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तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट, एग्जिट पोल के बाद घाट-घाट घूमने में लगे चंद्रबाबू नायडू

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लोकसभा चुनाव के समर में अब सिर्फ नतीजे ही बाकी रहे हैं. इसी बीच सामने आए विभिन्न न्यूज चैनल्स व सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल ने सियासी पारा चढ़ा कर रख दिया है. एक ओर एनडीए खासी उत्साहित नजर आ रही है तो वहीं यूपीए भी एग्जिट पोल को नकारते हुए धड़ाबंदी में जुटी है. एग्जिट पोल के बाद से ही आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री व टीडीपी नेता एन चंद्रबाबू नायडू खासे बैचेन नजर आ रहे हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के दिग्गजों से मिलने का सिलसिला धुंआधार मुलाकात में तब्दील हो गया है. नायडू के इस तूफानी संपर्क के कार्यक्रम से तीसरे मोर्चे के गठन की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है.

चंद्रबाबू नायडू की सक्रियता दिल्ली सहित उत्तरी व मध्य भारत में देखी जा रही है. जहां वे विभिन्न पार्टियों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने में लगे हैं. नायडू इस रणनीति पर काम करने में लगे हैं कि बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में तीसरा मोर्चा सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से एकजुट और तैयार रहे. इसी क्रम में आज वे कोलकाता पहुंचे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी नेता ममता बनर्जी से मुलाकात की.

चुनावी नतीजे तो 23 मई को आने वाले हैं लेकिन अपना-अपना मजबूत दावा करने वाले राजनीतिक दल एकजुटता की ओर बढ़ रहे हैं. यही कारण है कि दिल्ली से लेकर आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक एग्जिट पोल के दावों को दरकिनार कर सियासी समीकरण साधकर जोड़-तोड़ की रणनीति पर काम शुरू हो गया है. अगले पांच साल तक दिल्ली के सिंहासन पर शासन के लिए हर तरह से कोशिश करने में जुटे विपक्षी व एनडीए विरोधी दल हर तरह से गैर बीजेपी सरकार बनाने की कवायद में जुटे है.

राजनीतिक गलियारों में चंद्रबाबू नायडू इन दिनों चर्चा का विषय यूं ही नहीं बने हुए हैं. सियासी पंडित उनके इस मुलाकात कार्यक्रम के कई मायने निकाल रहे हैं. पिछले काफी समय से देश के उत्तरी व मध्य हिस्से में एक्टिव नायडू दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से भी मिल चुके हैं. इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी उन्होंने मुलाकात की थी. इन तीनों बड़े नेताओं से मुलाकात के बाद सियासी हल्कों में तीसरे मोर्चे की आहट सुनाई देने लगी थी. हांलाकि आप नेताओं ने इसे महज एक शिष्टाचार भेंट बताया था.

अंदरखाने शुरू हुई इस जोड़-तोड़ की गणित बैठाने की रणनीति पर मध्यस्थ के रूप में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री व टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ही दिख रहे हैं. नायडू तमाम ऐसे राजनीतिक दलों से संपर्क में जुटे हैं जो गैर बीजेपी सरकार के लिए समर्थन की हामी भरते हों. नायडू की इन मैराथन बैठकों में वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके आवास पर मिल चुके हैं. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव से भी मुलाकात कर चुनाव नतीजों के बाद के संभावित समीकरणों पर चर्चा कर रणनीति बनाई है.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद एक ओर जहां एग्जिट पोल ने एनडीए को बहुमत का दावा किया है वहीं दूसरी ओर यूपीए भी इन दावों को नकार ताल ठोक रहा है. नतीजों से पहले यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने 23 मई को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. विपक्ष ये सारी कोशिश इस बात को ध्यान में रखकर कर रहा है कि अगर नतीजों के बाद बीजेपी को फिर से स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो बिना मौका गंवाए विपक्षी दल एकजुट हो जाएं, सरकार बनाने का दावा पेश कर सकें.

