जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में राज्यपाल पद संभालने के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की तृणमूल कांग्रेस (TMC) को परेशान करने वाले काम करना शुरू कर दिया है. इस तरह का पहला काम उन्होंने गुरुवार को अचानक जादवपुर विश्वविद्यालय पहुंच कर किया, जहां वामपंथी कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) को घेर लिया था और बंधक बना लिया था. शाम को आठ बजे राज्यपाल बाबुल सुप्रियो को खुद बचाने पहुंच गए.

सुप्रियो डिजाइनर अग्निमित्र पॉल के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में भाग लेने जादवपुर विश्विद्यालय पहुंचे थे. वहां उन्हें काले झंडे दिखाए गए, उनके खिलाफ नारेबाजी हुई. विरोध करने वालों ने उन्हें न समारोह में भाग लेने दिया, न ही विश्वविद्यालय परिसर से बाहर जाने दिया. उनके साथ धक्कामुक्की भी हुई. वह बंधक बने रहे. सूचना मिलते ही राज्यपाल जगदीप धनखड़ उन्हें बचाने पहुंच गए थे. इससे पहले उन्होंने शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी की खिंचाई की. बाद में खुद विश्वविद्यालय पहुंचे और बाबुल सुप्रिया को अपने साथ विश्वविद्यालय से बाहर निकाल कर लाए. इस तरह राज्यपाल और ममता बनर्जी की सरकार के बीच एक नया मोर्चा खुल गया.

पार्थ चटर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल से अनुरोध किया था कि आपको वहां जाने की जरूरत नहीं है. सरकार को विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए कुछ समय दीजिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है राज्य में संवैधानिक दायित्व संभालने वाले राज्यपाल ने राज्य सरकार को दरकिनार करते हुए खुद केंद्रीय राज्यमंत्री को विश्वविद्यालय से बाहर लाने का काम किया. मुख्यमंत्री ने उनसे कई बार अनुरोध किया कि आपको वहां जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन वह नहीं माने.

इस घटनाक्रम के बाद जगदीप धनखड़ के कार्यालय से प्रेस बयान जारी हुआ, जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल जब जादवपुर विश्वविद्यालय में सुप्रियो को बचाने पहुंचे थे, तब तक घटनाक्रम की जानकारी मंत्री को नहीं थी. मुख्यमंत्री को सूचना दी गई थी. इसके बाद सुप्रियो को विश्वविद्यालय से बाहर निकालने के लिए राज्यपाल के पास खुद जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. सुप्रियो ने बताया कि राज्यपाल और डीजीपी/मुख्य सचिव के बीच क्या बातचीत हुई, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

राज्यपाल धनखड़ के अचानक विश्वविद्यालय पहुंच जाने से तृणमूल कांग्रेस बौखलाई हुई है. तृणमूल की ओर से जारी बयान में पार्थ चटर्जी के पक्ष का समर्थन किया गया है. पार्थ चटर्जी ने कहा था विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति की अनुमति के बगैर पुलिस नहीं भेजी जा सकती. राज्यपाल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल/कुलाधिपति ने मुख्यमंत्री से बात की थी. वह मुख्यमंत्री का सम्मान करते हैं, इसलिए उनके साथ हुई बातचीत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि परंपरा है कि राज्यपाल राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति की जानकारी प्रशासन से लेते हैं. कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है और कोई भी संकट होने पर उससे निपटना सरकार की जिम्मेदारी है. यह पहली बार हुआ है जब नए राज्यपाल सीधे तौर पर सत्तारूढ़ के खिलाफ मोर्चा खेल रहे हैं.

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