पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान-यूपी. प्रियंका गांधी के आह्वान पर उत्तरप्रदेश के प्रवासियों को उनके गंतव्य तक छोड़ने के लिए राजस्थान की कांग्रेस पार्टी द्वारा भेजी गई बसों को यूपी सरकार द्वारा रोके जाने के मामले पर राजनीति खत्म होने के बजाए ओर गर्माती जा रही है. प्रदेश कांग्रेस पार्टी द्वारा यूपी में लोगों के आवागमन के लिए 1 हजार बसें भेजीं गईं थीं जिन्हे यूपी सरकार ने लगातार 2 दिन तक बॉर्डर पर खड़ा रखा लेकिन अपने राज्य में प्रवेश नहीं दिया और आखिर बसों को वापस लौटना पड़ा. इसको लेकर शुक्रवार को राजस्थान कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर पीसीसी चीफ सचिन पायलट, राजस्थान सरकार में परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, एआईसीसी महासचिव जुबैर खान, धीरज गुर्जर ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान केंद्र और यूपी सरकार पर जमकर निशाना साधा.
पीसीसी चीफ एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि देश में लॉकडाउन होने के बाद लाखों-करोड़ों श्रमिक भाई-बहन अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए थे और आज भी फंसे हुए हैं. जब लॉकडाउन को लम्बा समय बीत गया और केंद्र सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की गई तो कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी ने पहल करते हुए निर्णय लिया कि कोई भी श्रमिक जो देश के किसी भी कोने में फंसा हुआ है उसको घर वापस जाने का खर्चा कांग्रेस पार्टी वहन करेगी. कांग्रेस पार्टी के इस निर्णय से केंद्र सरकार में हलचल मची. लेकिन उससे पहले तक केंद्र सरकार ने श्रमिकों के आवागमन के लिए कोई मदद नहीं की.
सचिन पायलट ने आगे कहा कि श्रमिकों के आवागमन के लिए कोई ठोस राष्ट्रव्यापी नीति केंद्र सरकार ने नहीं बनाई, यही कारण है कि आज भी लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं. केंद्र सरकार को लोगों की मदद के लिए जिस प्रकार से आगे आना चाहिए था उस प्रकार से वो अभी तक आगे नहीं आए हैं. इसको देखते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से यूपी में 1000 बसों की मदद करने का ऐलान किया. कांग्रेस द्वारा भेजी गई बसों को लेकर बहुत विवाद हुआ और यूपी सरकार ने बसों को परमिशन देने से मना कर दिया. कांग्रेस ने निस्वार्थ भाव से मानवता को देखते हुए 1 हजार बसों को यूपी भेजने के लिए प्रस्ताव भेजा और परमिशन नहीं दी गई.
पायलट ने कहा कि पहले यूपी सरकार ने कहा कि बसों को लखनऊ भेज दीजिए. इसके बाद भी परमिशन नहीं देने के लिए कई हथकंडे अपनाए गए. कभी परमिट नहीं होने, फिटनेस सर्टिफिकेट, कभी ड्राइवर का लाइसेंस नहीं है कहा गया. अंत में कांग्रेस नेताओं पर एफआईआर हुई जेल में डाला गया, गतिरोध पैदा किया गया, कई दिनों तक बसें बॉर्डर पर खड़ी रही. इसके बाद आरोप लगाया गया कि बसों की सूची में कमी थी. कांग्रेस पार्टी ने एक पहल करके इस संकट के समय में मदद के लिए हाथ आगे बढाया, ऐसे समय में अगर कोई भी मदद का हाथ बढ़ाता है तो उसे स्वीकार करना चाहिए.
सचिन पायलट ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी ने पहल करके लोगों की मदद के लिए बसों का इंतजाम किया जिससे यूपी सरकार तिलमिला गई और बहाने ढूंढ कर जो काम किया वह पूरी तरह सबके सामने आ गया है. यूपी सरकार एक तो गलत काम कर रही हैं ऊपर से सीना जोरी कर रही हैं. यूपी सरकार अगर अच्छा काम करती लोगों की मदद के लिए तो मैं खुद धन्यवाद देता. यूपी सरकार को बड़ा मन रखकर प्रियंका गांधी जी द्वारा दी गई बसों को स्वीकार करते हुए धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए था. वह सरकार का काम करने का सही तरीका होता लेकिन उन्होंने तिल मिलाकर इस तरह का व्यवहार किया. कांग्रेस नेताओं को जेल में डाल दिया, गतिरोध पैदा कर दिया, यह संकीर्ण सोच का परिचय है.
पायलट ने आगे कहा कि बसों पर जो राजनीति हो रही है उस पर विराम लगना चाहिए. हम लोगों ने सच्चे भाव से मानवता के दृष्टिकोण को रखते हुए बसों का इंतजाम किया था. कोई राजनीति नहीं की थी. यूपी में जो लोग सत्ता में बैठे हैं उन्हें अपने गिरेबान में झांकना पड़ेगा कि पैदल सडकों पर चल रहे लोगों की जिंदगी को बेहतर करने के बजाय आपने जानबूझकर अपनी जिद के कारण मदद लेने से मना कर दिया. यूपी सरकार ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के प्रति आक्रामक रवैया अपनाया जो कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसे नाजुक समय में यूपी सरकार को बड़ा मन रख कर सकारात्मक सोच के साथ काम करने की जरूरत थी लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ.
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परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस ने 1032 बसे वहां भेजी, लेकिन परमिट और फिटनेस का रोडा अटकाकर बसों को रोका गया. केंद्र के आदेश की यूपी सरकार ने अवहेलना की. केंद्र सरकार ने मार्च में आदेश निकाला था कि 30 जून तक किसी भी कागजी कार्रवाई के कारण बसों को 30 जून तक नहीं रोका जाए. इस पर यूपी के सीएम और डिप्टी सीएम पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए जबकि मुकदमा दर्ज कांग्रेस नेताओं पर किया गया. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को श्रमिकों और प्रियंका गांधी से माफी मांगनी चाहिए.