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चुनाव के आखिरी चरण में 60.21 फीसदी मतदान, बंगाल फिर टॉप पर

लोकसभा चुनाव के मतदान का अंतिम चरण आज समाप्त हो चुका है. सातवें चरण में आठ राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गए. शाम छह बजे तक कुल 60.21 प्रतिशत मतदान हुआ. पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश की कुछ घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण रहा.

चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार बिहार में 49.62 फीसदी, हिमाचल में 66.18 फीसदी, मध्य प्रदेश में 69.38 फीसदी, पंजाब में 58.81 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 54.37 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 73.05 फीसदी, झारखंड में 70.5 फीसदी और चंडीगढ़ में 63.57 फीसदी मतदान हुआ.

आपको बता दें कि मतदान के अंतिम चरण में कुल 918 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. इनमें वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़ा नाम हैं. सातवां चरण इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटें भी शामिल हैं, जिसकी जिम्मेदारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की है.

गौरतलब है कि प्रियंका गांधी ने चुनाव से कुछ समय पहले ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा है. सक्रिय राजनीति में आते ही उन्हें पार्टी महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंप दी गई. अंतिम चरण में इसी पूर्वी उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ. ऐसे में ये सातवां चरण केवल भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

सिद्धू पर बिफरे कैप्टन अमरिंदर, कहा- मुझे हटाकर बनना चाहते हैं मुख्यमंत्री

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि शायद नवजोत सिंह सिद्धू मुझे हटाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं.

कैप्टन अमरिंदर ने कहा, ‘मैं उन्हें बचपन से जानता हूं. मेरा उनके नजरिये को लेकर कोई फर्क नहीं है. शायद मुझे हटाकर वो मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. ये उनका मामला है. लेकिन चुनाव से ठीक एक दिन पहले जो बयान दिया उसका असर कुछ भी असर पार्टी पर पड़ेगा न की मुझ पर. केंद्रीय नेतृत्व ने इसपर संज्ञान लिया है. पार्टी अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करती है.’

आपको बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को कहा था कि अगर कैप्टन अमरिंदर के राज में धर्म ग्रंथों के अपमान पर इंसाफ नहीं मिला और दोषियों को सजा नहीं दी गई तो मैं कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा. इससे पहले सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने कहा था कि कैप्टन साहब की वजह से मेरा टिकट काट दिया गया. उन्होंने कहा, ‘कैप्टन साहब और आशा कुमारी को लगता है कि मैडम सिद्धू सांसद टिकट के लायक नहीं हैं. दशहरा पर जो ट्रेन हादसा हुआ था, उसे आधार बनाकर मेरा टिकट काटा गया.’

सातवें चरण में भी पश्चिम बंगाल में हिंसा जारी, बीजेपी उम्मीदवारों की कार तोड़ी

लोकसभा चुनाव के रण में सातवें और आखिरी चरण के वोटिंग जारी है. पहले छह चरणों की तरह इस बार भी पश्चिम बंगाल में हिंसा हो रही है. डायमंड हार्बर से बीजेपी उम्मीदवार नीलांजन रॉय ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी हमला किया और तोड़फोड़ की. वहीं, जादवपुर से बीजेपी प्रत्याशी अनुमप हाजरा ने आरोप लगाया है कि टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला करने की कोशिश की और उनकी कार तोड़ दी.

अनुपम हाजरा ने यह भी आरोप लगाया कि टीएमसी के कार्यकर्ता मुंह ढककर मतदान कर रहे हैं जिससे उनकी पहचान कर पाना मुश्किल हो रही है. हाजरा के मुताबिक जब उन्होंने इस पर सवाल किया तो टीएमसी कार्यकर्ताओं ने बवाल शुरू कर दिया. अनुपम ने कहा कि टीएमसी ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि उन्हें हार का डर है. मेरी टीम पर हमला हुआ है. हमारे पोलिंग एजेंट्स को भी धमकी दी जा रही है.

