होम ब्लॉग पेज 3253

सिंगर दलेर मेहंदी बीजेपी में शामिल, पंजाब से उतरेंगे चुनावी मैदान में

PoliTalks news

देश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां जोर पकड़ती जा रही है. राजनीतिक पार्टियां चुनाव की इस सियासी बिसात में काबिल प्रत्याशी उतारने में जुटी हैं. हाल ही में सिंगर हंसराज हंस व अभिनेता सनी देओल के बीजेपी में आने के बाद अब पंजाबी सिंगर दलेर मेहंदी ने आज बीजेपी का दामन थाम लिया है. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी और केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की मौजूदगी में दलेर मेहंदी ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. इससे पहले दलेर के समधी पंजाबी गायक हंसराज हंस भी बीजेपी में शामिल होकर दिल्ली की नॉर्थ-वेस्ट सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं

बता दें कि हाल ही में पंजाबी सिंगर हंसराज हंस और एक्टर सनी देओल ने बीजेपी का दामन थामा था. जिसमें से में बीजेपी ने हंसराज हंस को उत्तरी पश्चिमी दिल्ली और सनी देओल को पंजाब के गुरदासपुर से टिकट देकर चुनावी दंगल में उतारा है. इसी कड़ी में अब पंजाबी सिंगर दलेर मेंहदी भी बीजेपी में शामिल हो गए है. सूत्रों के अनुसार दलेर को भी पंजाब की किसी सीट से पार्टी उम्मीदवार बना सकती है.

जानें कौन है दलेर मेहंदी
बचपन से ही गायकी की शौक रखने वाले दलेर मेहंदी का जन्म बिहार के पटना में 18 अगस्त 1967 को हुआ था. 5 साल की उम्र से ही दलेर ने सिंगिंग सीखना शुरू कर दिया था. साल 1995 में दलेर मेहंदी ने अपना पहला एल्बम ‘बोलो ता रा रा’ रिकॉर्ड किया था. इस एल्बम की करीब 20 मिलियन कॉपी बेची गई और इस एल्बम ने दलेर को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई. साल 1998 में दलेर मेहंदी का एक और एल्बम ‘तुनक तुनक’ रिलीज हुआ. इस एल्बम ने दलेर मेहंदी को एक ब्रांड बना दिया.

सिंगर दलेर मेहंदी का नाम एक बड़ा विवाद से भी जुड़ा रहा है. दलेर पर आरोप लगाया गया था कि वे गैर कानूनी तरीके से लोगों को विदेश भेजने का काम करते हैं. इस मामले में दलेर के भाई मुख्य आरोपी थे. हालांकि पिछले साल दलेर को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया था. इसके अलावा दलेर मेहंदी की संस्था दलेर मेहंदी ग्रीन ड्राइव सामाजिक कार्यों में खासी एक्टिव है. उन्होंने इस संस्था के सहारे कई असहाय परिवारों की मदद की है और उन्हें पर्यावरण के लिए अपने योगदान के चलते भारत सेवा रत्न अवॉर्ड से भी नवाजा गया है.

‘पीएम नरेंद्र मोदी’ रिलीज बैन बरकरार, SC ने याचिका की रद्द

Floor Test in Maharashtra
Floor Test in Maharashtra

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीवनी पर आधारित बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ की रिलीज पर 19 मई तक बैन लगाने का चुनाव आयोग का फैसला बरकरार रहेगा. ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ फिल्म के निर्माताओं ने चुनाव आयोग के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में मुताबिक कोर्ट ने कहा कि, अब इस मामले में क्या बचा है? मुद्दा यह है कि क्या फिल्म इस समय दिखाई जा सकती है. चुनाव आयोग ने इस पर निर्णय ले लिया है. हम इस पर सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं.’

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी की बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ को रिलीज करने की मांग की याचिका आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. याचिका में निर्माताओं द्वारा चुनाव आयोग के फिल्म पर 19 मई तक रोक लगाने के फैसले को चुनौती दी गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट मानने से इनकार कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार मामले पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘अब इस मामले में क्या बचा है? चुनाव आयोग ने इस पर निर्णय ले लिया है. हम इस पर सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं.’

