देश में लोकसभा चुनाव के तीन चरण का मतदान हो चुका है और चौथे चरण का मतदान 29 अप्रैल को होना है. राजस्थान में लोकसभा चुनाव दो चरण में सम्पन्न होंगे. जिसमें 29 अप्रैल को 13 लोकसभा सीटों और 6 मई को 12 सीटों पर मतदान होने वाला है. चौथे चरण प्रदेश की 13 सीटों पर भी मतदान होगा. प्रदेश में 29 अप्रैल को जिन 13 सीटों पर मतदान होना है उनमें अजमेर, टोंक-सवाई माधोपुर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चितौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारां संसदीय सीटें शामिल है. एक नजर डालते हैं इन सीटों पर.
जोधपुर संसदीय सीट इस बार प्रदेश के साथ-साथ देश की हॉट सीटों में शुमार है. यहां से कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को प्रत्याशी बनाया है. जहां वैभव का मुकाबला केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से है. जोधपुर के चुनावी नतीजे दोनों प्रत्याशियों का भविष्य तय करेंगे. वैभव के साथ इस सीट पर उनके पिता अशोक गहलोत की भी प्रतिष्ठा दांव पर है. गहलोत जोधपुर से पांच बार सांसद रह चुके हैं. वो अभी वर्तमान में जोधपुर लोकसभा क्षेत्र की सरदारपुरा विधानसभा सीट से विधायक हैं.
वहीं, अजमेर लोकसभा सीट पर भी इसी चरण मे मतदान होना है. यहां से कांग्रेस ने युवा और नए चेहरे रिजु झूनझूनवाला पर दांव खेला है. वहीं बीजेपी ने किशनगढ़ के पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सांवरलाल जाट ने कांग्रेस के सचिन पायलट को शिकस्त दी थी. साल 2018 में सांवरलाल जाट के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रघु शर्मा ने बीजेपी के रामस्वरुप लांबा को मात दी थी.
इसके अलावा टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है. यहां बीजेपी के वर्तमान सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया और कांग्रेस प्रत्याशी नमोनारायण मीणा के बीच टक्कर है. नमोमारायण मीणा इस सीट से 2004 और 2009 में सांसद रह चुके हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें दौसा से प्रत्याशी बनाया था. जहां उनको करारी हार का सामना करना पड़ा था. वहीं कांग्रेस ने टोंक-सवाई माधोपुर से क्रिकेटर मोहम्म्द अजहरूद्दीन को टिकट दिया था.
तो पाली लोकसभा सीट पर मुकाबला साल 2014 के उम्मीदवारों के बीच है. बीजेपी ने वर्तमान सांसद पीपी चौधरी को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस की तरफ से पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ को प्रत्याशी बनाया गया है. बद्री जाखड़ साल 2009 में पाली से सांसद चुने गए थे. वहीं, साल 2014 में कांग्रेस ने यहां से बद्रीराम जाखड का टिकट काटकर उनकी बहन मुन्नी देवी गोदारा को प्रत्याशी बनाया था.
साथ ही संसदीय सीट बाड़मेर-जैसलमेर में इस बार मुकाबला रोचक व दिलचस्प है. यहां कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है. मानवेंद्र पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल के पुत्र हैं. साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने सिंह परिवार का टिकट काटकर कांग्रेस से बीजेपी में आए कर्नल सोनाराम को दिया था. जिससे बागी होकर जसवंत सिंह ने बाड़मेर से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन वो सोनाराम से चुनाव हार गये थे. इसी विधानसभा चुनाव से पूर्व मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस ज्वॉइन की थी. इस बार कांग्रेस ने मानवेन्द्र सिंह पर दांव खेला है. वही बीजेपी ने बायतु के पूर्व विधायक कैलाश चौधरी को प्रत्याशी बनाया.
इसके साथ ही जालोर में मुकाबला कांग्रेस के रतन देवासी और बीजेपी के वर्तमान सांसद देवजी पटेल के बीच है. रतन देवासी हाल ही में रानीवाडा सीट से विधानसभा का चुनाव हार गये थे. पार्टी ने उन पर फिर से विश्वास जताया है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से उदयलाल आंजना को मैदान में उतारा गया था. वहीं निर्दलीय बूटा सिंह ने भी लगभग पौने दो लाख मत हासिल किए थे.
वहीं, उदयपुर सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है. इसी विधानसभा चुनावों में आदिवासी इलाकों में उभरकर आई पार्टी बीटीपी ने इस बार मुकाबला त्रिकोणीय बनाया हुआ है. जहां बीजेपी के वर्तमान सांसद अर्जुनलाल मीणा, कांग्रेस के रघुवीर मीणा और भारतीय ट्राइबल पार्टी के बिरधीलाल छानवाल के बीच मुकाबला है. कांग्रेस के लिए बीते विधानसभा चुनाव के नतीजे अच्छे नही रहे थे. कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर मीणा स्वयं उदयपुर ग्रामीण से चुनाव हार गये थे.
साथ ही बांसवाड़ा- डूंगरपुर में भी मुकाबला त्रिकोणीय बना हुआ है. यहां एक बड़ी शक्ति बनकर उभरी बीटीपी दोनों पार्टियों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है. हाल ही के विधानसभा चुनाव में बीटीपी ने प्रदेश की दो सीटों पर कब्जा किया था. वहीं अन्य सीटों पर भी उसका प्रदर्शन अच्छा रहा था. बीटीपी ने लोकसभा चुनाव में कांतिलाल रोत को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा पर दांव खेला है. वहीं बीजेपी ने वर्तमान सांसद मानशंकर निनामा का टिकट काटकर कनकमल कटारा को प्रत्याशी बनाया है.
वहीं, चितौड़गढ़ से बीजेपी ने वर्तमान सांसद सीपी जोशी पर पुन: विश्वास जताया है. उनका मुकाबला राजसमंद के पूर्व सांसद गोपाल सिंह ईड़वा से होगा. गोपाल साल 2009 में राजसमंद लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहूंचे थे. लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के सामंने अपना क्षेत्र नहीं बचा पाए थे. पार्टी ने इस बार उनको नए क्षेत्र चितौडगढ़ से प्रत्याशी बनाया है. उनको यहां बीजेपी के सीपी जोशी की चुनौती को पार करना होगा.
इसके अलावा राजसमंद संसदीय सीट पर बीजेपी के सांसद हरिओम सिंह राठौड ने बीमारी के कारण चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान पहले ही किया था. जिसके बाद पार्टी यहां से किसी जिताऊ प्रत्याशी की तलाश में. काफी जद्दोजहद के बाद जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी दीया कुमारी को प्रत्याशी बनाया है. दीया साल 2013 में सवाई माधोपुर विधानसभा से विधायक रह चुकी हैं. यहां दीया का मुकाबला कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर से है. देवकी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के करीबी है और वे साल 2013 में भीलवाडा की नाथद्वारा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके है.
तो भीलवाडा में मुकाबला कांग्रेस के रामपाल शर्मा और बीजेपी के सुभाष बहेड़िया के बीच है. रामपाल शर्मा भी सीपी जोशी के नजदीकी माने जाते हैं. उनके टिकट में अहम भूमिका सीपी जोशी की ही रही है. सीपी जोशी साल 2009 में इस क्षेत्र से सांसद रह चुके है. 2014 के चुनाव में यहां कांग्रेस ने हिंडोली विधायक अशोक चांदना को प्रत्याशी बनाया था.
इसके अलावा कोटा सीट पर मुकाबला बीजेपी के ओम बिड़ला और कांग्रेस के रामनारायण मीणा के बीच है. ओम बिड़ला पर पार्टी ने पुन: भरोसा दिखाते हुए उन्हें चुनावी समर में उतारा है. रामनारायण मीणा वर्तमान में पीपल्दा सीट से विधायक है. वहीं साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बिड़ला ने कांग्रेस के इज्यराज सिंह को हराया था लेकिन वो विधानसभा चुनाव से पूर्व बीजेपी में आ गए थे. उनकी पत्नी इस समय कोटा की लाड़पुरा सीट से विधायक है.
वहीं झालावाड़-बांरा लोकसभा सीट से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह को चुनावी समर में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने बीजेपी से कांग्रेस में आए प्रमोद शर्मा पर दांव खेला है. इस सीट पर पहले प्रमोद जैन भाया का दावा मजबूत था लेकिन पार्टी ने प्रमोद शर्मा पर ही दांव खेलना उचित समझा. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि प्रमोद शर्मा दुष्यंत के सामने कितनी चुनौती पेश कर पाते है.
प्रदेश की इन 13 लोकसभा सीटों पर 29 अप्रैल को मतदाता अपना सांसद चुनकर दिल्ली भेजने वाले है. इसके बाद बाकी की 12 संसदीय सीटों पर 6 मई को मतदान होगा. इस बार के लोकसभा चुनावों में बीजेपी साल 2014 के चुनावों के नतीजे दोहराने के लिए पूरी कोशिश में जुटी है तो वहीं कांग्रेस भी मिशन-25 के तहत मतदाताओं तक पहुंचने में लगी है. लेकिन अंतिम फैसला तो जनता को ही करना है. जिसमें वो किसे चुनकर दिल्ली भेजती है ये देखने वाली बात रहेगी.