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आज राहुल गांधी से मिलेंगे कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, हार के बाद पहली मुलाकात

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लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं. राहुल को मनाने  के लिए  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लगातार प्रयास कर रहे है. इन्‍हीं कोशिशों के बीच आज कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे.  मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री  राहुल गांधी से अध्यक्ष पद पर बने रहने का आग्रह करेंगे. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली राहुल गांधी की यह पहली बैठक है.

माना जा रहा है कि इस बैठक में चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन सहित संगठन को मजबूत बनाने जैसे विषयों पर चर्चा होगी. कांग्रेस वर्तमान में देश के पांच राज्यों में सत्ता में है. इनमें पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पुद्दुचेरी शामिल है.

पंजाब को छोड़कर बाकी सभी प्रदेशों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पंजाब में कांग्रेस ने कुल 13 सीटों में से आठ पर जीत दर्ज की थी. जबकि राजस्थान में पार्टी का 2014 की तरह खाता तक नहीं खुल पाया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सत्ता मे आने के बावजूद लोकसभा में प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा.

राहुल के साथ इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी सोमवार शाम गांधी के साथ बैठक में मौजूद रहेंगे.

गौरतलब है कि कांग्रेस कार्यसमिति की 25 मई को हुई बैठक में राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था. उन्होंने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि गहलोत और कमलनाथ ने अपने बेटों को पार्टी से आगे रखा. इन्होंने अपने पुत्रों को टिकट दिलाने के लिए मुढ पर दवाब बनाया.

 

सुब्रमण्यम स्वामी ने जताई पीएम मोदी पर नाराजगी, कहा-जा रहा हूं चीन

बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पीएम मोदी उनकी बातों को नहीं सुन रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह मैं राम मंदिर के मुद्दे पर बोलना कभी नहीं छोड़ सकते, इसलिए वह चीन जा रहे हैं.

दरअसल एक ट्वीट करते हुए उन्होंने इस बात का जिक्र किया है. ट्वीट के माध्यम से उन्होंने कहा, ‘चीन की चीन की प्रसिद्ध सिंघुआ यूनिवर्सिटी ने सितंबर में मुझे स्कॉलर्स की सभा में बोलने के लिए बुलाया है. विषय है- चीन का आर्थिक विकास-सात वर्षों की समीक्षा. चूंकि नमो मेरे विचारों को जानना नहीं चाहते, तो मैं चीन जा सकता हूं.’ स्वामी के इस रुख की सियासी गलियारे में खासी चर्चा है. माना जा रहा है कि स्वामी आजकल बीजेपी से नाराज चल रहे हैं.

अमूमन पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ सार्वजनिक बयानों से बचने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने पहली बार अपने ट्वीट में नमो का जिक्र किया है. स्वामी एक राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सुब्रमण्यम स्वामी की आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ के तौर पर भी पहचान है. संबोधन के लिए देश-दुनिया के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान उन्हें बुलाते रहते हैं. वह पिछली सरकार में अरुण जेटली के वित्त मंत्री रहते हुए देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं.

सुब्रमण्यम स्वामी के नाम 24 साल में ही हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल करने का तमगा है. वह 27 साल की उम्र में हार्वर्ड में पढ़ाने लगे थे. बाद में उन्हें 1968 में दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनामिक्स में पढ़ाने का आमंत्रण मिला. तब स्वामी दिल्ली आए और 1969 में आईआईटी दिल्ली से जुड़ गए. सुब्रमण्यम स्वामी 1977 में जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे. बाद में वे जनता पार्टी के अध्यक्ष बने. 2013 को उन्होंने जनता पार्टी विलय भाजपा में कर दिया. 2016 में बीजेपी ने सुब्रमण्यम स्वामी को राज्यसभा के लिए नामित किया.

स्वच्छता अभियान की तर्ज पर अब मोदी ने जनता से की जल संरक्षण आंदोलन शुरू करने की अपील

दुबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद आज मन की बात के पहले कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वच्छता अभियान की तरह अब हमें जल संरक्षण आंदोलन को सफल बनाना है और जल संरक्षण के क्षेेेत्र में काम करने वालों का डाटा बैंक बनाया जाएगा.

देश में पानी की समस्या से जुड़ी चुनौती की जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से स्वच्छता आंदोलन की तरह ‘जल संरक्षण’ आंदोलन चलाने की अपील की है.

अपने दूसरे कार्यकाल में ‘मन की बात’ के पहले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मेरा पहला अनुरोध है, जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया. आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें.’ मोदी ने दूसरा अनुरोध करते हुए कहा कि देश में पानी के संरक्षण के लिए जो पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं, उन्हें साझा करें. प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयं सेवी संस्थाओं का और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी की जानकारी को #जलशक्ति4जलशक्ति के साथ शेयर करें ताकि उनका एक डाटाबेस बनाया जा सके.

