कोटा से गए यूपी के छात्रों का बस किराया मांगने पर गर्माई सियासत, दोनों ओर से खूब चले शब्द-बाण

मायावती ने कहा- इससे गहलोत सरकार की कंगाली और अमानवीयता दिखी, बिल पर यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि इसे तो पहले ही चुकता कर दिया गया है, संबित पात्रा ने कहा आधी रात को गहलोत सरकार ने डीजल के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से 19 लाख रुपए लिए तब बसों को जाने दिया, खाचरियावास ने किया पलटवार- झूठ की राजनीति करने के बजाय पूरे देश में मज़दूर दर्द से परेशान है, उधर ध्यान दें

बस किराया मांगने पर गर्माई सियासत
बस किराया मांगने पर गर्माई सियासत

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान-यूपी. कोरोना संकटकाल के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान राजस्थान के कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के छात्रों को उनके गृह राज्य भेजे जाने के बाद बस किराये को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजस्थान सरकार ने बीती 8 मई को उत्तर प्रदेश सरकार को 36.36 लाख रुपए का बिल भेजा था. राजस्थान सरकार ने बसों का बिल भेज कर कहा कि यूपी सरकार इसका तुरंत भुगतान करे. राजस्थान सरकार ने कहा कि राज्य पथ परिवहन निगम ने कोटा में फंसे यूपी के छात्रों के लिए 70 बसें उपलब्ध कराई थीं. इसमें 36 लाख 36 हजार 664 रुपए का खर्च आया. शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान सरकार के बिल का भुगतान तो कर दिया, लेकिन इस पर अब सियासी पारा गरमा गया है और राजनीतिक बयानबाजी का दौर तेज हो गया है.

कोटा से उत्तर प्रदेश लाए गए छात्रों के लिए राजस्थान सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से 36.36 लाख रुपए किराया मांगा, इसे लेकर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने राजस्थान कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह कदम कंगाली व अमानवीयता को प्रदर्शित करता है. मायावती ने ट्विटर के माध्यम से गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, “राजस्थान की कांग्रेसी सरकार द्वारा कोटा से करीब 12000 युवा-युवतियों को वापस उनके घर भेजने पर हुए खर्च के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार से 36.36 लाख रुपए और देने की जो मांग की है वह उसकी कंगाली व अमानवीयता को प्रदर्शित करता है. दो पड़ोसी राज्यों के बीच ऐसी घिनौनी राजनीति अति-दुख:द है.”

मायावती ने अपने दूसरे ट्वीट में आगे कहा कि लेकिन कांग्रेसी राजस्थान सरकार एक तरफ कोटा से उप्र के छात्रों को अपनी कुछ बसों से वापस भेजने के लिए मनमाना किराया वसूल रही है, तो दूसरी तरफ अब प्रवासी मजदूरों को उप्र में उनके घर भेजने के लिए बसों की बात करके राजनीति का खेल खेल रही है, यह कितना उचित व कितना मानवीय है.

इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे यूपी सरकार द्वारा पहले किए गए एक अन्य भुगतान से जोड़ते हुए कहा- 19 लाख पहले दे चुके
इस पूरे मामले में भाजपा नेता संबित पात्रा ने लिखा, ‘कोटा से उत्तर प्रदेश के छात्रों को वापस लाते समय यूपी की कुछ बसों को डीजल की आवश्यकता पड़ गई ..दया छोड़िए ..आधी रात को दफ्तर खुलवा कर प्रियंका वाड्रा की राजस्थान सरकार ने यूपी सरकार से पहले 19 लाख रुपए लिए और उसके बाद बसों को रवाना होने दिया, वाह रे मदद।’

इस मामले को लेकर मचे बवाल के बाद राजस्थान सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने ट्वीट कर इसे झूठ और फरेब की राजनीति करार दिया है. खाचरियावास ने किराया विवाद का खंडन करते हुए अपने ट्वीट के साथ उस पत्र व्यवहार को भी लोगों के सामने रखा जो कोटा से छात्रों की वापसी को लेकर उत्तर-प्रदेश सरकार ने राजस्थान सरकार से किया था. खाचरियावास ने ट्वीट के जरिये बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा पर पर निशाना साधते हुए कहा कि आप झूठ बोल रहे हैं. जिन पैसों की आप बात कर रहे हैं, वह उत्तर प्रदेश की बसों में डीज़ल डलवाने का है. उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्यपथ परिवहन की बसें जब राजस्थान आई थीं, तब यूपी के परिवहन अधिकारियों ने राजस्थान परिवहन के अधिकारियों से इसका निवेदन किया था

