one nation one election
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One-nation, one-election: केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक बुलाया है. बताया जा रहा है कि इस विशेष सत्र में केंद्र की मोदी सरकार ‘एक देश एक चुनाव’ पर बिल लेकर आ सकती है. इस बिल के जरिए केंद्र सरकार चाहती है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. अब इस बात पर पूरी तरह से मुहर भी लगती दिखाई दे रही है. दरअसल, एक देश एक चुनाव पर केंद्र सरकार ने कमेटी बना दी है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (2017-2022)को इसका अध्यक्ष बनाया गया है. केंद्र की बनाई कमेटी एक देश एक चुनाव के कानूनी पहलुओं पर गौर करेगी. विशेष सत्र बुलाने और एक देश एक चुनाव पर कमेटी बनाने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र की मंशा पर सवाल उठाया है और निशाना साधा है.

देश में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर बहस काफी समय से चल रही है. इसी साल जनवरी में लॉ कमीशन ने इसे लेकर राजनीतिक दलों से छह सवालों के जवाब मांगे थे. एक तरफ मोदी सरकार इसे लागू कराना चाहती है. वहीं कई राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं. गौरतलब है कि आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे. इसके बाद 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गई. उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई. इससे एक साथ चुनाव की परंपरा टूट गई. कमोबेश यह माना जा सकता है कि एक देश एक चुनाव होने से केंद्र की सरकारों को सीधे तौर पर फायदा पहुंचता है और मौजूदा समय में कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी गठबंधन के मुकाबले मोदी सरकार की स्थिति केंद्र में काफी मजबूत है.

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विशेष सत्र बुलाने को लेकर ‘अधीर हुए राहुल’

लोकसभा का 5 दिवसीय विशेष सत्र बुलाने को लेकर राहुल गांधी और नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने खासी नाराजगी जाहिर की है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘ये घबराहट में किया गया है. इस तरह के पैनिक में मेरी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. ये मामले पीएम मोदी के बहुत ही नजदीक हैं . जब भी अडानी के मामले पर बात करते हैं, पीएम मोदी घबरा जाते हैं और नर्वस होने लगते हैं.’

इधर, लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आखिर एक देश एक चुनाव की सरकार को अचानक जरूरत क्यों पड़ गई.

वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया, 18 से 22 सितंबर तक दोनों सदनों का विशेष सत्र रहेगा. यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा. इसमें 5 बैठकें होंगी. जोशी ने यह भी कहा कि सत्र बुलाने के पीछे कोई एजेंडा नहीं है. उन्होंने जानकारी के साथ पुराने संसद भवन की फोटो शेयर की है. माना जा रहा है कि सत्र पुराने संसद भवन से शुरू और नए में खत्म होगा.

राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव गुट) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने पर नाराजगी जताई है . उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार गणेश उत्सव के दौरान बुलाया गया. विशेष बैठक का आह्वान हिंदू भावनाओं के खिलाफ है.

5 दिवसीय विशेष सत्र में होने वाली संभावनाएं

1. लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने का बिल आ सकता है.
2. नए संसद भवन में शिफ्टिंग.
3. यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश हो सकता है.
4. महिलाओं के लिए संसद में एक-तिहाई अतिरिक्त सीट देना.
5. आरक्षण पर प्रावधान संभव. (OBC की केंद्रीय सूची के उप-वर्गीकरण, आरक्षण के असमान वितरण के अध्ययन के लिए 2017 में बने रोहिणी आयोग ने 1 अगस्त को राष्ट्रपति को रिपोर्ट दी है.)

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