Politalks.News/Rajasthan. कांग्रेस आलाकमान का संदेश लेकर कल देर रात जयपुर आए पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन आज पीसीसी में पदाधिकारियों और कुछ विधायकों के साथ बैठक कर वापस दिल्ली लौट गए. इस दौरान अजय माकन ने आगामी 28-29 जुलाई को सभी कांग्रेस विधायकों को जयपुर में रहने के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद यह माना जा रहा है कि 28 जुलाई को गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार-फेरबदल कर दिया जाएगा. वहीं इस दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट समर्थक कार्यकार्ताओं ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की.
आपको बता दें, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में हुई इस मीटिंग में राजस्थान पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलावा गहलोत सरकार का समर्थन कर रहे कुछ निर्दलीय विधायक और पायलट खेमे के विधायक और पार्टी पदाधिकारी शामिल हुए.
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हालांकि, बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा कि, ‘मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला आलाकमान पर छोड़ा गया है, 28 और 29 जुलाई को विधायकों से संवाद किया जाएगा, सभी विधायकों से वन-टू-वन संवाद किया जाएगा, इसलिए दो दिन सभी विधायकों को जयपुर में रहने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन राजनीति में जो दिखता है वो होता नहीं हैं, जब वेणुगोपाल और माकन आलाकमान का संदेश लेकर जयपुर आए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी के हर फैसले को मानने की बात कह दी तो अब विधायकों से संवाद करने का कोई तुक नहीं रह जाता. वहीं ऐसा भी नहीं है कि माकन ने विधायकों से संवाद किया नहीं है कभी, हाल ही में माकन ने सभी विधायकों से संभाग स्तर पर जाकर संवाद किया था. ऐसे में अब कोई कारण नहीं रह जाता कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कोई रुकावट बची हो.
आपको बता दें, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ शनिवार देर रात तक चली लम्बी मुलाकात के सीएम गहलोत ने बयान दिया कि आलाकमान यानी सोनिया गांधी जो फैसला लेंगीं वो उन्हें मंजूर होगा. मुख्यमंत्री गहलोत के इस बयान के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद तेज हो गई है. इसके साथ ही GAD और राजभवन के सूत्रों से भी यही निकल कर आ रहा है कि 27 या 28 तारीख को ध्यान में रखकर राजभवन में तैयारियां शुरू कर दी गईं हैं.
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इससे पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट आज जब पीसीसी पहुंचे थे तो पायलट के समर्थन में यहां जमकर नारेबाजी हुई थी. वहां पायलट के जयकारों से पीसीसी पूरा गूंज गया, जब इसकी जानकारी बैठक में मौजूद सचिन पायलट को दी गई तो उन्होंने अपने समर्थक नेताओं को बाहर भेजकर कार्यकर्ताओं को शांत कराया. वहीं पायलट कैंप के विधायक मुकेश भाकर ने कहा था कि सचिन पायलट जनता जनार्दन के दिल में बसते हैं और लोकतंत्र में सबसे बड़ी पावर जनता के पास होती है और इस समय जनता सचिन पायलट के साथ है’. वहीं बांदीकुई विधायक जीआर खटाना ने कहा कि, ‘अब फैसले का समय आ गया है, एक साल की देरी हो चुकी है अब और देरी नहीं की जानी चाहिए. कई दिनों की चुप्पी के बाद पायलट कैंप के विधायकों ने आज खुलकर पायलट के समर्थन में बयान दिए.
वहीं गहलोत कैंप के सिपहसालार और मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने कहा कि, ‘मंत्रिमंडल फेरबदल विस्तार एक सामान्य और स्वाभाविक प्रक्रिया है. शायद ही हो कोई ऐसी सरकार जिसमें पूरे पांच साल में मंत्रिमंडल फेरबदल नहीं हुआ हो. हाईकमान के दिशा-निर्देशों के अनुसार सत्ता और संगठन ने अब तक अच्छा काम किया है, आगे भी हाईकमान के दिशा निर्देश सभी स्वीकार्य होंगे’.
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इन सबके बीच, राजस्थान और कांग्रेस की राजनीति को जानने वालों का कहना है कि कांग्रेस की रीति रही है कि किसी को भी अगर मुख्यमंत्री बनाया जाए तो उसके पास दो चीजें होना जरूरी है. पहला तो विधायकों का समर्थन दूसरा दिल्ली आलाकमान का आशीर्वाद. वहीं ऐसा माना जाता रहा है कि कांग्रेस में किसी के भी समर्थन में प्रभारी या केन्द्रीय पदाधिकारी के सामने नारेबाजी करना आलाकमान का अपमान माना जाता रहा है. कुछ कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पायलट समर्थकों ने ये काम करके पैर पर कुल्हाड़ी मारी है. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब पायलट समर्थक कार्यकर्ताओं ने इस तरह किसी पार्टी पदाधिकारी के सामने नारेबाजी की हो, इससे पहले राहुल गांधी के प्रदेश दौरे के दौरान जब पायलट को ट्रेक्टर से नीचे उतारा गया था तब भी समर्थक कार्यकर्ताओं ने राहुल के सामने ही नारेबाजी की थी. सचिन पायलट ने वहां कई मौकों पर आगे बढ़कर अपने समर्थकों को चुप करवाया है.
वहीं प्रदेश में होने वाले गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जानकार सूत्रों की माने तो राजस्थान के कुछ मौजूदा मंत्रियों की परफोरमेंस के आधार पर विदाई हो सकती है., तो पायलट कैंप को एडजस्ट किया जाएगा. हालांकि इन सभी फैसलों का ऐलान कांग्रेस हाईकमान की अनुमति के बाद ही किया जाएगा. राजस्थान मंत्रिमंडल के मौजूदा हिसाब से गहलोत सरकार में 9 और मंत्री बनाए जा सकते हैं.