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं विशेष रूप से अलग अलग क्षेत्र की हस्तियों को जल संरक्षण के क्षेत्र में नवोन्मेषी अभियान चलाने का आग्रह करता हूं. फिल्म जगत, खेल जगत, मीडिया के साथी हों, सामाजिक एवं सांस्कृति क्षेत्र के लोगों से जुड़े लोग हों या कथा कीर्तन करने वाले लोग… हर कोई अपने अपने तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व करे.’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने ग्राम प्रधानों को पानी के संरक्षण के संबंध में पत्र भी लिखा है. जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है और इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे.

‘औवेसी साहब, आप 2024 में जरूर प्रधानमंत्री बनेंगे’

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पहलू खान मामले में राजस्थान पुलिस ने आज चार्जशीट दाखिल की है. इस मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी और कांग्रेस की मंशा को एक बताते हुए दोनों पार्टियों पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है. पहलू खान और ओवैसी आज सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं और इस बारे में कमेंट व शेयरिंग रफ्तार पकड़ती जा रही है. एक यूजर ने तो यहां तक कहा है कि जिस तरह से ओवैसी को मुस्लिमों की चिंता है, वह 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीतेंगे और देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे.

@vikasthakur12

@ThAlkaSingh

@raaj8825

@aditya_shashi

@ismailshaikhji

 

 

राहुल गांधी के इस्तीफा नहीं देने के दुख जताने वाला बयान फर्जी: यूथ कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के यूथ कांग्रेस को दिए गए एक बयान के बाद कांग्रेस में पदाधिकारियों का इस्तीफे देने का दौर शुरू हो गया है. अब तक करीब 120 कांग्रेस नेता और पदाधिकारियों ने लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने इस्तीफे राहुल गांधी को भेजे हैं. इसी बीच यूथ कांग्रेस के एक बड़ा बयान सामने आया है. यूथ कांग्रेस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि राहुल गांधी के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में छपा बयान गलत है. यूथ कांग्रेस ने ये भी कहा है कि राहुल गांधी पर फर्जी खबरों के चलने से दुख है और वो इसकी निंदा करते हैं.

इसी क्रम में भारतीय युवा कांग्रेस के नेशनल मीडिया इनचार्ज अमरीश रंजन पांडे्य ने अपने ट्वीटर हैंडल से एक अधिकारिक बयान जारी करते हुए राहुल गांधी के बारे में फर्जी खबरों की निंदा की. साथ ही लोकसभा चुनावों में पार्टी के निचले स्तर के प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेने वाले पार्टी से किसी के बारे में युवा कांग्रेस नेताओं को अपनी चिंता व्यक्त की.

बता दें, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और वह अपने फैसले पर लगातार अड़े हुए हैं. जब युवा कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की तो उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा था. उन्हें इस बात का दुख है कि उनके इस्तीफे के बाद किसी मुख्यमंत्रीए महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली और न ही अपने पद से इस्तीफा दिया.

उनका यह बयान क्या सामने आया, कांग्रेस में इस्तीफों की बाढ़ आ गई. शुक्रवार को कांग्रेस के करीब 120 पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे राहुल गांधी को भेज दिए. इस्तीफा देने वाले बड़े नेताओं में दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया, हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा चौहान, एमपी प्रभारी और महासचिव दीपक बावरिया और राजस्थान के उपप्रभारी तरूण कुमार समेत कई नेता शामिल हैं.

जम्मु-कश्मीर में कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बोया आतंकवाद का बीजः राम माधव

RAM MADHAV ARTICLE 370
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जम्मु-कश्मीर में लागु धारा 370 को लेकर सियासत एक बार फिर गरमा गई है. गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में गुरुवार को कश्मीर समस्या के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को जिम्मेदार ठहराया था. अब बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कश्मीर समस्या के लिए कांग्रेस और नेशलन कॉन्फ्रेंस को जिम्मेदार ठहराया है. राम माधव ने कांग्रेस और नेशलन कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों पार्टियों ने कश्मीर में आतंकवाद का बीज बोया. पाकिस्तान ने ऐसे ही हालातों का फायदा उठाकर कश्मीर में आतंकी भेजे.

राम माधव ने कश्मीर समस्या के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में जो कहा, वह ऐतिहासिक सत्य है. राम माधव ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार प्रतिबद्ध है.’

माधव ने कांग्रेस के उस आरोप का भी जवाब दिया जिसमें कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए बीजेपी-पीडीपी गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा कि बीजेपी-पीडीपी सरकार तो केवल 2.5 साल सत्ता में रही थी, लेकिन कांग्रेस इन दलों के साथ दशकों तक अलायंस में रही,  उसने कश्मीर समस्या हल करने के लिए क्या किया? ऐसे में  कश्मीर को जिन हालातों का सामना करना पड़ रहा है, उसके लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है. माधव से पूर्व गृह मंत्री अमित शाह भी कश्मीर समस्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था.

कांग्रेस में इस्तीफों का दौर जारी, कैलाश विजवर्गीय ने कांग्रेस को दिया नया नाम

Kailash Vijayvargiya BJP
Kailash Vijayvargiya BJP

राहुल गांधी ने जब से युवा कांग्रेस के नेताओं को अपना इस्तीफे का दुखड़ा सुनाया है, कांग्रेस में इस्तीफों की झड़ी सी लग गई है. शुक्रवार को हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष और एमपी प्रभारी सहित 120 पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे राहुल गांधी को भेजे थे. आज एआईसीसी सैकेटरी और राजस्थान के उपप्रभारी तरूण कुमार ने भी लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा राहुल गांधी को भेज दिया है.

