भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में चल रहे मंदी का दौर थामने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने फौरी उपाय करते हुए कॉर्पोरेट कंपनियों को अच्छी राहत दी है. इसके साथ ही शेयर बाजार में जबर्दस्त बढ़त देखी गई और सूचकांक अचानक 5.3 फीसदी ऊपर चढ़ गया. सेंसेक्स में एक दशक में पहली बार एक दिन में 1921.15 अंकों की बढ़त के साथ 38,014.62 अंकों पर बंद हुआ. इस बीच दिन भर के कारोबार के दौरान एक बार सेंसेक्स ने अब तक की सर्वोच्च 22 फीसदी बढ़त बना ली थी. इसी तरह निफ्टी भी 5.32 फीसदी बढ़त के साथ 11,274.20 अंकों पर बंद हुआ. इस तरह निफ्टी में 569.40 अंकों की बढ़त दर्ज हुई. कुल मिलाकर यह कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए दीवाली मनाने का मौका है. दीवाली नजदीक ही है.
निर्मला सीतारमण के फैसले को अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पांचवां बूस्टर डोज माना जा रहा है. मीडिया में तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि कॉर्पोरेट टैक्स घटने से नौकरियां जाने का खतरा टलेगा, मांग और निर्माण में संतुलन बनेगा, मकानों की बिक्री भी बढ़ने की उम्मीद है. कॉर्पोरेट कंपनियों को छूट मिलने से बैंकों के में फंसा हुआ कर्ज वापस लौटने की उम्मीद बनेगी, पैसा आने पर बैंक ज्यादा कर्ज बांट सकेंगी. राहत मिलने के बाद कई कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतें घटा सकेंगी. दीवाली के त्योहारी सीजन में बाजार में मांग बढ़ेगी. टैक्स की दरें बदलने से स्टार्ट आप और एसएमएसई क्षेत्र में नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
कॉर्पोरेट टैक्स कम होने से कंपनियां अपना विस्तार कर सकेंगी, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. विदेश कंपनियां भारत आ सकेंगी और नई कंपनियां भी शुरू हो सकती है. वाहन उद्योग को राहत मिलने से वे वाहनों की बिक्री के लिए नए ऑफर ला सकती हैं. त्योहारी सीजन से ठीक पहले हुई इन घोषणाओं से निवेश बढ़ेगा और घरेलू उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी. बाजार में सुधार होगा.
वित्त मंत्री के कदम से एक तरफ जहां इतने फायदे बताए जा रहे हैं, वहां कुछ सवाल भी हैं. इंडियन एक्सप्रेस में पी वैद्यनाथन अय्यर ने लिखा है कि इस उपाय से अर्थव्यवस्था को कितना सहारा मिलेगा कह नहीं सकते, लेकिन सरकार को मिलने वाला राजस्व काफी कम हो जाएगा. पहल कॉर्पोरेट टैक्स 40 फीसदी था, जो 15 साल बाद 2004-05 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने ड्रीम बडट में यह टैक्स घटाकर 35 फीसदी कर दिया था. इसके सात साल बाद कॉर्पोरेट टैक्स 35 से घटाकर 30 फीसदी कर दिया गया था. निर्मला सीतारमण ने इसे 8 फीसदी और घटाकर 22 फीसदी करने की घोषणा की है. इस साथ ही नई कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स घटाकर 15 फीसद कर दिया गया है.
निर्मला सीतारमण के इस कदम की क्रिकेट से तुलना करते हुए कहा गया है कि उन्होंने गेंद को मैदान से बाहर पहुंचाते हुए छक्का लगाया है, लेकिन अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इस तरह के और छक्के लगाने लगाने की जरूरत है, जिससे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को पूरा किया जा सके. इसके लिए रन गति हर साल औसतन 14-15 फीसदी बढ़ना जरूरी है. सरकार ने 1,45,000 करोड़ रुपए के घाटे के बावजूद कॉर्पोरेट टैक्स में बड़े पैमाने पर कटौती कर दी है, जो जीडीपी के एक फीसदी से कुछ कम है.
निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के बाद चार महीने के भीतर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब तक पांच बड़े कदम उठा चुकी हैं. विदेशी कंपनियों के भारत में निवेश के लिए सरचार्ज समाप्त कर दिया गया है. बड़े बैंकों का विलय करते हुए निर्यात को बढ़ावा देने के उपाय किए गए हैं. इन से कोई भी उपाय अर्थव्यवस्था की मौजूदा सेहत सुधारने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. इनसे बाजार में मांग बढ़ाने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी. लेकिन इन उपायों के बगैर अर्थव्यवस्था सुधरेगी, यह भी सुनिश्चित नहीं होता है. भले ही यह मंदी चक्रीय हो या ढांचागत, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी सुब्रमण्यम और डी सुब्बाराव ने भी संदेह जताया है कि इससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल सकती है.
अर्थव्यवस्था का ढांचा सुधारने के लिए भूमि एवं श्रम सुधारों की आवश्यकता है. अगर भूमि की उपलब्धता और उसकी कीमतों में संतुलन नहीं होगा तो इन उपायों से ज्यादा मदद मिलने वाली नहीं है. अय्यर का सवाल है कि कॉर्पोरेट कंपनियों का ज्यादा पैसा उपलब्ध कराने का क्या मतलब है? इससे सिर्फ कंपनियों को अपना बहीखाता सुधारने में मदद मिलेगी नए निवेश की संभावना नहीं बनेगी. एक तरह से यह निजी कर्जों को हलका करने का प्रयास ही है, जिससे कंपनियों को नए सिरे से उधार लेने का मौका मिल सकता है.
अब तक सरकार अर्थव्यवस्था को चक्रीय मानते हुए उसी हिसाब से प्रयास करती दिख रही है. मंदी को थामने के लिए वह वित्तीय नीतियों में भी फेरबदल कर रही है. ऐसे में सरकार को अपने संसाधन बढ़ाने के लिए घाटे में जा रही संपत्तियों को बेचने की जरूरत है. जिन उपक्रमों का व्यापार नहीं बढ़ रहा है, जो बाजार में प्रतियोगिता में आने की स्थित में नहीं है, सरकार को उनसे पीछा छुड़ाना चाहिए.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया है कि सरकार ने सेंसेक्स में उछाल पैदा करने के लिए और मंदी से ध्यान हटाने के लिए उपाय घोषित किए हैं, जिनसे आम आदमी को एक पैसे की राहत नहीं मिलेगी. राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ह्यूस्टन में अपने कार्यक्रम हाउडी शो को लोकप्रिय बनाने के लिए यह कदम उठाया है, जिससे पतन की ओर जा रही अर्थव्यवस्था को कोई सहारा मिलने की उम्मीद नहीं है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का स्वागत किया है, लेकिन यह भी कहा है कि इससे निवेश की स्थिति सुधरने की उम्मीद बहुत कम है. आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने निजी निवेश में बढ़ोतरी की उम्मीद में यह कदम उठाया है, लेकिन बाजार में मांग और उपभोग में संतुलन बनाने के लिए सार्वजनिक निवेश की जरूरत है.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में आर्थिक विपत्ति भी साथ लेकर आई है. टैक्स में कमी करने से सरकार को हर साल 1.45 लाख करोड़ रुपए का घाटा होने का अनुमान है. सरकार को यह खुलासा करना चाहिए कि इस घाटे की भरपाई कैसे होगी. सरकार किसानों, आम लोगों पर पेट्रोल, डीजल, बिजली और अन्य घरेलू उत्पादों के रूप में लगातार टैक्स बढ़ा रही है. वेतनभोगी लोगों और मध्यमवर्गीय लोगों को इन उपायों से कोई राहत नहीं मिलने वाली है.
माकपा का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अमेरका यात्रा से पहले विदेशी संस्थागत निवेशकों को लुभाने के लिए यह कदम उठाया है. इससे अर्थव्यस्था में अपेक्षित सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती.