जातीय समीकरणों में फंसा JNVU छात्रसंघ का चुनावी रण, ABVP व NSUI दोनों को बेनीवाल की दरकार

JNVU के अध्यक्ष पद के लिए चार प्रमुख प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं जिनमें से दो जाट एवं दो राजपूत चेहरे दे रहे हैं आमने-सामने टक्कर, एबीवीपी ने राजवीर बांता तो एनएसयूआई ने हरेंद्र चौधरी पर खेला दांव, अरविंद सिंह भाटी ने एसएफआई से तो रविंद्र सिंह भाटी और मोती सिंह जोधा ने निर्दलीय उतरकर बढ़ाई मुश्किलें, आरएलपी समर्थक युवाओं के वोट होंगे निर्णायक वोट, इसलिए दोनों प्रमुख संगठनों में मची हनुमान बेनीवाल के समर्थन की होड़

रोचक हुआ JNVU का छात्रसंघ चुनाव
रोचक हुआ JNVU का छात्रसंघ चुनाव

Politalks.News/StudentUnionElection/JNVU. राजस्थान में कोरोना के दुष्प्रभाव के चलते दो साल बाद हो रहे छात्रसंघ चुनावों के चलते विश्विद्यालयों और कॉलेजों में सियासी हलचलें तेज हो गईं हैं. राजनीति को अपना कैरियर बनाने वाले युवाओं के लिए ये छात्रसंघ चुनाव पहला सियासी इम्तिहान माना जाता है, क्योंकि यहां जो योद्धा जीतता है उस पर सूबे की बड़ी पार्टियों के साथ राजनेताओं की भी नजरें गढ़ जाती हैं, यही कारण है कि इन चुनावों में छात्रनेता अपना पूरा दमखम दिखाते हैं और पार्टी से टिकट नहीं भी मिले तो निर्दलीय भाग्य आजमाते हैं. बात करें मारवाड़ की छात्र राजनीति की तो, इस बार मारवाड़ के सबसे बड़े विश्वविद्यालय जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी (JNVU) में छात्रसंघ चुनाव रोचक स्थिति में पहुंच चुके हैं. छात्र शक्ति के साथ-साथ इन चुनावों पर मारवाड़ ही नहीं प्रदेश के राजनेता भी नजर गड़ाए बैठे हैं. जेएनवीयू के छात्र संघ चुनाव अक्सर जातीय गोलबंदी के लिए सुबे में चर्चा का विषय बने रहते हैं. इस बार भी JNVU के अध्यक्ष पद के लिए चार प्रमुख प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं जिनमें से दो जाट एवं दो राजपूत चेहरे आमने-सामने टक्कर दे रहे हैं.

NSUI और ABVP दोनों ने लगाया जाट चहेरों पर दांव
आपको बता दें कि इस बार जेएनवीयू के छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी ने राजवीर बांता एवं एनएसयूआई ने हरेंद्र चौधरी पर दांव खेला है. दोनों छात्र नेता टिकट मिलने के बाद अपने संगठनों के सहारे चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. इनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत अपने ही संगठनों के बागी छात्र नेताओं से हैं. इसके अलावा जाट युवाओं में काफी लोकप्रिय नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का समर्थन प्राप्त करने के लिए भी कांग्रेस व भाजपा की छात्र इकाइयों के दोनों छात्र नेता निरन्तर प्रयासरत हैं.

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पूर्व अध्यक्ष भाटी एसएफआई के सहारे तो मोती सिंह जोधा निर्दलीय मैदान में
गौरतलब है कि छात्रनेता अरविंद सिंह भाटी ने लंबे समय तक एनएसयूआई से टिकट प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया लेकिन टिकट कटने के बाद पूर्व निर्दलीय अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी के समर्थन से एसएफआई का टिकट प्राप्त कर चुनाव मैदान में आ गए हैं. यही वजह है कि रविंद्र सिंह भाटी की सक्रियता के बाद जेएनवीयू का छात्र संघ चुनाव काफी रोचक हो गया है. वहीं दूसरी तरफ छात्र नेता मोती सिंह जोधा ने अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर रविंद्र सिंह भाटी की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. अब देखना यह रोचक होगा कि अरविंद सिंह भाटी पूर्व अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी के सारे चुनावी मैदान में कैसा प्रदर्शन करते हैं.

छात्रसंघ का चुनावी रण बना जाट बनाम राजपूत
जेएनवीयू के छात्र संघ चुनाव में बने जातीय समीकरणों ने सभी प्रत्याशियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. अध्यक्ष पद के लिए अभी तक प्रमुख रूप से दो जाट एव दो राजपूत चेहरे चुनाव मैदान में हैं. एनएसयूआई व एबीवीपी के अध्यक्ष पद प्रत्याशी अपने संगठन के बागियों को मनाने तथा नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के समर्थन के सहारे चुनावी रण फतेह करने की मंशा पाले बैठे हैं, हालांकि जेएनवीयू एवं प्रदेशभर के छात्र संघ चुनाव को लेकर अभी तक हनुमान बेनीवाल की आरएलपी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. आरएलपी ने अभी तक छात्र इकाई का गठन भी नहीं किया है इसीलिए आरएलपी समर्थक युवाओं के वोट भी इन चुनावों में काफी मायने रखते हैं. इसी कारण कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई एवं भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों ने नागौर जाकर हनुमान बेनीवाल का समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि जिस संगठन को RLP समर्थकों यानी हनुमान बेनीवाल का मिलेगा साथ, उसकी बन सकती है बात.

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दूसरी तरफ निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी एवं एसएफआई के सहारे चुनाव मैदान में उतरे अरविंद सिंह की मुसीबतें उन्हीं के सजातीय निर्दलीय उम्मीदवार मोती सिंह जोधा ने बढ़ा रखी हैं. हालांकि निर्दलीय उम्मीदवार मोती सिंह जोधा को चुनाव मैदान में उतरने के लिए रोकने का खूब प्रयास किया गया लेकिन अभी तक पार्टी समर्थकों एवं उनके समर्थक संगठनों को इसमें कामयाबी नहीं मिली है. कई राजपूत संगठन भी मोती सिंह जोधा का समर्थन कर रहे हैं.

ऐसे में इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि मारवाड़ के सबसे बड़े विश्विद्यालय जेएनवीयू का छात्र संघ चुनाव एक बार फिर हमेशा की तरह काफी रोचक बना हुआ है. अब नामांकन प्रक्रिया एवं मतदान दिवस तक चुनाव प्रचार एवं चुनावी घटनाओं को देखना खासा दिलचस्प होगा.

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