वहीं, पीएम मोदी के जीवन पर आधारित व एक्टर विवेक ओबरॉय अभिनीत ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ फिल्म के निर्माताओं ने याचिका में चुनाव आयोग के फैसले को नियम विरूद्ध बताया था. जिसमें कहा गया था कि ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ फिल्म पर चुनाव आयोग की रोक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से मिली मंजूरी के विरुद्ध है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता फिल्म निर्माताओं की इस दलील के साथ याचिका को भी खारिज कर दिया है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले निर्वाचन आयोग को आदेश दिया था कि वह इस फिल्म को देखकर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे. जिसके बाद बीते सप्ताह ही आयोग ने कोर्ट के बताया था कि ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ सिर्फ बायोपिक नहीं है, बल्कि इसके संवाद, फिल्म में दिखे प्रतीक चिह्न और प्रेजेंटेशन एक जनप्रतिनिधि की प्रशंसा करते हैं. साथ ही कहा गया कि फिल्म को चुनाव के बीच रिलीज करने से एक पार्टी विशेष को फायदा हो सकता है.

बीच रास्ते से वापस लौटे राहुल गांधी, विमान में आई खराबी

politalks news

लोकसभा चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों के बीच राजनीतिक पार्टियों के नेता धुंआधार चुनावी रैलियों में जुटे हैं. हर मतदाता तक पहुंचने में कोई पार्टी पीछे नहीं रहना चाहती है. इसी बीच आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बिहार यात्रा पर जा रहे थे कि अचानक उनके विमान के इंजन में खराबी आ गई. अचानक इंजन में आई इस दिक्कत के कारण उन्हें वापस दिल्ली लौटना पड़ा. खुद राहुल ने इस घटना की जानकारी अपने ट्विटर पर दी है. वे आज बिहार के अलावा ओड़िसा व महाराष्ट्र में होने वाली चुनावी सभाओं में भी शामिल होंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज चुनाव प्रचार के लिए बिहार नहीं जा पाए. उनके विमान के इंजन में अचानक दिक्कत आने के चलते उन्हें बीच रास्ते से ही वापस दिल्ली लौटना पड़ा. राहुल गांधी ने ट्विटर पर जानकारी दी कि सुबह उन्हें बिहार ले जा रहे विमान में अचानक दिक्कत आ गई जिस वजह से उन्हें वापस दिल्ली लौटना पड़ा. हालांकि राहुल का चुनावी कार्यक्रम रद्द नहीं हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष गांधी ने जानकारी दी कि आज की चुनावी सभाएं थोड़ी देर से होंगी. आज समस्तीपुर (बिहार), बालासोर (ओडिशा) और संगमनेर (महाराष्ट्र) में होने वाली सभाएं देर से होंगी. असुविधा के लिए माफी चाहता हूं.’

राहुल गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से विमान के इंजन में आई खराबी का वीडियो भी शेयर किया है. बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष आज दोपहर 11 बजे समस्तीपुर में पार्टी के उम्मीदवार डॉ अशोक कुमार के लिए चुनावी सभा करने वाले थे. इस कार्यक्रम में आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को भी शिरकत करनी थी.

पीएम मोदी ने किया नामांकन दाखिल, एनडीए के दिग्गज नेता रहे मौजूद

PoliTalks news

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल करा दिया है. नामांकन के दौरान उसके साथ एनडीए घटक दल और बीजेपी के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे. इस लिस्ट में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ, सुषमा स्वराज, बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार सहित प्रकाश सिंह बादल, उद्धव ठाकरे, रामविलास पासवान आदि दिग्गज मौजूद रहे. वाराणसी सीट से कांग्रेस के अजय राय, सपा-बसपा गठबंधन की शालिनी यादव भी मैदान में हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से नरेंद्र मोदी करीब 3.71 वोटों से विजयी रहे थे. दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दूसरे नंबर पर रहे. अजय राय अपनी जमानत तक बचा नहीं पाए थे.

आज पर्चा भरने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना की. इससे पहले गुरूवार को प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में रोड़ शो किया था. शाम में वो गंगा आरती में शामिल हुए. बता दें कि 2014 के चुनाव में मोदी ने वाराणसी के साथ अहमदाबाद की वड़ोदरा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्हें दोनों सीटों पर विजयश्री हासिल हुई थी. बाद में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी. वाराणसी सीट पर लंबे समय से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की आशंका जताई जा रही थी लेकिन अजय राय के नाम की घोषणा के साथ ही इन अटकलों पर विराम लग गया है.

राहुल गांधी के मोदी पर हमले, कोटा-जालोर-अजमेर में सभा

politalks.news

लोकसभा चुनाव के दंगल में हर राजनीतिक पार्टी पूरे जोर-शोर से लगी है. एनडीए फिर से सत्ता वापसी की आस लगाए हुए है तो यूपीए देश की बागडोर अपने हाथ में लेने की जद्दोजहद में लगी है. शीर्ष नेता लगातार चुनावी रैलियों के जरिए मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं और चुनावी सभा भी की जा रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरूवार को राजस्थान में तीन चुनावी सभाओं को संबोधित किया. कोटा में रामनारायण मीणा, जालोर में रतन देवासी, और अजमेर में रिजु झुनझुनवाला के समर्थन में चुनावी रैलियां की. इन सभाओं के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर हमला बोला.

politalks news

चुनावी सभाओं के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी अपने उघोगपति मित्रों का तो ऋण माफ करते है लेकिन देश के लिए अनाज पैदा करने वाले किसानों का ऋण माफ करने के लिए उनके पास पैसा नहीं है. राहुल की इन सभाओं में चौकीदार चोर है के नारों से सभा स्थल गूंज उठे. इस दौरान राहुल ने कहा कि पीएम मोदी काम की बात तो करते नहीं है वो तो सिर्फ अपने मन की बात कर रहे हैं. राहुल गांधी ने पीएम मोदी को हर व्यक्ति को 15 लाख रूपए देने के वादे की याद दिलाई और कहा कि देश के चौकीदार ने हर जगह से चोरी की है. देश के गरीबों के हिस्से का पैसा मोदीजी ने अपने उघोगपति मित्रों को दिया है.

इसके अलावा राहुल गांधी ने लोगों को न्याय योजना के बारे में भी बताया. साथ ही कांग्रेस की सरकार बनने पर देश के 5 करोड़ लोगो के खाते में 72000 रुपए डालने की बात भी कही. वहीं राहुल ने कहा कि मोदीजी ने जो खाते खोले हैं मैं उनमें पैसा डालना चाहता हूं. राहुल ने कोटा की सभा में सरकार बनने पर कोटा में एयरपोर्ट लाने का वादा किया है. इस दौरान उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को माइक पर बुलाकर एयरपोर्ट के लिए जमीन देने की हामी भरवाई.

साथ ही राहुल ने इन सभाओं में राजस्थान सरकार की उपलब्धियों को गिनवाते हुए कहा कि सरकार बनने के पहले हमने वादा किया था कि हम किसानों का ऋण माफ करेंगे. सरकार बनने के बाद हमने किसानों का ऋण माफ किया है. हमारी सरकार हमेशा किसानों और गरीबों के लिए समर्पित है.

पांच साल में अब अयोध्या जाएंगे पीएम मोदी, करेंगे चुनावी रैली

politalks news

लोकसभा चुनाव का रोमांच चरम पर है. सभी नेताओं ने चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंक रखी है. अब तक तीन चरणों का मतदान हुआ है जिनमें देश की लगभग आधी सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. वहीं इस बार उत्तर प्रदेश का चुनावी रण भी रोचक है. यहां साल 2014 के चुनावों में 80 में से 73 सीटें लाने वाले बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है.

इसी चुनौती को पार करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. पीएम मोदी ने आज वाराणसी में बड़ा रोड़ शो किया है इसके अलावा वे 1 मई को अयोध्या जाएंगे. 5 साल के मोदी सरकार के कार्यकाल में पहला मौका है जब पीएम मोदी अयोध्या जाएंगे और चुनावी सभी को संबोधित करेंगे.

साल 2014 के चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने यूपी की 73 सीटों पर कब्जा किया था. विपक्षी दलों का सूपड़ा लगभग साफ कर दिया था. मायावती की पार्टी बसपा का खाता भी नहीं खोल पाई थी. लेकिन अबकी बार 2019 में सपा और बसपा साथ में चुनाव लड़ रही है. बीजेपी के लिए इस बार ये गठबंधन बड़ी चुनौती है. इसी लिए पीएम मोदी यूपी में पूरी ताकत झोंक रहे हैं.

कहा जाता है कि अयोध्या के संतो ने पीएम मोदी से सरकार बनने के बाद कई बार मांग की थी उन्हें अयोध्या आना चाहिए. लेकिन पांच साल के बाद पीएम मोदी अब रामनगरी अयोध्या आ रहे है. इससे पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीवाली अयोध्या में ही मनाई थी.

गौरतलब है कि अयोध्या राम मंदिर विवाद के कारण सुर्खियों में रहता है. यह मामला लंबे समय से कोर्ट में विचाराधीन है. कई बार दोनों पक्षों की बीच मध्यस्ता की कोशिशें की गई लेकिन ये विफल रही. साल 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने पर रामभक्तों को विवाद के सुलझने के आसार थे लेकिन सरकार के लगभग दो साल से अधिक होने के बाद भी मामला अभी अधर में है.

27 अप्रैल को जोधपुर में रोड शो करेंगी प्रियंका गांधी!

PoliTalks news

राजस्थान की ‘हॉट सीट’ में शुमार जोधपुर संसदीय क्षेत्र पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को घेरने और मोदी सरकार में मंत्री रहे गजेंद्र सिंह शेखावत को जिताने के लिए बीजेपी अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सीट पर पहले ही बड़ी जनसभा कर चुके हैं. अब 26 अप्रैल को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रोड शो होना भी है. ऐसे में अब कांग्रेस इस सीट पर अतिरिक्त ध्यान दे रही है. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर की सीट पर पल-पल नजर बनाए हुए हैं.

अब पीएम मोदी की सभा और अमित शाह के रोड शो के मुकाबले में प्रियंका गांधी अपना शक्ति प्रदर्शन करती नजर आने वाली हैं. कांग्रेस इसी रणनीति के तहत प्रचार थमने से ठीक पहले प्रियंका गांधी का जोधपुर में रोड शो कराने जा रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की माने तो 27 अप्रैल को प्रियंका गांधी का जोधपुर में रोड शो का कार्यक्रम बनाया जा रहा है. यह कार्यक्रम लगभग तय भी हो चुका है. कांगेस नेताओं के अनुसार, प्रियंका गांधी राजस्थान में पहले चरण के चुनाव में एकमात्र सीट जोधपुर पर प्रचार करती हुई नजर आएगी.

जोधपुर में रोड शो के जरिए प्रियंका गांधी वोटर से सीधा संपर्क करेंगी. वैसे तो पूरे राजस्थान में हर प्रत्याशी की ओर से प्रियंका गांधी की डिमांड की गई है लेकिन पहले चरण में प्रियंका गांधी केवल जोधपुर में रोड शो करने जा रही हैं. हालांकि अभी औपचारिक तौर पर कांग्रेस के नेता इस बारे में कोई खुलकर नहीं बोल रहे हैं.

तीन चरणों के मतदान का रुझान कर रहा बीजेपी की उम्मीदों को तीन तेरह

क्या भाजपा की हार अब तय हो चुकी है? क्या प्रधानमंत्री के पद से नरेंद्र मोदी की विदाई सुनिश्चित है? देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? क्या राहुल गांधी की किस्मत चमकने वाली है या फिर ‘डार्क हॉर्स’ के तौर पर शरद पवार का नाम सामने आ सकता है? आखिर कांग्रेस इस चुनाव में कितनी सीटें हासिल कर सकती है? 2019 के लोकसभा चुनाव में तीन चरणों के मतदान के बाद ऐसे तमाम सवाल सियासी फ़िज़ाओं में उभरने लगे हैं.

मतदाताओं के बीच चुनावी नतीजों को लेकर कयास तो लग ही रहे हैं, सियासी गलियारों में परिणाम के बाद की परिस्थितियों के लिए जोड़-घटाव अभी से शुरू हो चुके हैं. जब तीन सौ से ज्यादा सीटों पर मतदान संपन्न हो चुके हैं तो नतीजों को लेकर कुछ-कुछ संकेत भी नज़र आने लगे हैं. आने वाले संकेत राजनीति में काफी हद तक बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं. यानी कि केंद्र की सत्ता बदल भी सकती है या यूं कहें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुर्सी छिन सकती है.

ऐसे नतीजे की आशंका बीजेपी के भीतर भी जताई जा रही है. यह अलग बात कि मतदान के चार चरण शेष होने के कारण सार्वजनिक तौर पर ऐसा कहने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है. हां, सामान्य बातचीत में एनडीए के कई नेता यह ज़रूर स्वीकार कर रहे हैं कि इस बार बीजेपी गठबंधन की सीटें 200 के आसपास ठहर सकती है. ऐसी आशंकाएं निराधार भी नहीं हैं.

तीन दौर के मतदान से एक चीज़ तो स्पष्ट है कि इस बार मतदाताओं के बीच मोदी नाम की कोई लहर नहीं है. अलग-अलग सूबों में बीजेपी ने जो गठबंधन किए हैं, उससे भी अधिक लाभ मिलता नज़र नहीं आ रहा. उलटे सहयोगी दलों की किसी न किसी ग़लती से खेल और खराब ही हुआ है. उदाहरण के लिए बिहार में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की आलोचना के लिए जद (यू) नेताओं ने लगातार जैसी भाषा का इस्तेमाल किया, उससे महागठबंधन ने पूरे चुनाव को अगड़ा बनाम पिछड़ा करने में कामयाबी हासिल कर ली. वर्ना चुनाव के पहले दौर के मतदान तक एनडीए यहां बढ़त बनाए हुए था.

उत्तरप्रदेश में बीजेपी ने स्वयं के लिए चुनौती को समझते हुए ओबीसी वोटर्स पर दांव लगाया था लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों में उसके छोटे-बड़े सहयोगियों ने ऐसा कारनामा किया कि ओबीसी वोट सपा-बसपा गठबंधन की ओर जाता दिखायी दे रहा है. महाराष्ट्र में शिवसेना सहयोगी होने के बावजूद अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए मोदी सरकार को लेकर जैसी भाषा इस्तेमाल हो रही है, इससे भी वहां का मतदाता भ्रमित हुआ है. ऊपर से शिवसेना से अलग हुई राज ठाकरे की पार्टी जिस तरह खुलकर एनडीए के ख़िलाफ़ नयी-नयी तकनीकों के सहारे प्रचार कर रही है, उससे कांग्रेस-राकांपा की संभावनाएं बढ़ी हैं.

बंगाल से ख़बरें आ रही हैं कि ममता बनर्जी के तृणमूल पर थोक से वोट पड़ रहे हैं. पूर्वोत्तर में नागरिक संशोधन विधेयक के मसले पर बीजेपी अपने पैर पर पहले ही कुल्हाड़ी चला चुकी है. गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे सूबों में पिछली बार के मुकाबले बीजेपी को कुछ न कुछ नुकसान होने के आसार प्रबल हैं. दक्षिण में लाख कोशिशों के बावजूद पार्टी बेहतर होते हुए नहीं दिख रही. ओडिशा को लेकर पार्टी नेता जरूर आशान्वित हैं लेकिन लेकिन वहां से जैसी खबरें आ रही हैं, बीजेपी के लिए मुसीबत पैदा होने वाली हैं.

शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में वोटरों का उत्साह भी इस ओर इशारा करता है कि सत्ताधारी सरकार के लिउए चुनौतियां बढ़ी हैं. शहरी वोटरों को बीजेपी का प्रबल समर्थक माना जाता रहा है लेकिन इस वोट बैंक की चुनावों में अरूचि देखते हुए संभव है कि बीजेपी की सीटों का आंकड़ा पिछली बार के मुकाबले काफी नीचे लुढ़क सकता है. लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या सच में कांग्रेस इतनी सीटें ला रही है कि वह अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब हो सके. मतदान के हालिया रुझान को देखते हुए इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता कि उसका प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले काफी बेहतर होने वाला है. हां, पार्टी बहुमत से काफी दूर रहे, इसमें कोई संदेह नहीं है. कांग्रेसी नेता भी मान कर चल रहे हैं कि पार्टी का आंकड़ा 200 तक पहुंच सकता है. पार्टी भी इसी रणनीति पर काम कर रही है.

कांग्रेस चाह रही है कि किसी भी तरह उसकी सीटों की संख्या बीजेपी की सीटों से अधिक हो ताकि चुनाव पश्चात गठबंधन का रास्ता उसके पक्ष में बनाने में आसानी हो. पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा है, ‘कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी लेकिन कांग्रेस को अपने दम पर बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. इसलिए दिल्ली में नयी सरकार के लिए चुनाव के बाद गठबंधन ज़रूरी है.’ ऐसे में यह तो तय हो ही गया है कि सत्तारूढ़ बीजेपी शासन में वापसी करने में सफल नहीं होगी. वजह है कि न तो इन्हें पर्याप्त सीटें मिलेंगी और न ही इनके साथ कोई गठबंधन करने जा रहा है.

