‘सलाहकारों’ पर भाजपाई दिग्गजों के निशाने पर ‘सरकार’, पूनियां बोले- कुर्सी बचाने के दबाव में गहलोत

सीएम 'सलाहकारों' पर सियासी घमासान, पूनियां बोले- 'होटलों में विधायकों से किए अनैतिक समझौते, अब दबाव में हैं सीएम गहलोत, कांग्रेस सरकार की मंत्रिमंडल की प्रसव पीड़ा 3 साल बाद भी नहीं हुई खत्म', राठौड़ ने चेताया- 'सलाहकारों के पास सरकारी फाइलें भेजना ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट' का उल्लंघन

'सलाहकारों' पर सियासी घमासान
'सलाहकारों' पर सियासी घमासान

Politalks.News/Rajasthan. सीएम सलाहकारों की नियुक्ति को लेकर मरुधरा की राजनीति भरी सर्दी में गरमा गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान किसी को भी सलाहकार बना सकता हूं, इस पर भाजपा आक्रामक हो गई है. भाजपा ‘प्रधान’ सतीश पूनियां ने तंज सकते हुए कहा कि, ‘सीएम गहलोत दबाव में हैं उन्हें अपनी कुर्सी बचाने के लिए सलाहकारों की नियुक्ति करनी पड़ रही है. अब अगर कोई गाड़ी और लाल बत्ती नहीं मिलेगी तो कोई फकीर ही इस पद को स्वीकार करेगा’. वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने संविधान और न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ जाकर सलाहकार बनाने का फैसला लिया है. किसी भी तरह की सरकारी फाइलों पर मुख्यमंत्री ऐसे सलाहकारों से सलाह नहीं ले सकते हैं. यह ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट कानून के प्रोविजन में स्पष्ट है’. अब सलाहकार पद पर सियासी संग्राम होना तय है.

सीएम पर सरकार बचाने वाले विधायकों को एडजस्ट करने का दबाव- पूनियां
भाजपा प्रदेश ‘प्रधान’ सतीश पूनियां ने आज सीएम सलाहकार मसले पर जमकर हमला बोला है. पूनियां ने कहा कि, ‘गहलोत ने सूर्यगढ़ पैलेस और फेयरमॉन्ट होटल की बाड़ेबंदी में अपनी कुर्सी बचाने के लिए जो अनैतिक समझौते और वायदे किए होंगे, उसके लिए सीएम पर दबाव है. सीएम ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए सलाहकार नियुक्त किए हैं. उन पर यह दबाव है कि सरकार बचाने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में एडजस्ट करें’.

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‘…तो कोई फकीर ही इस पद को करेगा स्वीकार’

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पूनियां ने कहा है कि, ‘भारत के संविधान और सुप्रीम कोर्ट ने कुल विधानसभा सदस्यों के 15 फीसदी को मंत्रिपरिषद में शामिल करने की इजाजत दी है. इस लिहाज से राजस्थान में 30 से ज्यादा विधायकों को मंत्रिमंडल में एडजस्ट नहीं किया जा सकता है. अब मुख्यमंत्री यू-टर्न करके डिफेंस ले रहे हैं कि वो अपनी मर्जी के मुताबिक कितने भी सलाहकार बना सकते हैं. लेकिन अब वो कितने ही सलाहकार बनाएं 2023 में कांग्रेस और अशोक गहलोत की नेचुरल तरीके से कतई वापसी नहीं होगी’. सीएम गहलोत पर निशाना साधते हुए पूनियां ने कहा कि, ‘मुख्यमंत्री ने जो सलाहकार बनाए हैं, इनका कोई संवैधानिक वजूद नहीं है. इन्हें गाड़ी-घोड़े-बंगले और भत्ते नहीं दे पाएंगे. इसलिए ये तो अब कागजी साबित होंगे. अब लगता है कोई फकीर ही इस पद को स्वीकार करेगा’.

‘मंत्रिमंडल की प्रसव पीड़ा को हो गए तीन साल’

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने सलाहकारों की नियुक्ति और संसदीय सचिवों की नियुक्ति की तैयारियों पर गहलोत सरकार को घेरते हुए कहा कि, ‘सामान्य प्रसव पीड़ा 9 महीने की होती है, लेकिन यहां मंत्रिमंडल की प्रसव पीड़ा को 3 साल हो गए. इसका मतलब सरकार बनने के 3 साल के बाद भी अंदरूनी कलह और विरोध खत्म नहीं हुआ है’. पूनियां ने कहा कि, ‘मंत्रिमंडल का फिर गठन होने से राजस्थान की जनता को कोई फायदा नहीं हुआ. यह पुरानी बोतल और नई शराब के अलावा कुछ नहीं है. पार्टी के भीतर भी असंतोष को सरकार नहीं रोक पाई है’.

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सरकारी फाइलों पर सलाह नहीं ले सकते सीएम, ये ऑफिशिय सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन- राठौड़

विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर हमला करते हुए कहा कि, ‘राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने असंतुष्ट विधायकों को संतुष्ट करने की मुहिम में कुछ ऐसे फैसले कर डाले जो लीगल नहीं हैं और संविधान के प्रोविजन के परे हैं. संविधान के आर्टिकल 164-1ए और आर्टिकल 191-1ए में स्पष्ट लिखा है कि विधानमंडल के कुल सदस्यों की संख्या के 15 फीसदी तक मंत्रिपरिषद के सदस्य हो सकते हैं’. राठौड़ ने आगे कहा कि, ‘किसी भी विधायक को लाभ का पद देते हैं, तो वह अयोग्य घोषित हो सकता है. संविधान और सुप्रीम कोर्ट के अलावा 5 हाईकोर्ट के फैसले यह कहते हैं कि मुख्यमंत्री ना तो अपने सलाहकारों को मंत्री का दर्जा दे सकते हैं, ना संसदीय सचिव नियुक्त कर सकते हैं’. सीएम सलाहकारों की नियुक्ति पर भड़कते हुए राठौड़ ने कहा कि, ‘सीएम सलाहकारों की नियुक्ति ना केवल असंवैधानिक है, बल्कि सलाहकारों से किसी तरह की सरकारी फाइलों पर मुख्यमंत्री सलाह नहीं ले सकते हैं. यह ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट कानून के प्रोविजन में स्पष्ट है’

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