पॉलिटॉक्स न्यूज/राजस्थान. राजस्थान पुलिस ने एक बेहद ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी को खो दिया. प्रदेश के चूरू जिले के सादुलपुर विधानसभा क्षेत्र के राजगढ़ थानाधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई ने शनिवार को अपने सरकारी क्वाटर में आत्महत्या कर ली. थानाधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई मूल रूप से गंगानगर जिले के रायसिंहनगर के लूनावाला गांव के निवासी थे. लिखमेवाला गांव में उनका ससुराल है. परिवार में चार भाई और एक बहन है. विष्णु के माता पिता गांव में ही रहते हैं उनके एक पुत्र और एक पुत्री हैं जो कि विष्णुदत्त के साथ बीकानेर की व्यास कॉलोनी में रहते थे. विष्णुदत्त ने राजगढ़ थाना प्रभारी के तौर पर 19 सितंबर 2019 को पदभार ग्रहण किया था.
शनिवार को थानाधिकारी के द्वारा की गई आत्महत्या की खबर के बाद प्रदेश के राजनीतिक गलियारों और प्रशासनिक हल्कों में जबरदस्त खलबली मच गई और राजगढ़ थाने के बाहर स्थानीय लोगों और भाजपा नेताओं का हुजुम उमड पडा. विष्णुदत्त को जानने वाला हर शख्स स्तब्ध था कि विष्णुदत्त जैसे निडर और ईमानदार पुलिस अधिकारी आत्महत्या कैसे कर सकता है?
आइए जानते हैं विष्णुदत्त के आत्महत्या की पूरी कहानी और राजनीतिक घटनाक्रम…
शनिवार सुबह थानधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई का शव राजगढ़ थाना परिसर स्थित अपने सरकारी आवास पर फंदे से झूलता मिला. पुलिस ने आत्महत्या का दावा किया लेकिन सबसे मन में केवल एक ही सवाल कि विष्णुदत्त जैसा निडर, जाबाज, ईमानदार अधिकारी कैसे आत्महत्या कर सकता है? वो इसलिए कि विष्णुदत्त को दबंग और ईमानदार व्यक्त्वि की वजह से जाना जाता था. इस घटना के पीछे राजनीतिक लोगों की मिलीभगत के कयास भी लगाए जाने लगे. ऐसे में राजगढ़ थाने के बाहर इकट्ठे हुए लोग विष्णुदत्त विश्नोई की आत्महत्या की न्यायायिक जांच की मांग कर नारेबाजी करने लगे. ऐसा शायद पहली बार ही हुआ हो कि किसी पुलिस अधिकारी के लिए लोगों ने ऐसे नारे लगाए हों कि “विष्णुदत्त इंसान नहीं भगवान थे…”
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वहीं थानाधिकारी की आत्महत्या की खबर सामने आने के बाद हाईकोर्ट के वकील गोवर्धन सिंह ने थानेदार विष्णुदत्त विश्नोई के साथ घटनाक्रम के एक दिन पहले ही वाट्सअप चैट सार्वजनिक कर दी जिसमें विष्णुदत्त अपने करीबी दोस्त वकील गोर्वधन सिंह से कह रहे हैं…
विष्णुदत्त: सर हमें भी गंदी राजनीति के भंवर में फंसाने की कोशिश हो रही है राजगढ़ में.
गोवर्धन सिंह: दु:खद है, आप जयपुर आ जाओ… आपको हर ईमानदार अधिकारी लेना चाहता है.
विष्णुदत्त: मैं स्वैच्छिक सेवानिवृति की एप्लीकेशन दे रहा हूं…
गोवर्धन सिंह: अरे नहीं सर.. राजस्थान का भारी नुकसान हो जाएगा… आपसे बहुत लोगों की आस जुड़ी हुई है…
विष्णुदत्त: नहीं सर, सोच लिया है.. बहुत गंदी राजनीति है और ऑफिसर बहुत कमजोर है.
गोवर्धन सिंह: मैं मिलने आता हूं सर आपसे… आप चिन्ता न करें. आपका छोटा भाई सक्षम हालात में है.
एक अन्य चैट भी गोवर्धन सिंह ने साझा कि जिसमें विष्णु कह रहे है ”एमएलए बहुत बकवास है… पुलिस स्टेशन की नई बिल्डिंग बनवाई. मैंने कहा टोटल 41 लाख लगे लेकिन एमएलए बोल रही है कि 5 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया 1.5 करोड़ लगे और 3.5 करोड़ मैं खा गया… आज तक एक रुपया रिश्वत नहीं ली मैंने...”