आपको बता दें कि सातवें चरण के लिए बंगाल की 9 सीटों पर मतदान हो रहा है. इस बार बीजेपी ने यहां पूरी ताकत झोंक रखी है. उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और रालोद के बीच गठबंधन होने के बाद पार्टी को यहां नुकसान होने की आशंका है. बीजेपी इसकी भरपाई पश्चिम बंगाल से करना चाहती है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने यहां 23 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है.

बीजेपी पर यूपी में वोटर्स की उंगलियों पर जबरन स्याही लगाने का आरोप

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में मतदाताओं की उंगलियों पर जबरन स्याही लगाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चंदौली के तारा जीवापुर गांव के लोगों का कहना है कि वोटिंग से एक दिन पहले तीन लोग आए और उन्होंने जबरन हमारी उंगलियों पर स्याही लगा दी और हमें 500 रुपये भी दिए. उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि हम रविवार को वोट नहीं कर सकें.

ग्रामीणों ने बताया कि उंगली पर जबरदस्ती स्याही लगाने वाले तीनों लोग बीजेपी से थे. मामला उजागर होने के बाद चंदौली के एसडीएम केआर हर्ष ने इसे अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है. उन्होंने कहा, ‘शिकायतकर्ता पुलिस थाने में मौजूद हैं. हम उनकी शिकायत के आधार पर कार्रवाई करेंगे. ग्रामीण वोट कर सकते हैं क्योंकि तब तक वोटिंग शुरू नहीं हुई थी. इन्हें अपनी एफआईआर में इस बात का उल्लेख करना होगा कि उनकी उंगलियों पर जबरन स्याई लगाई गई.’

आपको बता दें कि चंदौली उन 13 लोकसभा सीटों में से एक है, जहां रविवार सुबह से लोकसभा के सातवें और आखिरी चरण में वोटिंग हो रही है. बीजेपी ने इस सीट से प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे को मैदान में उतारा है. पांडे 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से जीत चुके हैं. इस बार सपा, बसपा और रालोद के बीच हुए गठबंधन की वजह से पांडे मुकाबले में फंस गए हैं.

TMC को मोदी की यात्रा के कवरेज पर आपत्ति, चुनाव आयोग में की शिकायत

लोकसभा चुनाव के रण में आखिरी चरण के लिए वोटिंग हो रही है. आज देश की 59 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. इस बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केदारनाथ-बदरीनाथ की धार्मिक यात्रा को आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग में शिकायत की है. आपको बता दें कि दूसरे विपक्षी दल भी मोदी की यात्रा के मकसद पर सवाल उठा चुके हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा मोदी ध्रुवीकरण करने के लिए यह सब कर रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि 17 मई को ही चुनाव का प्रचार खत्म हो गया था, लेकिन नरेंद्र मोदी की केदारनाथ यात्रा बीते दो दिनों से लगातार टीवी चैनलों पर छाई हुई है, इससे वोटर प्रभावित हो सकता है. इसी कारण इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाना चाहिए. पत्र में आगे लिखा है कि अपनी यात्रा में प्रधानमंत्री ने केदारनाथ के लिए प्लान का ऐलान भी किया. लोग वहां पर मोदी-मोदी के नारे लगा रहे हैं. मोदी की ये यात्रा पूरी तरह से फिक्स है और वोटरों को प्रभावित करने के उद्देश्य से तय की गई है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान ने बढ़ाई कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की मुश्किलें

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के एक बयान ने पंजाब नेताओं के साथ-साथ देश के दिग्ग्ज़ कांग्रेसियों की सांसें तेज कर दी है. हाल ही में अमरिंदर सिंह ने एक मीडिया संस्थान से बातचीत के दौरान कहा, ‘अगर पंजाब में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होता है तो मैं इस्तीफा दे दूंगा.’ इससे पहले भी उन्होंने कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा था कि जिन मंत्रियों और विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहेगा, उन इलाकों के मंत्रियों की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी जाएगी. उन क्षेत्रों के विधायकों के टिकट भी अगले विधानसभा चुनाव में काट दिए जाएंगे.

कैप्टन का यह बयान दूसरे राज्यों के कांग्रेसी मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्षों के लिए भी गले की फांस बनता जा रहा है. बता दें, कांग्रेस ने 10 साल के बाद पंजाब की सत्ता में दमदार वापसी की है. यहां कांग्रेस ने कुल 117 विधानसभा सीटों में से 77 सीटों पर जीत हासिल की. कैप्टन के बयान के बाद जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, अब वहां के मुख्यमंत्रियों पर भी अच्छे प्रदर्शन का दबाव होगा.

मध्यप्रदेश
हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस तीन राज्यों की सत्ता पर काबिज हुई है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल बाद वापसी की है. हालांकि पार्टी पूर्ण बहुमत से चंद कदम दूर रह गयी. मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर का मुकाबला रहा. चुनावी परिणाम के बाद सीएम पद के लिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया की दावेदारी थी लेकिन राहुल गांधी ने कमलनाथ पर भरोसा दिखाते हुए उन्हें सत्ता की बागड़ौर थमाई. अब कमलनाथ की असली परीक्षा लोकसभा चुनाव के नतीजों में होने जा रही है. आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ मध्यप्रदेश की दो सीटें ही लगी थी. प्रदेश में सरकार बनने के बाद अब केंद्रीय नेतृत्व को यहां से काफी सीटों की आस है. अगर नतीजे अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहे तो कमलनाथ की कुर्सी पर भी संकट मंडरा सकता है.
राजस्थान
राजस्थान में कांग्रेस ने पांच साल के इंतजार के बाद सत्ता में वापसी की है. कांग्रेस ने यहां 100 सीटों पर जीत हासिल की और एक सीट पर गठबंधन के प्रत्याशी को जीत हासिल हुई. यहां भी एमपी की तरह मुख्यमंत्री के लिए दो प्रबल दावेदार थे- प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और अशोक गहलोत. नतीजों के बाद अनुमान था कि पार्टी राजस्थान में युवा चेहरे पर दांव लगाएगी लेकिन आलाकमान ने अनुभव पर भरोसा जताते हुए अशोक गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री के लिए चुना. अब लोकसभा चुनाव के नतीजे अशोक गहलोत का सियासी भविष्य तय करने वाले साबित होंगे क्योंकि 2014 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस का राजस्थान में सूपड़ा साफ हो गया था.
यहां प्रदेश की सभी 25 सीटों पर बीजेपी ने विजयश्री हासिल की थी. हालांकि तब प्रदेश की सत्ता की बागड़ौर बीजेपी के हाथों में थी. राजस्थान की जनता का पिछले लोकसभा चुनावों में ऐसा रुख रहा है कि जिसकी पार्टी की प्रदेश में सरकार होती है, उसको लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत प्रदान करती है. 2014 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और उसे सभी 25 सीटें मिली थी. 2009 के चुनाव में कांग्रेस सरकार थी और तब कांग्रेस ने 20 सीटों पर फतह हासिल की थी. इसी प्रकार, 2004 में सत्ता पर बीजेपी काबिज थी, तब पार्टी को लोकसभा चुनाव में 21 सीटों पर जीत मिली थी. अब राज्य में गहलोत की सरकार है तो ऐसे में उनपर दबाव है कि कांग्रेस राजस्थान में भारी जीत हासिल करे. अगर कांग्रेस इसमें असफल रहती है तो गहलोत की मजबूत कुर्सी भी डोल सकती है.
छतीसगढ़
अब बात करें छतीसगढ़ की तो यहां कांग्रेस का प्रदर्शन उसके गठन के बाद से ही निराशाजनक रहा है. कांग्रेस कभी भी यहां दो सीट से ज्यादा पर जीत हासिल नहीं कर पायी है. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो और 2009 व 2014 में एक सीट-एक सीट पर जीत मिली. लेकिन इस बार पार्टी करीब 16 साल बाद प्रदेश की सत्ता पर भारी बहुमत के साथ आयी है. बीजेपी का विधानसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया था. विधानसभा परिणामों में भारी सफलता को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान को इस बार छतीसगढ़ से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. चुनाव को करीब से देखने पर यह साफ पता चल रहा है कि कांग्रेस यहां लोकसभा चुनाव में विधानसभा के प्रदर्शन को दोहराने जा रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुर्सी पर कोई आंच नहीं आ रही है.

धारा 370 पर नीतीश की दो टूक, कहा- JDU इसे हटाने के समर्थन में नहीं

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धारा 370 को लेकर बड़ा बयान दिया है. मतदान करने के बाद उन्होंने कहा, ‘मेरी पार्टी धारा 370 को हटाने के समर्थन में नहीं है.’ आपको बता दें कि धारा 370 बीजेपी के प्रमुख मुद्दों में से एक है. पार्टी इसका समर्थन करने वालों को कठघरे में खड़ा करती रही है. ऐसे में एनडीए के सहयोगी नीतीश कुमार का यह बयान बीजेपी को असहज कर सकता है.

हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि कुछ भी हो केंद्र में एनडीए की सरकार ही बनेगी. उसमें जेडीयू भी शमिल होगी. साथ ही उन्होंने गोडसे पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर द्वारा दिए गए बयान की निंदा करते हुए कहा कि बीजेपी का आंतरिक मामला है, लेकिन वे गोडसे को देशभक्त बताए जाने की निंदा करते हैं.

नीतीश कुमार ने कहा चुनाव के लंबे कार्यक्रम पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, ‘2019 का लोकसभा चुनाव बहुत लम्बा हुआ, जो ठीक नहीं है. चुनाव के चरण कम होने चाहिए. फरवरी, मार्च या फिर नवंबर और दिसंबर में चुनाव होने चाहिए, क्योंकि अप्रैल और मई में बहुत गर्मी होती है. इससे मतदाताओं को परेशानी होती है. मैं इस पर हर पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखूंगा और इस पर एक बैठक होनी चाहिए.’

नीतीश कुमार ने कहा कि चुनाव में कुछ तकनिकी बाधाएं हैं जिसे उसे दूर करना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव में जिस तरह की भाषा का उपयोग किया गया वो लोकतंत्र के लिए ठीक नही है. चुनावी भाषा में मर्यादा होनी चाहिए. साथ ही नीतीश ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के मांग पर कहा कि यह मुद्दा था और रहेगा. उनकी मानें तो बिहार को हर हाल में विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए.

लोकसभा चुनाव: अंतिम चरण की 59 सीटों पर मतदान शुरू

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देश में आज लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान शुरू हो गया है. सातवें और आखिरी चरण में 8 राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो गई है. हाल ही में कलकाता मेें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रोड के दौरान हुई हिंसा के चलते पश्चिमी बंगाल पर लोगों की खासी नजरें गढ़ी हैं. पं.बंगाल में 9 सीटों पर आज ही मतदान हो रहा है. इसके साथ ही पंजाब और उत्तप्रदेश में 13-13, बिहार और मध्यप्रदेश में 8-8, हिमाचल प्रदेश में चार, झारखंड में तीन और चंड़ीगढ़ में एक सीट पर भी वोटिंग जारी है. मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हो गया है जो शाम 6 बजे तक चलेगा. लोकसभा चुनाव के परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे.

उत्तर प्रदेश :
महाराजगंज
गोरखपुर
गाजीपुर
मिर्जापुर
वाराणसी
बलिया
सलेमपुर
घोसी
चंदौली
बासगांव
देवरिया
कुशीनगर
रॉबर्टसगंज

पंजाब :
गुरदासपुर
बंठिड़ा
होशियारपुर
फरीदकोट
पठानकोट
संगरुर
पटियाला
खदूर साहिब
जालांधर
आनंदपुर साहिब
फिरोजपुर
फरीदकोट

पश्चिम बंगाल :
डायमंड हार्बर
जाधवपुर
दमदम
कोलकाता दक्षिण
कोलकाता उत्तर
बशीरहाट
जयनगर
मथुरापुर

बिहार :
नालन्दा
पटना साहिब
पाटलिपुत्र
आरा
बक्सर
सासाराम
काराकाट
जहानाबाद

मध्य प्रदेश :
देवास
उज्जैन
रतलाम
धार
इन्दौर
मंदसौर
खरगांव
खंडवा

हिमाचल प्रदेश :
हमीरपुर
शिमला
कांगड़ा
मंडी

झारखंड़ :
राजमहल
दुमका
गोड्डा

चंड़ीगढ़

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में कुछ ऐसी हॉट सीटें भी हैं जहां कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं.

  • वाराणसी (UP) : यूपी नरेंद्र मोदी
  • गोरखपुर (UP) : भोजपुरी अभिनेता रविकिशन
  • पटना साहिब (बिहार) : शत्रुध्न सिन्हा Vs रविशंकर प्रसाद
  • गुरदासपुर (पंजाब) : सनी देओल Vs सुनील जाखड़
  • डायमंड हार्बर (पं.बंगाल) अभिषेक बनर्जी Vs निलांजन रॉय

सचिन पायलट बने रहेंगे पीसीसी चीफ, खुद दिए संकेत

कांग्रेस गलियारों में आजकल यह चर्चा तेज है कि क्या लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सचिन पायलट को पीसीसी चीफ पद पर बरकरार रखा जाएगा या हटाया जाएगा. इन कयासों पर खुद सचिन पायलट ने एक बयान के जरिए ब्रेक लगाने की कोशिश की है. पायलट ने कहा कि बदलाव हर जगह होते रहते हैं.चुनाव में हार-जीत चलती रहती है लेकिन उनका लक्ष्य अगले पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट जाना है.

साफ है कि उनके इस बयान से संकेत गया है कि पंचायती चुनाव तक वें ही पीसीसी चीफ की कमान संभालते रहेंगेे. सचिन पायलट करीब साढ़े पांच साल से इस पद पर विराजमान हैं. लंबे समय तक प्रदेशाध्यक्ष रहने वालों की सूची में पायलट तीसरे नंबर पर हैं. इस लिस्ट में पहले नंबर पर परसराम मदेरणा हैं जिन्होंने करीब छह साल तक पीसीसी चीफ का पदभार संभाला है.

खुद ने दिए पद पर बने रहने के संकेत
जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही यह तस्वीर साफ होगी कि पायलट प्रदेशाध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या दूसरे नेता को मौका दिया जाएगा. कुछ का कहना है कि सीएम और डिप्टी सीएम बनाने के फॉर्मूले के दौरान आलाकमान के साथ बंद कमरे में क्या बातें हुई, उन पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. इन तमाम कयासों के बीच सचिन पायलट ने शुक्रवार को पीसीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेस में एक बयान से सबको चौंका दिया. पायलट ने कहा, ‘परिवर्तन होते रहते हैं हर जगह. मेरा ध्यान पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट जाना है.’ बता दें, राजस्थान में अगले साल यानि 2020 में पंचायत के चुनाव होंगे.

विधानसभा चुनाव में किया था खुद को साबित
पीसीसी चीफ बनने के बाद सचिन पायलट ने पांच साल काम करते हुए कांग्रेस को सत्ता में लाने की पहली अग्निपरीक्षा तो पास कर ली. अब उनकी असली परीक्षा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलाने की होगी. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका था. ऐसे में कांग्रेस के पक्ष में परिणाम लाना पायलट के लिए बड़ा टास्क था. हालांकि राज्य में सरकार कांंग्रेस की है. ऐसे में संगठन के साथ सरकार का भी रिपोर्ट कार्ड मायने रखेगा.

खैर…पायलट प्रदेशाध्यक्ष पद पर रहेंगे या नहीं रहेंगे, यह चर्चा तो लोकसभा चुनाव के परिणाम और उसके कईं दिनों बाद भी जारी रहेगी. हालांकि तमाम बातें सीटों के आंकड़ों पर निर्भर रहेगी. सीटे कम या ज्यादा आने पर बहुत कुछ निर्भर करेगा.

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