पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान पर गुरुवार को आए ‘सुप्रीम’ आदेश के बाद विधानसभा सचिवालय ने देर रात कार्यसूची जारी की. जारी की गई कार्यसूची के अनुसार शुक्रवार को दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी फ्लोर टेस्ट देंगे. विधानसभा केनिस विशेष सत्र के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अपने-अपने सदस्यों को व्हिप भी जारी कर दिया है. लेकिन हम आपको बता दें, फ्लोर टेस्ट की नौबत ही नहीं आएगी और इससे पहले दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने इस्तीफे की घोषणा कर देंगे.
इस बात का सबसे बड़ा सबूत तो कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह का दिया वो बयान है जिसमें उन्होंने अपनी हार मान ली है. दिग्विजय सिंह ने कहा है कि, सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं हैं, नहीं बचेगी हमारी सरकार. दिग्विजय ने कहा बैंगलुरू में बंधक हमारे 22 विधायकों से हमारा सम्पर्क नहीं हो पा रहा है. ऐसे में कमलनाथ पर है वो इस्तीफा दें या फ्लोर टेस्ट में जाएं. दिग्विजय सिंह ने कहा कि पैसे और सत्ता के दमपर बहुमत वाली सरकार को अल्पमत में लाया गया है.
इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देर रात 11.30 बजे मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रजापति ने कांग्रेस के बागी 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में कहा कि स्पीकर को पहले उनके इस्तीफे को स्वीकार करना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी संकट को लेकर सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को ही फ्लोर टेस्ट करवाने का आदेश दिया है. लेकिन कांग्रेस की तरफ से मौजूद वकील लगातार फ्लोर टेस्ट नहीं करवाने की बात कह रहे थे.
इधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से बीजेपी में उत्सव और जश्न का माहौल है. देर शाम तक जब विधानसभा की कार्यवाही की कार्यसूची जारी होने में देर हुई तो नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति और अपना पत्र तामील करवाने आधी रात विधानसभा पहुँचे. भार्गव ने विधानसभा स्थित अध्यक्ष और प्रमुख सचिव महोदय के कक्ष में गए, लेकिन दोनों मौजूद नहीं थे. उनकी अनुपस्थिति में गोपाल भार्गव दोनों की टेबल पर अपना पत्र और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति छोड़कर आए. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डीजीपी विवेक जौहरी, विधानसभा सचिव और विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखे. डीजीपी को लिखे पत्र में उन्होंने बीजीपी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. चौहान ने विधानसभा के सचिव और विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार विधानसभा की कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया है.
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गौरतलब है कि अभी तक मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत अन्य कांग्रेस नेता दावा कर रहे थे कि अगर बागी विधायकों से मुलाकात करने का मौका दिया जाता है तो वह उन्हें अपने पक्ष में कर लेंगे. इसी संबंध में खुद दिग्विजय सिंह बेंगलुरु पहुंचे थे, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी. उधर, 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन के पास सिर्फ 99 विधायक बचे हैं, जबकि बहुमत के लिए 104 का आंकड़ा चाहिए. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के पास 106 विधायक हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ फ्लोर टेस्ट में जाने की बजाय उससे पहले ही अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं.