पॉलिटॉक्स न्यूज. केरल के मल्लपुरम में एक गर्भवती मादा हाथी की मौत (Kerala Elephant Death) पर घमासान अभी तक खत्म नहीं हुआ है. बीते दिन बीजेपी के कई नेताओं ने इस मामले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को भी घेरा और उनसे जिम्मेदारी लेने को कहा. आज बीजेपी सांसद मेनका गांधी (Maneka Gandhi) ने पशु हिंसा पर केरल सरकार को आड़े हाथ लेते हुए वहां स्थित मंदिरों पर निशाना साध दिया और मंदिरों पर ही पशु हत्या एवं हिंसा का आरोप जड़ दिया. इसके बाद मामला एक बार फिर गर्मा गया है. मेनका गांधी ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि केरल के मंदिरों में हाथियों की टांगें तोड़ दी जाती हैं, उन्हें मारा-पीटा जाता है और भूखे रखा जाता है जिसकी वजह से इन मंदिरों में हाथी दम तोड़ देते हैं. उन्होंने केरल सरकार पर अवैध रूप से शिकार करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करने का आरोप भी लगाया.
गौरतलब है कि केरल के पलक्कड़ जिले के मल्लपुरम गांव से इंसानियत को झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई. गांव में खाने की तलाश में एक गर्भवती हथिनी आई जहां कुछ शरारती तत्वों ने एक अनानास में पटाखे छिपाकर हथिनी को खिला दिया. जैसे ही हथिनी ने फल खाया, उसके मुंह में पटाखे फूट पड़े जिससे उसका मुंह और जबड़ा बुरी तरह से जख्मी हो गए. इन जख्मों की वजह से उसका खाना-पीना बंद हो गया था और वो दर्द और भूख की वजह से बुरी तरह तड़पते हुए गांव में इधर उधर भटकती रही. मादा हाथी जैसे तैसे वहां स्थित वेलियार नदी तक जा पहुंची और नदी में तीन दिन तक खड़ी रही. वहीं उसकी मौत हो गई और उसके पेट में पल रहे बच्चे की भी. मामले में एक किसान की गिरफ्तारी भी हुई है.
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इस मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु-पक्षियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने शुक्रवार को कहा कि केरल की सरकार और वहां के वन्यजीव विभाग भगवान भरोसे है. मैं अमूमन हर सप्ताह केरल के वन विभाग के अधिकारियों से किसी न किसी हाथी के बारे में बात करती हूं पर वे कोई कार्रवाई नहीं करते. मेनका गांधी ने यहां तक कहा, ‘इस समय एक कम उम्र का हाथी है जिसे मंदिर में मारा-पीटा जाता है, उसकी टांगें बाहर खींची हुई हैं और उसे ज़मीन पर लिटाकर और उसकी टांगों को चारों दिशाओं में फैलाकर बांध दिया गया है. इसके बारे में मैंने एक महीना पहले शिकायत की पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है’.
एक न्यूज चैनल के जरिए मेनका गांधी ने कहा कि केरल के मंदिरों में हाथियों की टांगें तोड़ दी जाती हैं, उन्हें मारा-पीटा जाता है और भूखे रखा जाता है जिसकी वजह से इन मंदिरों में हाथी दम तोड़ देते हैं. अब तक 600 हाथी दम तोड़ चुके हैं. वहां के मंदिरों में हाथी के निजी मालिक उनका बीमा कराते हैं और इसके बाद उन्हें पानी में डुबाकर मार देते हैं या फिर इन पर जंग लगे कील ठोके जाते हैं, जिसकी वजह से इन्हें घाव हो जाता है. इसी वजह से उनकी मौत हो जाती है.
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मेनका ने सरकार पर आरोप लगाया कि केरल में वन्य जीवों का अवैध रूप से शिकार करनेवालों के ख़िलाफ़ सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती. बीजेपी सांसद ने कहा कि केरल का मल्लपुरम आपराधिक गतिविधियों का केंद्र है विशेषकर जानवरों के बारे में. वहां पर ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से जानवरों का शिकार करनेवालों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और यही कारण है कि उनका मनोबल बढ़ा हुआ है.
In a tragic incident in Palakkad dist, a pregnant elephant has lost its life. Many of you have reached out to us. We want to assure you that your concerns will not go in vain. Justice will prevail.
— Pinarayi Vijayan (@vijayanpinarayi) June 4, 2020
इधर, केरल के के मुख्यमंत्री पिनराय विजयन (Pinarayi Vijayan) ने ट्विट करते हुए कहा, ‘मामले की जांच की जा रही है और तीन दोषियों पर मुख्य रूप से फ़ोकस किया जा रहा है. हाथी की मौत के लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों को बख्शा नहीं जाएगा. पुलिस और वन विभाग संयुक्त रूप से इस मामले की जांच करेगा. हमें यह देखकर दुःख हुआ है कि कुछ लोग इस दुखद घटना की आड़ में घृणा का अभियान चला रहे हैं. ग़लत तथ्यों और झूठ के आधार पर सच को मिटाने की कोशिश की जा रही है. कुछ ने तो धर्मांधता को भी इसमें घसीट लिया है.’
Kerala is a society that respects the outrage against injustice. If there is any silver lining in this, it is that we now know that we can make our voices heard against injustice. Let us be that people who fight injustice in all its forms; everytime, everywhere.
— Pinarayi Vijayan (@vijayanpinarayi) June 4, 2020
इस मामले पर हेरिटिज ऐनिमल टास्क फ़ोर्स के सचिव वीके वेंकटचलम के अनुसार, ‘पिछले 25 सालों में क़रीब 1000 हाथियों की मौत हो गई है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को नवंबर-2018 में बताया कि ज़बरन पकड़ कर रखे गए 528 हाथियों में से सिर्फ़ 19 के पास ही लाइसेंस है. इससे यह साबित होता है कि इनमें से अधिकांश हाथी अन्य राज्यों से चुराकर लाए गए हैं. 30 युवा हाथी जिनकी उम्र 10 से 50 साल है, मारे जा चुके हैं’.