गौरतलब है कि केंद्र में गैर बीजेपी सरकार के गठन की कोशिश के लिए चंद्रबाबू नायडू ने अपने धुर-विरोधी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से भी मुलाकात कर तीसरे मोर्चे में शामिल होने की पेशकश कर चुके हैं. नायडू ने टीआरएस के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए दूसरे सियासी दलों के भी इस गैर बीजेपी महागठबंधन में स्वागत की बात कही थी. हाल ही में चंद्रशेखर राव की केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से मुलाकात को भी राजनीतिक जानकारों द्वारा इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. खैर, तस्वीर साफ होने में अब महज कुछ घंटे ही कहे जा सकते हैं, जिसके बाद दिल्ली के सरताज पर मोहर लग ही जाएगी.

फिर ईवीएम पर विपक्ष का सवाल, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने शुरू किया ईवीएम का रोना

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देश में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल के बाद विपक्षी नेताओं ने नतीजों के लिए ईवीएम पर दोष मढ़ना शुरू कर दिया. आज सुबह खबर आयी थी कि टीडीपी सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ईवीएम व वीवीपेट पर्चियों की गणना की मांग को लेकर चुनाव आयोग के दफ्तर पर धरना देंगे.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने एक मिडिया संस्थान से बातचीत के दौरान विधानसभा चुनाव के नतीजों पर संशय जताते हुए कहा कि अगर एग्जिट पोल जैसे रिजल्ट आते हैं तो मेरा मानना है कि पिछले दिनों तीन राज्यों के चुनाव में जहां-जहां कांग्रेस जीती है वह एक साजिश थी. यहां कांग्रेस को इसलिए जिताया गया ताकि लोग लोकसभा चुनाव में ईवीएम नतीजे पर संशय नहीं करे.

इसी के साथ राशिद अल्वी ने एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों पर भी सवाल खड़ा किया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले दिनों इनमें से कई कंपनियों पर स्टिंग ऑपरेशन हुए थे. जिसमें यह पैसे लेकर नतीजों को प्रभावित करने की बात स्वीकार कर रहे थे.

एग्ज़िट पोल: वीआईपी सीटों पर किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा

देश में 7वें चरण के मतदान के तुरंत बाद तमाम न्यूज़ चैनल्स ने अपने-अपने एग्ज़िट पोल पेश कर दिए हैं. इन चैनल्स में जो तथ्य सभी एग्ज़िट पोल में एक जैसे निकलकर सामने आए हैं, वो यह है कि देश में एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने जा रही है. एग्ज़िट पोल में यह तो बता दिया कि किस राज्य में किसकी कितनी सीटें आ रही हैं, लेकिन देश की बड़ी सीटों के परिणाम के बारे में पूरी तरह चुप रहे. हमारे इस खास आर्टिकल में हम आपको देश की बड़ी सीटों के बारे में बताएंगे कि कौन कहां से जीत रहा है…

वाराणसी
देश की सबसे चर्चित सीट वाराणसी, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चुनाव लड़ रहे है. यहां विपक्षी दल मोदी के खिलाफ कहीं मुकाबले में नजर नहीं आए. आकलन यह है कि मोदी यहां 2014 से भी ज्यादा मतों से चुनाव जीतेंगे. कांग्रेस और सपा के बीच दूसरे नंबर की लड़ाई दिख रही है.

रायबरेली
यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी इस बार भी रायबरेली से आसानी से चुनाव जीतती हुई दिखाई दे रही है. बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह यहां सोनिया गांधी के खिलाफ कहीं मुकाबले में नहीं दिखे.

अमेठी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी के साथ-साथ वायनाड से भी चुनावी मैदान में है लेकिन परम्परागत सीट अमेठी में ही उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. हमारे अनुमान के अनुसार, यहां राहुल और स्मृति के बीच मुकाबला बहुत करीबी रहने वाला है. हालांकि यहां थोड़ा सा पलड़ा राहुल गांधी का भारी दिखाई दे रहा है.

कन्नौज
यहां से सपा की तरफ से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव लड़ रही है. उनका मुकाबला बीजेपी के सुब्रत पाठक से है. 2014 में डिंपल ने पाठक को करीबी अंतर से हराया था. लेकिन हमारे आकलन में इस बार सुब्रत उलटफेर करते हुए दिखाई दे रहे है. उन्हें यहां करीबी मुकाबले में जीत हासिल हो सकती है. डिंपल इससे पूर्व फिरोजाबाद से राजबब्बर के खिलाफ चुनाव हार चुकी है.

गोरखपुर
गोरखपुर में इस बार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर है. हमारा अनुमान यह है कि वो अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब हुए है. यह सीट बीजेपी के खाते में जाती दिखाई दे रही है.

बेगूसराय
देश की चर्चित सीटों में से एक बेगूसराय में मुकाबला काफी दिलचस्प रहा. कन्हैया कुमार ने यहां अपने पक्ष में माहौल बनाने की काफी कोशिशे की. लेकिन उनका यह अथा प्रयास गिरिराज सिंह को कमजोर नहीं कर पाया. यहां से बीजेपी के गिरिराज सिंह आसानी से चुनाव जीतते दिखाई दे रहे है.

पाटलिपुत्र
पाटलिपुत्र में मुकाबला इस बार भी 2014 के उम्मीदवारों के बीच देखने को मिल रहा है. यहां चुनावी टक्कर बीजेपी से केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और राजद से मीसा भारती के बीच है. मीसा भारती बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालु यादव की बेटी है. 2014 में मीसा भारती को रामकृपाल यादव से हार का सामना करना पड़ा था. हमारे अनुमान के अनुसार, इस बार भी नतीजे 2014 की तरह ही रहने वाले है. यहां बीजेपी के रामकृपाल यादव जीतते हुए दिखाई दे रहे है.

भोपाल
भोपाल के चुनावी नतीजों पर पूरे देश की निगाहें हैं. यहां कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों ने चुनाव को हिंदुत्व को मुद्दे के आस-पास लड़ा. लेकिन हमारे अनुमान में बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर कांग्रेस के दिग्विजय सिंह पर भारी पड़ती नजर आ रही हैं. यह सीट आसानी से बीजेपी के खाते में जाते हुए दिख रही है.

रोहतक
यहां मुकाबला कांग्रेस के वर्तमान सांसद दीपेन्द्र हुड्डा और बीजेपी के अरविंद शर्मा के मध्य है. यह सीट बीजेपी 2014 की मोदी लहर में भी नहीं जीत पाई थी. लेकिन इस बार यह सीट बीजेपी के खाते में जाती दिखाई दे रही है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के पुत्र को इस बार हार का सामना करना पड़ रहा है. यह उनके लिए बड़ा झटका होगा.

सोनीपत
सोनीपत में मुकाबला इस बार त्रिकोणीय दिखाई दिया. यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस के भूपेंद्र हुड़डा, बीजेपी से रमेश कौशिक और जजपा के दिग्विजय चौटाला के बीच है. हमारे अनुमान के अनुसार सोनीपत भी 2019 में मोदी लहर पर सवार है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड़डा को यहां हार का सामना करना पड़ सकता है.

फिरोजाबाद
यहां मुकाबला चाचा-भतीजे के बीच रहा. यहां से सपा के टिकट पर अक्षय यादव मैदान में है. सामने उनके चाचा शिवपाल यादव प्रसपा से ताल ठोक रहे है. बीजेपी ने यहां से चंद्रसेन जादौन को उम्मीदवार बनाया है. हमारे अनुमान के अनुसार, यह सीट सपा की तरफ जाती हुई नजर आ रही है. यहां भतीजा यानि अक्षय यादव अपने चाचा के उपर भारी पड़ रहे हैं.

गुरदासपुर
पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट पर पहले दावा कांग्रेस का मजबूत था. लेकिन सनी देओल की बीजेपी से उम्मीदवारी घोषित होने के बाद यहां के चुनावी समीकरण पुरी तरह से बदल गए हैं. पॉलिटॉक्स के अनुसार, यहां सनी देओल और सुनील जाखड के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी.

कमल हासन को मद्रास HC ने दी राहत, गोडसे बयान मामले में मिली अग्रिम जमानत

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मद्रास हाईकोर्ट के मदुरई बेंच ने फिल्म अभिनेता व मक्कल निधि मय्यम नेता कमल हासन को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने हासन को महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के संदर्भ में दिए गए बयान को लेकर अग्रिम जमानत दे दी है. मध्यप्रदेश की भोपाल संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर द्वारा नाथूराम गोडसे पर दिए बयान के बाद कमल हासन ने भी इसके विपरित बयान देकर सियासी भूचाल ला दिया था. जिसके बाद हिन्दू मुनानी पार्टी की द्वारा उनके खिलाफ भावनाओं को आहत करने को लेकर मामला दर्ज करवाया था. जिस पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच से उन्हें अग्रिम बेल मिल गई है.

बता दें कि भोपाल संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के बारे में विवादित बयान दिया था. जिसमें साध्वी ने कहा था कि नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, है और रहेंगे. इस पर देश की सियासत खासी गर्मा गई थी. इसके बाद इस बयानबाजी को आगे बढ़ाते हुए मक्कल निधि मय्यम नेता कमल हासन ने गोडसे को पहला हिन्दू आतंकवादी कह डाला. जिसके बाद तो राजनीति भूचाल सा आ गया और बीजेपी व हिन्दूवादी संगठनों ने खासी नाराजगी व्यक्त की.

साथ ही हिन्दू मुनानी पार्टी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कमल हासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया. मामले में हासन ने मद्रास उच्च न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दी थी. जिस पर हाईकोर्ट की मदुरई बेंच ने कमल हासन की अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें राहत प्रदान की है. जिसके बाद कमल हासन को अग्रिम जमानत मिल गई है.

इस बयान के बाद कमल हासन ने कहा था कि उन्हें लगता है राजनीति का स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. मुझे कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि हर धर्म में आतंकी होते हैं. यह कोई भी यकीन के साथ नहीं कह सकता कि सब पवित्र हैं. इतिहास पर नजर डालें तो भी पाएंगे कि सभी धर्मों के अपने चरमपंथी रहे हैं.

बीते गुरूवार को इस बयान को लेकर कमल हासन को विरोध का सामना करना पड़ा था. हासन पर तमिलनाडू के अरावाकुरुची में जनसभा के दौरान कथित तौर पर अंडे व पत्थर फेंके गए. हांलाकि इसमें किसी को कोई चोट नहीं लगी थी. इसके अलावा मदुरई के तिरुप्पारनकुंद्रम विधानसभा क्षेत्र में उन पर चप्पल तक फेंकी गई थी.

बता दें कि साल 1947 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली मारकर हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को कमल हासन ने देश का पहला हिन्दू आतंकवादी बताया था. जिसके बाद देश की सियासत खासी गर्मा गई थी. हासन ने यह बयान 13 मई को तमिलनाडु के अरवाकुरिची में प्रचार करते हुए कहा था, ‘मैं ये इसलिए नहीं कह रहा कि यहां काफी संख्या में मुसलमान हैं. मैं ये महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने कह रहा हूं. आजाद भारत में पहला आतंकवादी एक हिंदू था. उसका नाम था- नाथूराम गोडसे.’

कमलनाथ सरकार पर लटकी तलवार, बीजेपी ने कहा- साबित करो बहुमत

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लोकसभा चुनाव के सातों चरण का मतदान संपन्न होने के बाद अब हर कोई 23 मई को आने वाले परिणामों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. वहीं एग्जिट पोल ने यूपीए की टेंशन बढ़ा दी लेकिन एनडीए खासा उत्साहित नजर आ रहा है. यूपीए के मुख्य घटक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए मध्यप्रदेश से एक बुरी खबर है. बीजेपी ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. साथ ही अल्पमत की कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने की बात भी कही गई है. जिसके बाद कमलनाथ सरकार पर तलवार लटकती दिख रही है.

लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सुर्खियां बन गई है. यहां बीजेपी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर सियासी पारा गर्मा दिया है. जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश बीजेपी ने प्रदेश के राज्यपाल को एक पत्र लिखा है. जिसमें मांग की गई है कि राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत में है. इसके अलावा बीजेपी ने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने की मांग के साथ कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने की बात कही है. जिसके बाद एमपी की सियासत में भूचाल आना लाजमी है.

मध्यप्रदेश बीजेपी व विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने मीडिया से यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि इस संबध में हमने राजभवन जाकर राज्यपाल को पत्र दिया है. उन्होंने कहा कि पत्र में उनकी ओर से कहा गया है कि राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत में है और उन्हें बहुमत साबित करना चाहिए. इसके लिए उन्होंने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. बता दें कि इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ 20 दिन भी सीएम नहीं रह सकेंगे.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का दावा किया था. इसका पलटवार करते हुए बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उनके दावे को नकारते हुए खुद कमलनाथ पर तंज कसा था कि लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ 20 से 22 दिन तक मुख्यमंत्री रह पाएंगे या नहीं, इस पर ही सवालिया निशान है. विजयवर्गीय ने आगे कहा कि इंदौर में कभी भी कांटे का मुकाबला नहीं रहा. हम पिछली बार से ज्यादा वोटों से ये सीट जीतेंगे. उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में बीजेपी की पिछले चुनाव में जितनी सीटें थी, उससे एक या दो सीट और बढ़ेंगी.

साथ ही विजयवर्गीय ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी निशाने पर लेते हुए कटाक्ष किया कि उन्होंने कहा था कि 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ किया जाएगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मुख्यमंत्री को बदल देंगे लेकिन राहुल गांधी ऐसा नहीं कर पाए. इस दावे के बाद मध्यप्रदेश की जनता ने विधायकों को गांवों में घुसने तक नहीं दिया जिसके बाद अब विधायक ही राहुल गांधी की इस बात को पूरा करेंगे.

विजयवर्गीय के इस बयान के बाद कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीएम कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि कैलाश विजयवर्गीय अपने पश्चिम बंगाल के प्रभारी पद की चिंता करे, जो 23 मई के चुनाव नतीजों के बाद खतरे में आने वाला है. कमलनाथ तो पूरे पांच साल मुख्यमंत्री बने ही रहने वाले हैं.

बता दें कि हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में कांग्रेस के खाते में 20 से 22 सीटें आने का दावा किया था. जिसके बाद बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने यह प्रतिक्रिया दी है. विधानसभा चुनावों में प्रदेश की 230 सीटों में से 114 सीटें कांग्रेस के कब्जे में है. वहीं बीजेपी 109 पर जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा दो पर बसपा व पांच सीटों पर अन्य ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 116 का जादूई आंकड़ा पार करवाने के लिए बसपा ने समर्थन दिया और सरकार बनाई.

एग्ज़िट पोल के बाद कांग्रेस का हाल ‘अपना टाईम आएगा’

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देश में लोकसभा चुनाव के सभी सातों मतदान के चरण पूरे हो चुके हैं. अब इंतजार केवल 23 मई की शाम का है जब चुनावी नतीजे घोषित किए जाएंगे. रविवार शाम जैसे ही वोटिंग खत्म हुई, एग्ज़िट पोल का ‘भूत’ सामने आ गया. एग्ज़िट पोल में बीजेपी को एक तरफा जीत दिलाई जा रही है. वहीं एनडीए अपनी सरकार बना रहा है. इन खबरों के बाद एक तरफ बीजेपी बल्ले-बल्ले कर रही है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए मिम बन रहे हैं जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं. इस मिम्स में रणवीर सिंह की फिल्म गली बॉय, गैंग आॅफ वासेपुर और ​थ्री इडियट फिल्मों के मिम्स भी जमकर वायरल किए जा रहे हैं. एक मिम में राहुल गांधी को करण जौहर के स्टूडेंट ईयर-3 में लॉन्च करने का भी जिक्र किया गया है. जानते हैं ऐसे ही कुछ मिम्स के बारे में …

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सुखबीर बादल की बेटी ने किया आचार संहिता का उल्लंघन, EC ने दिया नोटिस

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लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में कल रविवार को हुए मतदान के दौरान पंजाब में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला सामने आया है. यहां शिरोमणि अकाली दल चीफ सुखबीर सिंह बादल की छोटी बेटी गुरलीन कौर ने पहली बार मतदान किया था लेकिन उनको यह तब भारी पड़ गया जब आयोग ने उन्हें आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर उन्हें नोटिस जारी कर दिया. दरअसल, गुरलीन मतदान के दौरान अकाली दल के चुनाव चिन्ह को पहने हुए थी. इस दौरान उनके साथ दादा व अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल, पिता सुखबीर सिंह बादल, मां हरसिमरत कौर भी थे.

हूआ यूं कि गुरलीन कौर ने रविवार को पहली बार बठिंडा लोकसभा सीट पर मतदान किया. जिसके बाद सोशल मीडिया पर शेयर फोटोज व वीडियो में गुरलीन मतदान करने के दौरान अकाली दल का प्रतीक चिह्न पहने दिखी. चुनाव आयोग ने इस पर संज्ञान लिया और उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. साथ ही आयोग द्वारा कहा गया है कि नोटिस का जवाब दिए जाने के बाद आगे की कार्रवाई के पर फैसला लिया जाएगा. सोशल मीडिया पर खुद गुरलीन के पिता सुखबीर बादल ने अपने अकाउंट से भी फोटोज शेयर की हुई हैं.

बता दें कि पंजाब की बठिंडा लोकसभा सीट से शिरोमणी अकाली दल प्रत्याशी हरसिमरत कौर बादल और कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग आमने-सामने हैं. साल 2009 से लगातार हरसिमरत यहां सांसद है. साथ ही वे मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री भी रह चुकी हैं. 21 नवंबर 1991 को सुखबीर सिंह बादल के साथ हरसिमरत की शादी हुई थी. हरसिमरत की दो बेटियां और एक बेटा है.

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में रविवार को पंजाब की कुल 13 सीटों पर वोट डाले गए हैं. साल 2014 में बीजेपी ने यहां दो सीटों पर जीत दर्ज की थी, तो वहीं शिरोणणि अकाली दल ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया था. एनडीए को पंजाब में चंडीगढ़ को मिलाकर सात सीटों पर कामयाबी मिली थी. वहीं कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 3 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इनमें चार सीटें खदूर साहिब, आनंदपुर साहिब, फिरोजपुर व बठिंडा अकाली दल ने और गुरदासपुर, होशियारपुर व चंडीगढ़ भाजपा ने जीती थीं. हालांकि विनोद खन्ना के निधन के बाद गुरदासपुर सीट पर हुआ उपचुनाव कांग्रेस ने जीत लिया था.

एग्जिट पोल से एनडीए उत्साहित, यूपीए भी धड़ाबंदी में लगा लेकिन मायावती का किनारा

लोकसभा चुनाव के सात चरणों के मतदान की समाप्ति के बाद हर किसी को नतीजों का इंतजार है. इसी बीच विभिन्न न्यूज चैनल्स व सर्वे कंपनी के एग्जिट पोल ने सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी है. एग्जिट पोल के हिसाब से देश में फिर एक बार एनडीए सरकार बनाने जा रही है. इसी बीच एनडीए के साथ-साथ यूपीए भी ताल ठोक रहा है. यूपीए अपने दलों की धड़ाबंदी में जुट गया है. टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में विपक्ष के दिग्गज नेताओं से मुलाकात की थी लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती का रूख कुछ बदला-बदला दिख रहा है. इसी बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आज उनके आवास पहुंचे और कुछ चर्चा के बाद वापस निकल गए.

यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी द्वारा मायावती को इस बार के चुनाव में ज्यादा तव्वजो दी जा रही है लेकिन खुद मायावती यूपीए से किनारा करती नजर आ रही है. माना जा रहा था कि 23 मई को दिल्ली में होने वाली यूपीए की बैठक में मायावती हिस्सा लेने वाली हैं और वे इस दौरान सोनिया गांधी से मुलाकात कर आगे की रणनीति तय कर सकती है लेकिन खुद बसपा नेता इस बात से साफ इंकार कर दिया है. बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में साफ किया है कि मायावती का ऐसी किसी मीटिंग के लिए कोई कार्यक्रम तय नहीं है. सतीश चंद्र के इस बयान के कई सियासी मायने बताए जा रहे हैं.

