‘कृषि कानून रद्द करने के लिए केंद्र बुलाए विशेष सत्र’ – किसान आंदोलन पर किसानों ने रखी मांग

किसान के आंदोलन का आज 7वां दिन, कृषि कानूनों को वापिस लेने पर अड़े किसान, किसानों ने केंद्र पर लगाया फूट डालने का आरोप, ट्रांसपोर्ट्स भी आए किसानों के समर्थन में, कल होनी है सरकार और किसानों के बीच चौथे दौर की वार्ता

Farmers Protest In Delhi Border
Farmers Protest In Delhi Border

Politalks.News/Farmersprotest. कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों के आंदोलन का आज 7वां दिन है. कानूनों पर चर्चा के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव खारिज कर चुके किसान अब आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुके हैं. दिन बीतने के साथ आंदोलन का विस्तार होता जा रहा है. आज पंजाब से 50 हजार से अधिक किसान हरियाणा की ओर रवाना हुए हैं. ट्रांसपोर्ट्स ने भी किसानों के समर्थन में चक्का जाम करने का आव्हान किया है. इसी बीच किसानों ने मोदी सरकार से मांग की है कि केंद्र सरकार विशेष सत्र बुलाकर कृषि कानूनों को रद्द करे. किसानों का ये भी कहना है कि इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा. इधर, बीजेपी के नेता अभी भी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. गुरुवार को किसानों और सरकार के बीच फिर से वार्ता होनी है.

प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र सरकार पर ​किसान संगठनों में फूट डालने और किसानों को आपस में तोड़ने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया है. किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मांगें नहीं मानी गई तो आंदोलन तेज किया आएगा और आगामी दिनों में राजधानी से जुड़े रास्ते को अवरूद्ध किया जाएगा. इधर, किसानों के समर्थन में ट्रांसपोर्टस पर उतर आए हैं. उन्होंने 8 दिसंबर से देशव्यापी हड़ताल पर जाने का आह्वान किया है.

ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने बुधवार को किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए पहले उत्तर भारतीय राज्यों में और बाद में पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही को रोकने की धमकी दी है. यूनियन से जुड़े एक करोड़ ड्राइवर्स ने समर्थन की बात की है. सभी ड्राइवर्स ने हड़ताल की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब, हिमाचल और जम्मू में आवाजाही रोकी जाएगी और आगामी वक्त में देशभर में चक्काजाम किया जाएगा.

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इधर, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ​केंद्र सरकार पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है. सुरजेवाला ने कहा कि एक ओर किसानों की मांग पर समिति के गठन की बात की जा रही है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान विरोधी तीनों कानूनों को सही बता रहे हैं. सुरजेवाला ने मोदी सरकार को राजनैतिक तौर पर बेईमान बताते हुए कहा कि सरकार किसान की पीठ पर छुरा घोंप रही है. कांग्रेस नेता ने बीजेपी सरकार को कंपनी राज बताते हुए हरियाणा सरकार में सहयोगी पार्टी जजपा को समर्थन वापिस लेने की बात भी कही है.

वहीं बीजेपी के केंद्रीय नेताओं ने विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया है. बीजेपी ने कहा कि विपक्ष किसानों को कृषि कानूनों पर बरगलाने की कोशिश कर रही है. भाजपा ने कहा कि कृषि कानून किसानों के हित में है लेकिन विपक्ष इसे मुद्दा बना रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है. तोमर ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन को जो ड्राफ्ट देना था, वो रात तक आएगा. जब उनका ड्राफ्ट आएगा तो हम कल उस पर चर्चा करेंगे.

वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमने तो किसान भाइयों को वो ताकत दी है जिससे आप मंडी में फसल बेच सकते हैं और चाहें तो मंडी के बाहर किसी भी व्यक्ति को फसल बेच सकते हैं. कहीं भी, किसी भी दाम पर फसल बेचने की आज़ादी मोदी जी ने दी है लेकिन कुछ ताकतें किसानों को गुमराह कर रही हैं.

बता दें, गुरुवार को किसानों और सरकार के बीच फिर से वार्ता होनी प्रस्तावित है. किसानों और सरकार के बीच ये चौथे दौर की वार्ता है. इससे पहले मंगलवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही. वार्ता में किसान प्रतिनिधि तीनों कृषि कानून को वापिस लेने की मांग पर अड़ गए. इसके बाद अगली वार्ता के लिए समय निर्धारित किया गया.

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