पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी खींचतान अब सियासी और जुबानी जंग में बदलती जा रही है. शिवसेना और भाजपा के नेता एक दूसरे पर छीटाकशी से भी बाज नहीं आ रहे और न ही एक दूसरे के सामने झुक रहे हैं. किसी भी पार्टी को महाराष्ट्र में बहुमत नहीं मिल रहा है. अब सरकार बनाने का पूरा दोरोमदार शिवसेना और एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर आ गया है. अगर शिवसेना अपने हितों को थोड़ा साइड में रख दे तो भाजपा के साथ सरकार बन जाएगी. वहीं अगर पवार हां कर दे तो विपक्ष मिलकर सरकार बनाएगा और भाजपा सबसे बड़ा दल होने के बाद भी विपक्ष में बैठेगा. अब इस स्थिति में फडणवीस (Devendra Fadanvis) ऐसी जगह से लाइफलाइन लेने की कोशिश कर रहे हैं, जहां लोग खुद मास्क पहन रहे हैं.
ये कहना है सामना का जो शिवसेना का मुखपत्र है. सामना के माध्यम से शिवसेना न केवल भाजपा पर प्रहार कर रही है, साथ ही उन्हें झुकाने की जी तोड़ कोशिश भी हो रही है. महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जब देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुंचे तो दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में दिल्ली के प्रदूषण को आधार बनाकर तंज कसा. सामना में लिखा गया है, ‘देवेंद्र फडणवीस ऐसी जगह से लाइफलाइन लेने की कोशिश कर रहे हैं, जहां के लोग खुद को बचाने के लिए मास्क पहन रहे हैं’.
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बीजेपी पर तंज कसते हुए महाराष्ट्र भाजपा को दिल्ली के प्रदूषण से भी जोड़कर टिप्पणी की गयी है. संपादकीय में लिखा है, ‘महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत पाना, दिल्ली एयरपोर्ट पर जीरो विजिबिलिटी में प्लेन लैंड कराने जैसा है’.
महाराष्ट्र में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है. गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और शिवसेना दोनों के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें हैं, लेकिन दोनों दल अपनी-अपनी शर्तों के साथ सत्ता संभालना चाहते हैं. इसके चलते किसी की भी बात नहीं पट रही है. शिवसेना आधे समय के लिए पार्टी का मुख्यमंत्री चाहती है जबकि फडणवीस (Devendra Fadanvis) ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया है.
अब एक ओर तो फडणवीस (Devendra Fadanvis) ने अपने हाथों से बात फिसलती देख अमित शाह से आगे के लिए हालात संभालने का अनुग्रह किया. वहीं दूसरी ओर, शिवसेना ने शरद पवार से सरकार बनाने में साथ देने की बात की. पहले पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने खुद पवार से मुलाकात की. उसके बाद शिवसेना प्रमुख ने फोन पर एनसीपी चीफ से वार्ता कर स्थितियों के बारे में बताया. सोमवार को ही शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे. इस घटनाक्रमों को प्रदेश में बेमौसम बारिश बताया जा रहा है. जिन हालातों में महाराष्ट्र की सियासत चल रही है, उससे स्पष्ट है कि मुंबई से लेकर दिल्ली तक सत्ता की खिचड़ी पूरी गर्माहट के साथ पक रही है.
अब खिचड़ी पक तो रही है लेकिन बनकर कब तक तैयार हो पाएगी क्योंकि सरकार बनाने को लेकर निर्धारित तिथि भी करीब आती जा रही है. महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को पूरा हो रहा है. अगर तब तक किसी भी दल ने सरकार बनाने की पहल नहीं की तो सोमवार तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा. इस मसले पर भाजपा और शिवसेना पहले ही आपस में भिड चुके हैं. इधर शरद पवार भी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं.
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इन सभी सियासी हलचलों के बीच महाराष्ट्र में सरकार बनाने के तीन त्रिकोणीय स्थितियां बनकर सामने आ रही हैं. पहला – पिछली बार की तरह भाजपा और शिवसेना आपसी गतिरोध भुला सरकार बना लें.
दूसरा – शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस और निर्दलीय मिलकर सरकार बनाएं और भाजपा विपक्ष में बैठे.
तीसरा – शरद पवार भाजपा को समर्थन दें और भाजपा-एनसीपी मिलकर सरकार बनाएं.
तीसरे विकल्प का चांस बहुत कम है क्योंकि पिछली बार एनसीपी ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया था लेकिन किसी बात पर गतिरोध के चलते अचानक से समर्थन वापिस ले लिया. उस वक्त पर शिवसेना ने सरकार गिरने से बचायी थी. ईडी की कार्यवाही में शरद पवार का नाम आना भी इस बात में प्रमुख रोडा है. दूसरे विकल्प में तीन पार्टियों के साथ निर्दलीयों के हित आपस में टकराएंगे. ऐसे में स्थिर सरकार नहीं बन पाएगी. ऐसे में भाजपा-शिवसेना का गठबंधन निश्चित है. पॉलिटॉक्स की पिछली खबरों में बार बार इस बात का जिक्र किया जाता रहा है.