लोकसभा के सातवें व आखिरी चरण के मतदान संपन्न होने के साथ ही सियासी गलियारों ने इस बात का जोर पकड़ रखा था कि अबकी बार किसकी सरकार, लेकिन इसके बाद आए एग्जिट पोल ने इस ओर इशारा कर दिया है कि एनडीए एक बार फिर से केंद्र में सरकार बनाने जा रही है. हांलाकि यह सिर्फ एक अनुमान मात्र है. असली नतीजों के लिए तो 23 मई तक का इंतजार करना ही होगा. लेकिन एग्जिट पोल सामने आने के बाद उत्साहित एनडीए के साथ-साथ राजनीतिक दलों ने सरकार बनाने को लेकर कवायद शुरू कर दी है.

अधिकतर एजेंसियों के एग्जिट पोल में एनडीए की सरकार बनने का दावा किया है और एनडीए ने नई सरकार बनाने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. सूत्रों का कहना है कि कल 21 मई को दिल्ली में एनडीए के सभी सियासी दलों की बैठक रखी गई है. बैठक में इस संबध में चर्चा की जाने वाली है कि अगर एग्जिट पोल नतीजों में तब्दील होते हैं तो केंद्र में सरकार बनाने की रणनीति तय की जाए. हांलाकि इस संबध में कोई आधिकारिक घोषणा तो अभी तक नहीं हुई है. वहीं आज पीएम नरेंद्र मोदी की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से होने वाली भेंट को भी अहम माना जा रहा है. कार्यक्रम के अनुसार पीएम मोदी नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में भागवत से सरकार गठन पर चर्चा करने वाले हैं.

वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने दिल्ली में विपक्ष की मीटिंग आयोजित की है. भले ही एग्जिट पोल ने यूपीए को बढ़त की बात से इनकार किया हो लेकिन विपक्ष अंतिम नतीजों पर ही पूरा भरोसा रखे हुए है. विपक्ष इस एग्जिट पोल को सिरे से खारिज कर इस आसरे है कि कहीं न कहीं उनके हाथ मौका लग सकता है. सोनिया गांधी ने यूपीए के सहयोगी दलों के अलावा एनडीए के विरोधी दलों से संपर्क साधने व नतीजों के बाद आगे की रणनीति के लिए दिल्ली में बैठक बुलाई है. इसके लिए सोनिया गांधी ने इन दलों को बैठक में शामिल करने की विशेष जिम्मेदारी एमपी के मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के अलावा अन्य वरिष्ठ नेताओं को सौंपी है.

हांलाकि यूपीए को एकजुट करने की कवायद आखिरी चरण के मतदान व एग्जिट पोल से पहले ही शुरू हो गई थी. पिछले काफी समय से टीडीपी चीफ व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू भी इसी कवायद में जुटे हैं. नायडू हाल ही में विभिन्न पार्टियों के दिग्गज नेताओं से संपर्क कर गहन चर्चा कर चुके हैं. जिसमें वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल सहित कईयों से विशेष मुलाकात कर चुके हैं.

बता दें कि लंबे समय से एक-दूसरे के धुर-विरोधी रही सपा व बसपा ने यूपी में लोकसभा चुनाव गंठबंधन में लड़ा है. चुनाव प्रचार में एक लंबे अरसे बाद बसपा सुप्रीमो मायावती व सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने मंच साझा किया था. इस गठबंधन राष्ट्रीय लोक दल भी शामिल रहा. यूपी में गठबंधन को पूरा भरोसा है कि यहां की जनता ने उनपर विश्वास जताया है. हांलाकि एग्जिट पोल की कुछ एजेंसियां यूपी में गठबंधन को बढ़त से इनकार कर रही है तो कुछ इस बात पर मुहर लगा रहे है कि यूपी को सपा-बसपा गठबंधन भा गया है. खैर, 23 मई को पूरी तस्वीर साफ हो ही जाएगी.

