Wednesday, January 22, 2025
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तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट, एग्जिट पोल के बाद घाट-घाट घूमने में लगे चंद्रबाबू नायडू

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लोकसभा चुनाव के समर में अब सिर्फ नतीजे ही बाकी रहे हैं. इसी बीच सामने आए विभिन्न न्यूज चैनल्स व सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल ने सियासी पारा चढ़ा कर रख दिया है. एक ओर एनडीए खासी उत्साहित नजर आ रही है तो वहीं यूपीए भी एग्जिट पोल को नकारते हुए धड़ाबंदी में जुटी है. एग्जिट पोल के बाद से ही आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री व टीडीपी नेता एन चंद्रबाबू नायडू खासे बैचेन नजर आ रहे हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के दिग्गजों से मिलने का सिलसिला धुंआधार मुलाकात में तब्दील हो गया है. नायडू के इस तूफानी संपर्क के कार्यक्रम से तीसरे मोर्चे के गठन की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है.

चंद्रबाबू नायडू की सक्रियता दिल्ली सहित उत्तरी व मध्य भारत में देखी जा रही है. जहां वे विभिन्न पार्टियों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने में लगे हैं. नायडू इस रणनीति पर काम करने में लगे हैं कि बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में तीसरा मोर्चा सरकार बनाने के लिए पूरी तरह से एकजुट और तैयार रहे. इसी क्रम में आज वे कोलकाता पहुंचे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी नेता ममता बनर्जी से मुलाकात की.

चुनावी नतीजे तो 23 मई को आने वाले हैं लेकिन अपना-अपना मजबूत दावा करने वाले राजनीतिक दल एकजुटता की ओर बढ़ रहे हैं. यही कारण है कि दिल्ली से लेकर आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक एग्जिट पोल के दावों को दरकिनार कर सियासी समीकरण साधकर जोड़-तोड़ की रणनीति पर काम शुरू हो गया है. अगले पांच साल तक दिल्ली के सिंहासन पर शासन के लिए हर तरह से कोशिश करने में जुटे विपक्षी व एनडीए विरोधी दल हर तरह से गैर बीजेपी सरकार बनाने की कवायद में जुटे है.

राजनीतिक गलियारों में चंद्रबाबू नायडू इन दिनों चर्चा का विषय यूं ही नहीं बने हुए हैं. सियासी पंडित उनके इस मुलाकात कार्यक्रम के कई मायने निकाल रहे हैं. पिछले काफी समय से देश के उत्तरी व मध्य हिस्से में एक्टिव नायडू दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से भी मिल चुके हैं. इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी उन्होंने मुलाकात की थी. इन तीनों बड़े नेताओं से मुलाकात के बाद सियासी हल्कों में तीसरे मोर्चे की आहट सुनाई देने लगी थी. हांलाकि आप नेताओं ने इसे महज एक शिष्टाचार भेंट बताया था.

अंदरखाने शुरू हुई इस जोड़-तोड़ की गणित बैठाने की रणनीति पर मध्यस्थ के रूप में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री व टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ही दिख रहे हैं. नायडू तमाम ऐसे राजनीतिक दलों से संपर्क में जुटे हैं जो गैर बीजेपी सरकार के लिए समर्थन की हामी भरते हों. नायडू की इन मैराथन बैठकों में वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके आवास पर मिल चुके हैं. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव से भी मुलाकात कर चुनाव नतीजों के बाद के संभावित समीकरणों पर चर्चा कर रणनीति बनाई है.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद एक ओर जहां एग्जिट पोल ने एनडीए को बहुमत का दावा किया है वहीं दूसरी ओर यूपीए भी इन दावों को नकार ताल ठोक रहा है. नतीजों से पहले यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने 23 मई को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. विपक्ष ये सारी कोशिश इस बात को ध्यान में रखकर कर रहा है कि अगर नतीजों के बाद बीजेपी को फिर से स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो बिना मौका गंवाए विपक्षी दल एकजुट हो जाएं, सरकार बनाने का दावा पेश कर सकें.

गौरतलब है कि केंद्र में गैर बीजेपी सरकार के गठन की कोशिश के लिए चंद्रबाबू नायडू ने अपने धुर-विरोधी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से भी मुलाकात कर तीसरे मोर्चे में शामिल होने की पेशकश कर चुके हैं. नायडू ने टीआरएस के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए दूसरे सियासी दलों के भी इस गैर बीजेपी महागठबंधन में स्वागत की बात कही थी. हाल ही में चंद्रशेखर राव की केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से मुलाकात को भी राजनीतिक जानकारों द्वारा इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. खैर, तस्वीर साफ होने में अब महज कुछ घंटे ही कहे जा सकते हैं, जिसके बाद दिल्ली के सरताज पर मोहर लग ही जाएगी.

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