महाराष्ट्र में शिवसेना के तेवर पड़े नरम, फडणवीस बनेंगे 5 साल के लिए CM, तो भी फायदे में शिवसेना

संजय राउत का बयान- 'निभाएंगे गठबंधन का धर्म', शिंदे के विधायक दल के नेता बनने से ही तस्वीर हो गई थी साफ, फडणवीस CM तो शिवसेना को मिलेगा Dy. CM, फिर भी फायदे में रहेगी शिवसेना

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में शिवसेना नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा, “शिवसेना ने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा और हम आखिरी समय तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे.” शिवसेना के इस बयान को भाजपा के प्रति उसके नरम रुख के रूप में देखा जा रहा है. इससे पहले शिवसेना द्वारा NCP और कांग्रेस के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाने के दावों की बार-बार आ रही खबरों के बाद NCP अध्यक्ष शरद पवार ने एक बार फिर स्पष्ट करते हुए कहा कि जनता ने उनकी पार्टी से विपक्ष में बैठने के लिए कहा है और पार्टी ऐसा ही करेगी. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी शिवसेना को समर्थन देने से इनकार किया है. अब जानकारों की मानें तो शिवसेना ने स्थिति को भांपते हुए अपने तेवर नरम कर लिए हैं, और महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना (Shiv Sena Maharashtra) मिलकर सरकार बनाने जा रही है. जिसके तहत देवेन्द्र फडणवीस पूरे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे और शिवसेना से एक उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा.

पॉलिटॉक्स के सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र में गुरुवार को हुई शिवसेना विधायक दल की बैठक के बाद ही यह स्थिति साफ नजर आ रही थी, जब शिवसेना ने वर्ली सीट से चुनाव जीतकर आए अपने राजकुमार आदित्य ठाकरे को न चुनकर बल्कि एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना था. जबकि इस बैठक से पहले यही कयास लगाए जा रहे थे कि विधायक दल का नेता आदित्य ठाकरे को चुनाव जाएगा लेकिन एकनाथ शिंदे को चुनकर शिवसेना ने कमोबेश यह स्पष्ट कर ही दिया था कि शिवसेना को भी यह आभास है कि समझौता तो उसे बीजेपी से ही करना पड़ेगा.

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शिवसेना ने ऐसा क्यों किया, इस पर सूत्रों की मानें तो सबसे पहला कारण तो यह है कि शिवसेना ने आदित्य ठाकरे के राजनीति में न के बराबर अनुभव को देखते हुए ये कदम उठाया है. चुनाव परिणामों के बाद आदित्य को सीएम बनाने के लिए अड़ी शिवसेना (Shiv Sena Maharashtra) की जिद पर कई राजनीतिक विशेषज्ञों ने इस बात पर कड़ी टिप्पणी की थी क्या वाकई आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद का अनुभव रखते हैं? कहीं न कहीं शिवसेना को भी इस बात का अहसास हुआ की पद मिलने के बाद किसी भी कारण से अगर फ़जीति हो गई तो फिर महाराष्ट्र की राजनीति में दुबारा इतना बड़ा कद बनाना फिर मुश्किल ही होगा.

अब चूंकि आदित्य को लेकर शिवसेना बार-बार मुख्यमंत्री पद की घोषणा करती आ रही है तो उनको उपमुख्यमंत्री के रुप में कैसे स्वीकार कर सकती है. यहां तक कि मुम्बई में ‘मातोश्री‘ के बाहर और अन्य कई जगहों पर आदित्य ठाकरे के मुख्यमंत्री की बधाई वाले पोस्टर लगाकर शिवसेना (Shiv Sena Maharashtra) ने यह अच्छे से घोषित कर दिया था की आदित्य बनेंगे तो मुख्यमंत्री ही. ऐसे में एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुनकर शिवसेना इस स्थिति के लिए अपने आप को तैयार कर चुकी है की अगर उपमुख्यमंत्री पद लेना पड़ा तो आदित्य ठाकरे नहीं बल्कि एकनाथ शिंदे को आगे कर दिया जाएगा. बता दें, विधायक दल की बैठक में शिंदे के नेता चुने जाने के दूसरे ही दिन ‘मातोश्री’ के बाहर आदित्य ठाकरे के मुख्यमंत्री की बधाई वाला पोस्टर उतार दिया गया है.

चाहे मजबूरी में ही सही लेकिन बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने और उपमुख्यमंत्री पद पर समझौता करके भी शिवसेना महाराष्ट्र की जनता का दिल जीतने में कामयाब हो ही जाएगी. ऐसा करके शिवसेना जनता के बीच ये मैसेज देगी कि शिवसेना ने न केवल जनता के आदेश को सिर माथे लगाते हुए स्वीकार किया है बल्कि ‘प्राण जाये पर वचन न जाये’ कि रीत को निभाते हुए बीजेपी के साथ किये गए ‘गठबंधन के धर्म’ को ही निभाया है. इससे आगे आने वाले स्थानीय चुनावों में शिवसेना (Shiv Sena Maharashtra) को जनता की सहानुभूति भी आसानी से मिल सकेगी. महाराष्ट्र की जनता ने जो वोट दिया वो बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को दिया है, अगर शिवसेना कांग्रेस या एनसीपी के साथ जाती है तो इसका गठबंधन के वोटर्स पर गलत मैसेज जाता.

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इसके अलावा उपमुख्यमंत्री पद पर स्वीकारोक्ति के साथ बीजेपी गठबंधन में सरकार बनाने से शिवसेना को भविष्य में एक फायदा और होने वाला है. अगले पांच सालों में आदित्य ठाकरे जो पहली बार राजनीति के खुले दंगल में उतरे हैं, उन्हें अपने दादा बाला साहेब ठाकरे और पिता उद्दव ठाकरे की तरह पर्दे के पीछे से सियासी रणनीति के चक्रव्हू को चलाने और भेदने का परिपक्व अनुभव भी हो जाएगा. ताकि अगली बार शिवसेना भाजपा के साथ नहीं बल्कि अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ सके, साथ ही अपनी पुरानी खानदानी प्रतिष्ठा को भी सहेज सके.

इसके विपरीत, शिवसेना हमेशा हिंदूत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ती आई है और अब केवल आदित्य को गद्दी दिलवाने के लिए ठाकरे परिवार अपने से विपरित धूरी वाली कांग्रेस के साथ गठजोड़ करती है तो आगामी चुनावों में और आदित्य के भविष्य के लिए भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

इस सब परिस्थितियों के बीच शनिवार को आया संजय राउत का बयान “शिवसेना ने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा और हम आखिरी समय तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे.” पॉलिटॉक्स की इस खबर पर मुहर लगाने जैसा है कि “महाराष्ट् में फडणवीस होंगे 5 साल के लिए CM, शिवसेना और बीजेपी से होंगे दो डिप्टी सीएम: सूत्र

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