अगर एनडीए या यूपीए में से किसी को बहुमत हासिल नहीं होता तो त्रिशंकु स्थिति में संसद का सिरमौर कौन होगा, इसके लिए 23 मई का इंतज़ार करना ज़रूरी है. माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस यूपीए गठबंधन को मिलाकर 200 का आंकड़ा पार करेगी तो राहुल गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाने का फैसला ले सकती है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस एनडीए के उन सहयोगियों को अपने साथ जोड़ने का प्रयास करेगी जिनकी राजनीति का मिज़ाज धर्मनिरपेक्षतावादी हो. लेकिन यह स्थिति तब आयेगी जब कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए 200 सीटों का आंकड़ा आराम से पार कर पाए.

कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस ने इसके लिए विचार-मंथन करना शुरू कर दिया है. त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में अगर उसके पास बहुत उपयुक्त आंकड़ा नहीं रहा तो वह विपक्षी गठबंधन की सरकार बनाने की ओर मदद का हाथ बढ़ाएगी. ऐसे में कुछ नाम सामने आ सकते हैं. इनमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, तृणमूल की ममता बनर्जी, बीजद के बीजू पटनायक, आंध्र से चंद्रबाबू नायडु, उत्तर प्रदेश से मायावती शामिल हैं. जाहिर है इसमें शरद सबसे आगे हो सकते हैं.

वजह- उनकी छवि ऐसी है जिस पर शायद ही किसी विपक्षी पार्टी को ऐतराज हो. इसके अलावा प्रधानमंत्री बनने की उनकी ख्वाहिश के बारे में भी सभी जानते हैं. थक-हारकर इस बार उन्होंने एक तरह से राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया और चुनाव से दूरी बनायी, मगर यह कोई बड़ी बाधा नहीं है. अगर उनके नाम पर सहमति बनी तो वें उपचुनाव जीतकर संसद के सदस्य बन सकते हैं. जैसे-जैसे मतदान के दौर बीत रहे हैं, उनको लेकर सुगबुगाहट भी शुरू हो गयी है. एक खेमा अभी से उनकी राह बनाने में जुट गया है.

बहरहाल, बीजेपी का एक खेमा मोदी की जगह नितिन गड़करी को आगे करने की कोशिश कर रहा है. इस आशंका में कि बहुमत न आने की स्थिति में पार्टी गड़करी के चेहरे को आगे कर समर्थन जुटा सकती है. संघ ने तो बहुत पहले इस ओर इशारा कर दिया था. शायद मतदान से पहले ही संघ को अंदेशा हो चुका था कि मोदी की विदाई तय है. उनके तमाम आंतरिक सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे थे कि नोटबंदी, जीएसटी, बेरोज़गारी जैसे मसलों ने बीजेपी का नुकसान कर दिया है और उसकी भरपायी शायद अब संभव नहीं. मतदान के बीतते चरणों के साथ वह आशंका धरातल पर उतरती साफ नज़र भी आ रही है. फिर भी आखिरी तस्वीर के लिए 23 मई का इंतज़ार करना होगा क्योंकि लोकतंत्र में चुनाव का खेल भी अब टी-20 क्रिकेट की तरह रोमांचक हो चला है.

पीएम मोदी को वाराणसी में टक्कर देंगे कांग्रेस के अजय राय

politalks news

कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर दो उम्मीदवारों की सूची जारी की है. वाराणसी से कांग्रेस ने अजय राय और गोरखपुर से मधुसूदन तिवारी को प्रत्याशी बनाया है. वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं. यहां से प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव लड़ने की संभावना थी लेकिन पार्टी ने अब यहां से अजय राय को उम्मीदवार बनाया है. अजय राय 2014 में भी वाराणसी से कांग्रेस के प्रत्याशी थे. अजय राय पिंडरा विधानसभा से पांच बार विधायक रह चुके है. यहां सपा- बसपा गठबंधन ने शालिनी यादव को प्रत्याशी बनाया है.

वहीं, गोरखपुर से सीट से कांग्रेस ने मधुसुदन तिवारी को उम्मीदवार बनाया है. यहां से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साल 1998 से 2017 तक सांसद रहे लेकिन साल 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को सपा के प्रवीण निषाद से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन प्रवीण निषाद इस बार संतकबीर नगर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. सपा ने इस बार यहां से रामलुआभ निषाद को प्रत्याशी बनाया है. वहीं बीजेपी ने यहां भोजपुरी अभिनेता रविकिशन पर दांव खेला है.

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat