पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया था लेकिन उपचुनाव में अजमेर और अलवर सीटें फिर से कांग्रेस के खाते में आ गईं. इस बार अजमेर संसदीय सीट पर उद्योगपति से सियासी गलियारों में कदम रखने वाले रिजु झुनझुनुवाला कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं. हालांकि पिछले साल सूबे में बीजेपी की सत्ता होने के बावजूद कांग्रेस यह सीट निकालने में कामयाब हुई थी लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक से अजमेर के समीकरण बदल गए. लिहाजा पीसीसी चीफ सचिन पायलट और मंत्री रघु शर्मा जैसे दिग्गज़ों ने यहां से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. अब रिजु ने पैसों की चमक और शहर की दिवारों पर लगे आकर्षक स्लोगन के दम पर खूब माहौल बनाने के प्रयास किए लेकिन मोदी लहर पर सवार भागीरथ चौधरी को टक्कर नहीं दे पा रहे हैं. बाहरी उम्मीदवार होने की वजह से स्थानीय नेताओं का भी रिजु को सहयोग नहीं मिल रहा. ऐसी स्थिति में उनकी सास बीना काक ने अपने दामाद के प्रचार की कमान संभाली हुई है.
जातीय समीकरण पर किसका पलड़ा भारी
जातीय समीकरणों पर गौर करें तो भागीरथ यहां भी रिजु झुनझुनवाला से ज्यादा मजबूत हैं. अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, उत्तर, पुष्कर, नसीराबाद, किशनगढ़, दूदू और केकड़ी में फिलहाल बीजेपी मजबूत स्थिति में दिख रही है. इस सीट पर SC/ST की आबादी लगभग 22 फीसदी है. जाटों की संख्या 16 से 17 फीसदी है. मुस्लिम आबादी 12 फीसदी और कुछ क्षेत्रों में राजपूत, वैश्य समुदाय का दबदबा है. 2018 के चुनाव के मुताबिक इस संसदीय सीट पर मतदाताओं की संख्या 18 लाख 42 हजार 992 है. इसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 43 हजार 546 और 8 लाख 99 हजार 424 महिला मतदाता हैं.
मौजूदा सियासी जमीनी हकीकत
रिजु का नाम प्रत्याशियों की लिस्ट में काफी बाद में आया. ऐसे में प्रचार की दौड़ में दस दिन पिछड़ने के बाद कांग्रेस के रिजु ने आर्थिक संसाधनों के बूते माहौल को गरमाहट दे दी है. लेकिन आंतरिक कलह और देरी से टिकट की घोषणा होने के फैक्टर उनपर भारी पड़ रहे हैं. वहीं भागीरथ चौधरी स्थानीय होने के साथ-साथ बीजेपी के मजबूत संगठन का भरपूर फायदा उठाते दिखाई दे रहे हैं.
अजमेर की राजनीतिक पृष्ठभूमि
अजमेर लोकसभा सीट पर 1998-99 छोड़ दें तो 1989 से बीजेपी के रासा सिंह रावत पांच बार सांसद रहे. 2009 के आम चुनावों में सचिन पायलट ने बीजेपी की किरण माहेश्वरी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया. 2014 की मोदी लहर में पायलट यह सीट बीजेपी के जाट नेता सांवरलाल जाट के हाथों गंवा बैठे. केंद्रीय मंत्री सांवर लाल जाट के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की. रघु शर्मा फिलहाल केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.
जीत का यह रहेगा फॉर्मूला
इस सीट पर मोदी लहर और राष्ट्रवाद हावी है. ऐसे में रिजु हो या फिर भागीरथ चौधरी, जो भी उम्मीदवार एससी-एसटी, मुस्लिम और राजपूत वोटरों को जो अपने पक्ष में कर पाया, वही इस मुकाबले में सिरमौर बनेगा. एंटी जाट वोट बैंक का ध्रुवीकरण भी खेल बदल सकता है. सचिन पायलट, अशोक गहलोत और राहुल गांधी की जनसभा भी रिजु के पक्ष में माहौल बना सकती है.