खाचरियवास ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि राजस्थान सरकार ने 2 करोड़ 6 लाख ख़र्च करके हाथरस और आगरा तक यूपी के मज़दूरों को पहुंचाया है. हमारी श्रमिक बसें प्रतिदिन चल रही हैं, जो पूरी तरह निशुल्क है. झूठ की राजनीति करने के बजाय पूरे देश में मज़दूर दर्द से परेशान है, उधर ध्यान दें.

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उधर यूपी के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सफाई दी कि कोटा से बच्चों को वापस लाने के लिए राजस्थान सरकार ने बसों के लिए डीजल उपलब्ध करवाया था, जिसके एवज में उन्हें 5 मई को ही 19 लाख का भुगतान किया गया था. 8 मई को यूपी सरकार से 36 लाख रुपए की मांग राजस्थान सरकार ने की, जिसका भुगतान भी यूपी सरकार ने कर दिया.

प्रेस कांफ्रेंस में डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि कोटा के विद्यार्थियों को मंगाने के लिए हमने 560 बसें भेजीं. वहां अनुमान से अधिक बच्चे थे, जिसके चलते राजस्थान सरकार से बसें ली गईं. राजस्थान सरकार ने 94 बसों के किराया के लिए रिमांडर भेजा. कोरोना की लड़ाई में कांग्रेस राजनीति कर रही है. दिनेश शर्मा ने कहा कि महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है. वहां की चिंता न करके, जहां 27000 बसें लगी हैं, वहां की चिंता कर रहे हैं. डिप्टी सीएम ने कहा कि हम श्रमिकों को रोजगार देंगे, उन्हें याची नहीं बनने देंगे.

डिप्टी सीएम शर्मा ने आगे कहा कि राजस्थान के डिप्टी सीएम ने अनर्गल आरोप लगाया. बसों के ड्राइवरों को भोजन तक नहीं कराया गया. बसों से वसूली की गई. कांग्रेस अपनी गिरेबान में झांके. इन्हें यूपी के श्रमिकों से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम किया है. इस प्रकार का कृत्य अक्षम्य है.

वहीं यूपी के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने कहा कि 36 लाख 36 हजार रुपये का भुगतान हमने किया. डीजल का पेमेंट 19 लाख रुपये किया. ये लोग पैसा वसूल रहे हैं. ये लोग सेवा की नौटंकी बंद करें. कांग्रेस हिंदुस्तान के मजदूरों को गुमराह कर रही है. कांग्रेस भारत के भविष्य से कांग्रेस पैसा वसूलती है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार की 12000 बसें हैं और हर जिले में 200 प्राइवेट बसों का इंतजाम किया गया है.

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यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने योगी सरकार को हाल ही में 36 लाख 36 हजार 664 रुपए का बिल भेजा है. ये बिल उन 70 बसों का है जिनसे पिछले दिनों उत्‍तर प्रदेश के बच्‍चों को कोटा से यूपी ले जाया गया था. इसके साथ इसमें लिखा है कि राजस्थान राज्य परिवहन निगम द्वारा 17 अप्रैल से 19 अप्रैल तक कोटा में अध्ययनरत छात्रों को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी (आगरा) और झांसी तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था कर परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. इसका भुगतान अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. अविलंब इसका भुगतान करवाएं. जिस पर यूपी सरकार ने इस बिल का भुगतान आज राजस्थान सरकार को कर दिया है.

बता दें, राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा में उत्तर प्रदेश के करीब 12,000 छात्र लाकडाउन में फंस गए थे. जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने घर पहुंचाया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने 560 बसें भेजी थीं. यूपी सरकार को उम्मीद थी कि इतनी बसों से बच्चों की वापसी हो जाएगी, पर बच्चों की संख्या अधिक थी. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान सरकार से अनुरोध किया कि अपनी कुछ बसों से बचे हुए बच्चों को प्रदेश की सीमा स्थित फतेहपुर सीकरी और झांसी तक पहुंचा दें, वहां से हम इनको घर भेजने की व्यवस्था कर लेंगे. इस पर राजस्थान सरकार ने 70 बसों का इंतजाम किया था.

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