Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में बिजली संकट एक महीने बाद फिर से गहरा गया है. बिजली उत्पादन इकाइयों में महज चार-पांच दिन का कोयला ही शेष रह गया है. जिससे ये हालात बने हैं. बिजली डिमांड और सप्लाई में अंतर बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती बढ़ गई है, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कई-कई घंटे तक बिजली गुल हो रही है. चिंता यह है कि नवरात्र, दीपावली जैसे त्यौहारी सीजन में बिजली उपलब्धता भी रखनी होगी. इस पूरे हालात पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कहा है कि, ‘प्रदेशवासियों को बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित रखना साफ़तौर पर राज्य सरकार का फ़ेल्योर है’. बात करें उपभोक्ताओं की तो वो इसे कोढ़ में खाज बता रहे हैं. प्रदेश में बढ़े हुए बिजली के बिल से सभी परेशान हैं. अब बिजली की कटौती ने आमजन का गुस्सा भड़का दिया है. इधर ‘बिजली‘ मंत्री बीड़ी कल्ला कह रहे हैं कि कोयले की कमी की वजह से ये हालात बने हैं जो कि एक सप्ताह में सही हो जाएंगे.
हमारी सरकार में मिलती थी 24 घंटे बिजली अब 24 मिनट भी नहीं- मैडम राजे
प्रदेश में भारी भरकम बिजली बिलों के बाद भी जारी बिजली कटौती को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मैडम राजे ने कहा कि, ‘जो घरेलू बिजली हमारे सरकार के कार्यकाल में 24 घंटे मिला करती थी, वही आज गांवों में 24 मिनट भी नहीं मिल रही है. गांवों में ही नहीं बिजली कटौती से शहरों में भी आमजन परेशान हैं. राजस्थान के कई बिजली घर बंद हैं और कई बंद होने की स्थिति में आ गए हैं. प्रदेश में आज विद्युत संकट गहरा गया है. इस कारण हमारे उद्योग तो प्रभावित हो ही रहे हैं, किसानों की खेती और बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ रहा है’.
‘हमारे समय में दाम थे कम बिजली थी फुल‘
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आगे कहा है कि, ‘राज्य सरकार ने कोयले का भुगतान सही समय पर नहीं किया इसलिए आज यह परेशानी खड़ी हो गई है. कोयले की कमी के कारण ही आज प्रदेश में पर्याप्त बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा. जबकि हमारे समय में कोयले का समय पर भुगतान होने की वजह से कोयले की कभी कमी नहीं आई और ये ही कारण था कि उस वक़्त बिजली उत्पादन निर्बाध रूप से होता रहा. मैडम राजे ने कहा कि, ‘उस वक़्त हमारा बिजली प्रबंधन इतना सुदृढ था कि बिजली की कमी आना तो दूर की बात उल्टा बिजली सरप्लस तक रहती थी. आज हालत ये हैं कि अब न आम उपभोक्ता को पर्याप्त बिजली मिल रही और न ही किसानों और इण्डस्ट्री को’. मैडम राजे ने गहलोत सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा कि, ‘इन सब से एक बात तो स्पष्ट है कि हमारे समय में दाम कम बिजली फुल थी. लेकिन अब दाम ज्यादा और बिजली गुल है.
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प्रदेश के बिजली संकट पर एक नजर
आपको बता दें, राजस्थान में बिजली संकट फिर से गहरा गया है. बिजली उत्पादन इकाइयों में महज चार-पांच दिन का कोयला ही शेष रह गया है. जिससे ये हालात बने हैं. बिजली डिमांड और सप्लाई में अंतर बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती बढ़ गई है, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कई-कई घंटे तक बिजली गुल हो रही है. चिंता यह है कि नवरात्र, दीपावली जैसे त्यौहारी सीजन में बिजली उपलब्धता भी रखनी होगी. फिलहाल बिजली संकट के समाधान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है, जिस कारण सैकड़ों गांवों में 24 घंटे के अंदर टुकड़ों में छह से सात घंटे तक बिजली गुल हो रही है. ग्रामीण इलाकों में आमजन जमकर कटौती किए जाने का आरोप लगा रहे हैं. राजस्थान ऊर्जा विकास निगम के लोड डिस्पेच सेंटर से प्रदेशभर में जीएसएस पर मौखिक रूप से अघोषित कटौती के मैसेज दिए जा रहे हैं. गौरतलब है कि, प्रदेश में अभी बिजली की मांग दो हजार लाख यूनिट के आसपास है, लेकिन त्योहारी सीजन को देखते हुए मांग और बढ़ेगी. वहीं कोयला संकट को लेकर अफसरों का कहना है कि जिन बिजलीघरों में कोयला स्टॉक कम रह गया है, वहां उत्पादन घटा दिया गया है.
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एक सप्ताह में सुधर जाएंगे हालात- बीडी कल्ला
इधर ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला का कहना है कि, ‘एक सप्ताह के अंदर बिजली कटौती सुधर जाएगी. भारी बारिश के चलते कोयले की खदानों में पानी भरा हुआ है, इसलिए राजस्थान सहित देशभर में कोयले की कमी बनी हुई है. प्रदेश में भी कोयले की आपूर्ति बाधित होने से बिजली संकट गहराया है.
बढ़े बिजली की बिलों के बीच कटौती कर रही कोढ़ में खाज का काम
अब बिजली संकट पर राजनीति अपनी जगह है. लेकिन इसके चलते जो लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है, उसका हर्जाना कौन भुगतेगा? वहीं प्रदेश में गहलोत सरकार के आने के बाद से लगातार आ रहे बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर आमजन में काफी असंतोष है और अब इस पर यह घण्टों-घण्टों की बिजली कटौती कोढ़ में खाज का काम कर रही है.