा रहा है तो दूसरी ओर बड़े नेताओं की सभाओं का सिलसिला शुरू हो गया है. इस गहमागहमी के बीच राजनीतिक दल स्थानीय स्तर पर समीकरणों को साधने की जद्दोजहद में जुटे हैं. ऐसी ही एक बड़ी कवायद राजस्थान में हो रही है. सूबे में सत्ताधारी कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल के बीच गठबंधन की चर्चा है.

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी यानी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के बीच गठबंधन का फॉर्मूला तय हो गया है. इसके अनुसार कांग्रेस 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और आरएलपी एक सीट पर अपना प्रत्याशी उतारेगी. गठबंधन के तहत नागौर सीट आरएलपी को मिलेगी. हालांकि बेनीवाल ने कांग्रेस के सामने तीन सीटों की डिमांड रखी थी. इनमें नागौर के अलावा बाड़मेर और पाली सीट शामिल थी, लेकिन कांग्रेस एक सीट देने के लिए ही तैयार हुई है. इस सीट से हुनमान के भाई नारायण बेनीवाल मैदान में उतर सकते हैं.

बता दें कि पिछले दिनों हनुमान बेनीवाल और अशोक गहलोत के बीच लंबी बातचीत हुई थी. इसके बाद बेनीवाल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से भी मुकालात की थी. कांग्रेस के इन दोनों दिग्गजों के सामने तो बेनीवाल तीन सीटों पर अड़े रहे, लेकिन बाद में मंत्री लालचंद कटारिया, विधायक महेंद्र चौधरी, विधायक चेतन डूडी और रिछपाल मिर्धा की ओर से की गई मान-मनौव्वल के बाद वे मान गए. यह भी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के बाद आरएलपी गहलोत सरकार में शामिल होगी और हनुमान बेनीवाल मंत्री बनेंगे.

कांग्रेस और हनुमान बेनीवाल के बीच गठबंधन की खिचड़ी पकने से खबर ने नागौर की राजनीति में खलबली मचा दी है. आपको बता दें, इस सीट से कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा दावेदार हैं. 2009 के चुनाव में उन्होंने यहां से जीत दर्ज की थी. हालांकि 2014 के चुनाव में ज्योति मोदी लहर के सामने टिक नहीं सकीं. उन्हें बीजेपी के सीआर चौधरी ने पटकनी दी. इस बार नागौर से ज्योति का टिकट तय माना जा रहा था, लेकिन हनुमान बेनीवाल से गठबंधन होने की स्थिति में उनका पत्ता साफ होना तय है.

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और आरएलपी के बीच गठजोड़ की भनक लगते ही ज्योति मिर्धा ने बीजेपी से संपर्क साधा है. अपनी सास के जरिए उन्होंने भाजपा नेतृत्व से बात की है. आपको बता दें कि ज्योति मिर्धा इंडिया बुल्स कंपनी की मालकिन हैं और उनकी सास बीजेपी में हैं. चर्चा के अनुसार बीजेपी उन्हें नागौर से मौका देने पर मंथन कर रही है.

गौरतलब है कि बीजेपी ने अभी तक इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. मौजूदा सांसद सीआर चौधरी को फिर से मौका देने का पार्टी के ज्यादातर स्थानीय नेता विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस के भीतर हनुमान बेनीवाल से गठबंधन का विरोध सिर्फ ज्योति मिर्धा ही नहीं कर रही हैं, बल्कि कई स्थानीय नेता भी इसके खिलाफ हैं. कहा जा रहा है कि विधायक मुकेश भाकर और रामनिवास पार्टी के इस निर्णय के खिलाफ बगावत कर सकते हैं.

गौरतलब है कि हनुमान बेनीवाल ने आरएलपी का गठन विधानसभा चुनाव से पहले किया था. उन्होंने चुनाव से पहले राजस्थान में आरएलपी को कांग्रेस और भाजपा से मुकाबले की तीसरी शक्ति के तौर पर खड़ी करने का दावा किया था, लेकिन चुनाव में केवल तीन सीटें जीत पाए. हालांकि कई सीटों पर उन्होंने कांग्रेस के समीकरणों को खराब कर दिया. बेनीवाल लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में यदि कांग्रेस उन्हें अपने साथ लेने में कामयाब हो जाती है तो पार्टी को चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है.

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