योगी ने किया कैबिनेट मंत्री को बर्खास्त

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लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले यूपी की राजनीति में उठापटक शुरु हो गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल राम नाईक से उनके मंत्रिमंडल में शामिल ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी है. योगी आदित्यनाथ ने सूहलदेव समाज पार्टी के जिन नेताओं को राज्य में मंत्री पद का दर्जा दिया गया है. उन्हें हटाने की सिफारिश की है.

ओमप्रकाश राजभर यूपी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण-दिव्यांग जन कल्याण मंत्री पद पर कार्यरत है. ओपी राजभर पिछले कुछ समय से बीजेपी के खिलाफ आक्रामक नजर आ रहे है. कई बार तो ओमप्रकाश राजभर के बयान बीजेपी के लिए मुसीबत का सबब बने.

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले ही ओम प्रकाश राजभर ने पिछड़ा वर्ग मंत्रालय का प्रभार छोड़ने की पेशकश की थी. हालांकि, तब उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया था. लेकिन अब चुनाव खत्म होते ही योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल से उनको बर्खास्त करने की सिफारिश की है.

फलौदी का सट्टा बाजार बना रहा है एनडीए की सरकार

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देश में होने वाले लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं लेकिन हर बार की तरह पूरे देश की निगाहें फलौदी के सट्टा बाजार पर है. हमेशा सटीक परिणाम के लिए पहचान रखने वाले फलौदी का सट्टा बाजार इस बार पुनः केंद्र में मोदी की सरकार बनने का दावा कर रहा है. वहीं राजस्थान में बीजेपी की 20 से 22 सीट आने और जोधपुर सिटी में गजेंद्र सिंह शेखावत के स्पष्ट जीत के संकेत दे रहा है. आम सभा चुनाव को लेकर दोनों ही पार्टियों ने चुनाीव प्रचार में ताकत झोंक दी थी. अपने-अपने घोषणापत्र और विकास कार्यों को आधार बना दोनों ही पार्टियां मतदाताओं को मत देने की अपील की. 23 मई को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर देश में किसकी सरकार बनने जा रही है.

हर बार की तरह इस बार भी फलौदी के सट्टा बाजार पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजर है. फलोदी का सट्टा बाजार एक बार फिर एनडीए की स्पष्ट बहुमत से सरकार बनने का दावा कर रहा है. फलौदी के सट्टा बाजार की मानें तो जहां बीजेपी की 248 से 250 सीट आ सकती हैं. वहीं एनडीए करीब 338 से 340 सीटों पर कब्जा करेगी. दूसरी ओर, फलोदी का सट्टा बाजार कांग्रेस को 76 से 78 सीट और यूपीए को 105 से 115 सीट दे रहा है.

राजस्थान में लोकसभा सीटों की बात की जाए तो फलौदी का सट्टा बाजार इस बार बीजेपी को 20 से 22 सीट मिलने की बात कह रहा है. वहीं कांग्रेस के चार से पांच सीटों पर विजश्री का अनुमान है. प्रदेश की सबसे हॉट सीट जोधपुर लोकसभा सीट पर भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन फलोदी का सट्टा बाजार यहां गजेंद्र सिंह शेखावत की जीत तय मान रहा है. फलौदी के सट्टा बाजार में गजेंद्र सिंह शेखावत की जीत के 30 पैसे के भाव हैं. वहीं वैभव गहलोत की जीत के भाव 2.50 पैसा है.

बीकानेर, जयपुर, जयपुर ग्रामीण पर भी बीजेपी की जीत तय बताई जा रही है. नागौर से एनडीए उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल की जीत पर फलोदी का सट्टा बाजार बता रहा है तो वहीं बाड़मेर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है. विधानसभा चुनाव में भी फलौदी के सट्टा बाजार में कांग्रेस की 99 से 102 सीटों पर जीत बताई थी जो लगभग सही साबित हुई. फलौदी के सट्टा बाजार का आकलन पूरे देश में सबसे सटीक आकलन वाला जाता है. ऐसे में अब देखना होगा कि क्या इस बार फलोदी का सट्टा बाजार अपने आकलन पर सटीक साबित होता है या नहीं.

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