विष्णुदत्त ने आत्महत्या करने से पहले दो अलग अलग सुसाइड नोट भी लिखे. एक अपने माता पिता के नाम तो दूसरा चूरू पुलिस अधिक्षक के नाम. अपने माता पिता को लिखे मार्मिक नोट में विष्णुदत्त ने लिखा, ‘परम आदरणीय मां पापा मैं आपका गुनहगार हूं. इस उम्र में दुख देकर जा रहा हूं. उमेश, मंकू और लक्की मेरे पास कोई शब्द नहीं है आपको बीच मझधार में छोड़ कर जा रहा हूं. पता है ये कायरों का काम है.. बहुत कोशिश की खुद को संभालने की पर शायद गुरु महाराज ने इतनी सांसे लिखी थी. उमेश.. दोनों बच्चों के लिए मेरा सपना पूरा करना, संदीप भाई पूरे परिवार को संभाल लेना प्लीज.. मैं खुद गुनहगार हूं. आपका सबका विष्णु.’
दूसरे सुसाइड नोट में विष्णुदत्त ने पुलिस अधीक्षक चूरू को लिखा, ”आदरणीय एसपी मैम.. माफ करना प्लीज, मेरे चारों तरफ इतना प्रेशर बना दिया गया कि मैं तनाव नहीं झेल पाया. मैंने अंतिम सांस तक मेरा सर्वोत्तम देने का राजस्थान पुलिस को प्रयास किया. निवेदन है कि किसी को परेशान नहीं किया जाए. मैं बुजदिल नहीं था.. बस तनाव नहीं झेल पाया. मेरा गुनहगार मैं स्वयं हूं.’
इस चैट और सुसाइड नोट के वायरल होने के बाद प्रदेश की राजनीति में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया. इस घटना को लेकर विपक्ष ने जमकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा. साथ ही निष्पक्ष जांच की मांग की. इस पूरे घटनाक्रम में सादुलपुर विधायक और कांग्रेस नेता कृष्णा पूनिया की भूमिका भी संदेह के घेर में आ खड़ी हुई और उनपर सवाल उठने लगे.
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थानाधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई की मौत ने प्रदेश में सियासी हवा को रफ्तार दे दी और प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने वस्तुस्थिति जांचने के लिए उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ एवं चूरू सांसद राहुल कस्वां को राजगढ़ भेजा. विधायक राठौड़ और सांसद कस्वा राजगढ़ पहुंचकर थाने के बाहर निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे लोगों के साथ धरने पर बैठ गए. इसी बीच थानाधिकारी विष्णुदत्त के झूलते शव को शनिवार देर रात नीचे उतारा गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए चूरू भेजा गया. शव को देरी से उतारने और पोस्टमार्टम के लिए चूरू भेजने पर थाना परिसर में भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ व भाजपा कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताते हुए हंगामा भी किया. इसी बीच एक बीजेपी कार्यकर्ता को परिसर से बाहर भेजने की बात पर राजेन्द्र राठौड़ और चुरू एससी एसटी सेल के डीएसपी के बीच काफी गर्मा-गर्मी भी हुई.
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सादुलपुर विधायक कृष्णा पूनिया को विष्णु दत्त की आत्महत्या का जिम्मेदार ठहरा दिया. राठौड़ ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक की झूठी शिकायतों के कारण विश्नोई ने आत्महत्या की है. इधर सांसद कस्वा ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी करने तथा पूरे प्रकरण की सच्चाई सामने लाने की भी मांग की. हालांकि कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया ने सभी आरोपों का खंडन किया और राठौड़ पर पलटवार करते हुए कहा कि वे पहले अपना राजनीतिक इतिहास देख लें.
बरहाल विष्णुदत्त आत्महत्या प्रकरण में नया मोड रविवार सुबह तब आया जब राजगढ़ पुलिस थाने के पूरे स्टाफ ने बीकानेर आईजी को एक सामूहिक पत्र लिखकर स्वैच्छिक स्थानांतरण की मांग कर दी. पत्र में साफ साफ स्थानीय विधायक कृष्णा पूनिया व उनके कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए स्थानांतरण करवाने की मांग की गई है.
पत्र में लिखा, ‘राजगढ़ थाना अधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई की मौत के बाद थाने का पूरा स्टाफ भयभीत है और आत्महत्या की जो घटना हुई है, उससे हम सभी का मनोबल पूरी तरह टूट चुका है. आए दिन रोजमर्रा की ड्यूटी करते समय छोटी-छोटी बातों को लेकर सादुलपुर विधायक व उनके कार्यकर्ता उच्चाधिकारियों को झूठी शिकायत करते थे. हाल ही में थाने के हेड कांस्टेबल सज्जन कुमार, इंद्र, कांस्टेबल राजेश व चालक मनोज को झूठी शिकायतों के चलते चूरू पुलिस लाइन में लगा दिया गया. इसलिए हम सभी का राजगढ़ पुलिस थाने से स्थानांतरण किसी अन्य थाने में कर दिया जाए ताकि आज जो घटना घटित हुई है उसकी पुनरावृत्ति ना हो.’
इस पत्र के सामने आने के बाद आत्महत्या की वजह की सूई स्थानीय विधायक की ओर घूम गई. इधर, व्यापक विरोध एवं धरना प्रदर्शन के बीच परिजन व अन्य स्थानीय नेतागण इस मामले की न्यायिक जांच सहित अन्य मांगे पूरी नहीं होने तक शव का पोस्टमार्टम नहीं करने देने की मांग पर अड़े रहे. प्रशासन ने परिजनों से बातचीत करके उनकी सभी मांगे मान लेने और एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने के आश्वासन के बाद पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी करने का आग्रह किया. इसके बाद थानाधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई के शव का पोस्टमार्टम किया गया और पुलिस सम्मान के साथ विष्णुदत्त विश्नोई का शव परिजनों को सुपुर्द किया गया. इसके बाद मृतक थानेदार विष्णुदत्त का श्रीगंगानगर के लूणेवाला गांव में रविवार शाम अंतिम संस्कार किया गया.
अब इस आत्महत्या प्रकरण को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में पूरे मामले की सीबीआई या एसआईटी से जांच करवाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता अधिवक्ता सोनिया गिल का कहना है कि मामले की जांच सीबीआई से होना जरूरी है ताकि राजनीतिक दबाव के साथ ही सच्चाई सामने आ सके. थानेदार पर दबाव बनाने वाले पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक व्यक्तियों पर भी कार्रवाई करने की मांग की गई है.
इधर, विष्णुदत्त विश्नोई के करीबी दोस्त एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर अपील करते हुए कहा, ‘राजस्थान का एक भी विधायक या सांसद ऐसा बच नहीं जाए जिससे हम आज सीएम अशोक गहलोत के नाम से, सीबीआई जांच का पत्र नहीं ले सकें. पुलिस के भी लाखों लोग, आज सभी नेताओं से ऐसा पत्र मांगेंगे. आज पुलिस के लोगों सहित राजस्थान के सभी नागरिक, हाथ जोड़कर इन नेताओं से पत्र लेगी और उक्त पत्र सोशल मीडिया पर डालेंगे. जो पत्र देने से इनकार करे या आनाकानी करे, उन विधायकों और सांसदो की फोटो भी सोशल मीडिया पर डालनी है और जनता को यह बताना भी है कि उक्त विधायक या सांसद सीबीआई जांच नहीं चाहते हैं. उक्त पत्र लेने और ऐसा पत्र देने की होड़ मच जानी चाहिए.’
अब तक का घटनाक्रम और सामने आ रहे पत्र व चैट तो यही इशारा कर रहे हैं कि कर्तव्यनिष्ठ और दबंग थानाधिकारी रहे विष्णुदत्त विश्नोई गंदी राजनीति व ताकतवर अपराधियों के शिकार हुए हैं. देश में राजनेताओं द्वारा पुलिस सिस्टम को कैसे प्रभावित किया जाता है यह भी किसी भी से छुपा नहीं है. सावर्जनिक हुई चैट और पत्र में भी विष्णुदत्त ने गंदी राजनीति में फंसाने की बात कही है. उससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि थानाधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई किस हद तक प्रताडित होकर तनाव में थे. ऐसे में इस मामले में अभी कई परतें और खुलने की पूरी संभावना है. साथ ही कई आला दर्जे के अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है.