कांग्रेस में आ रहे भारी संख्या में इस्तीफों को देखते हुए बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने चुटकी ली है. उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जिस प्रकार से कांग्रेस में इस्तीफों की झड़ी लग रही है उसे देखते हुए कांग्रेस का नाम बदलकर ‘इस्तीफा नेशनल कांग्रेस ‘ कर देना चाहिए.’

दरअसल, कांग्रेस का पूरा नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस है. बीजेपी नेता ने इसी के आधार पर तुकबंदी की है. कैलाश विजयवर्गीय अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय की वजह से खासे चर्चा में हैं. आकाश ने इंदौर में सरकारी कर्मचारी को बल्ले से पीटा है जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया है.

बता दें, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और वह अपने फैसले पर लगातार अड़े हुए हैं. जब युवा कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की तो उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा था, ‘उन्हें इस बात का दुख है कि उनके इस्तीफे के बाद किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली और न ही अपने पद से इस्तीफा दिया.’

राहुल गांधी के इस बयान के बाद कांग्रेस में इस्तीफों की बाढ़ आ गई. इस्तीफा देने वाले बड़े नेताओं में दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया, हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा चौहान, एमपी प्रभारी और महासचिव दीपक बावरिया और राजस्थान के उपप्रभारी तरूण कुमार समेत कई नेता शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश के सियासी रण में बीजेपी, सपा और बसपा में फिर होगा मुकाबला

YOGI AADITYANATH
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लोकसभा चुनाव से पहले सपा, बसपा ने बड़ी उम्मीदों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन नतीजे दोनों पार्टियों के अनुमान के अनुसार नहीं आए. लोकसभा चुनाव में मिली हार के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव को जिम्मेदार बताते हुए गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया है. अब लोकसभा चुनाव में यूपी विधानसभा के 11 विधायक सांसद चुने गए हैं.

सांसद पद पर निर्वाचित होने के बाद ये सभी सांसद विधायक पद से इस्तीफा देंगे और आने वाले छ महीनों में इन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे. बसपा और सपा के लिए ये उपचुनाव बहुत महत्वपूर्ण है. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद दोनों पार्टियां उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर 2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व अपनी स्थिती मजबूत करना चाहेगी. बसपा इन चुनावों में दलित समुदाय के साथ मुस्लिम वोट अपने पाले में लाने का प्रयास करेगी, ताकि वो मुस्लिम-दलित समीकरण के साथ आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने चुनौती पेश कर सके.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस चुनाव में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का प्रयास करेंगे, ताकि जनता में यह संदेश जाए कि बीजेपी का मुकाबला उत्तर प्रदेश में सपा ही कर सकती है. उपचुनाव के नतीजे सपा और बसपा का भविष्य को तय करेंगे. हम आपको यूपी की उन विधानसभा सीटों के बारे में बताएंगे जहां उपचुनाव होने हैं.

गोविंदनगर विधानसभा सीटः
2017 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने जीत हासिल की थी. अब सत्यदेव पचौरी कानपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बन गए हैं. अब इस सीट पर विधानसभा का उपचुनाव होना है. सपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में यह सीट गठबंधन के साझेदार कांग्रेस के लिए छोड़ी थी. कांग्रेस के प्रत्याशी यहां दुसरे नंबर पर रहे थे. बसपा तीसरे नंबर पर थी. वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए उपचुनाव में बीजेपी का पक्ष काफी मजबूत नजर आता है.

लखनऊ कैंट विधानसभा सीटः
2017 विधानसभा चुनाव में यहां दो राजनीतिक परिवारों के बीच मुकाबला था. सपा की तरफ से मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधु अपर्णा यादव मैदान में थी तो बीजेपी की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री रीता बहुगुणा मैदान में थी, लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो रीता बड़े अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हुई. अब कैंट विधायक रीता बहुगुणा इलाहाबाद से सांसद चुनी जा चुकी हैं.शहरी सीट होने के कारण उपचुनाव में बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. सपा की तरफ से उपचुनाव में पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा चुनाव लड़ सकते है.बसपा का इलाके में कोई मजबूत जनाधार नहीं है.

गंगोह विधानसभा सीटः
यह विधानसभा क्षेत्र सहारनपुर जिले के अंतर्गत आता है. मुस्लिम और दलित बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र से साल 2017 में बीजेपी के प्रदीप चौधरी विधायक चुने गए थे. अब प्रदीप चौधरी कैराना लोकसभा सीट से सांसद बन गए है. चौधरी गुर्जर बिरादारी से आते है तो बीजेपी आने वाले उपचुनाव में किसी गुर्जर चेहरे पर दांव खेल सकती है. यूपी के सहारनपुर जिले में कांग्रेस का अच्छा प्रभाव है. इमरान मसूद इलाके के बड़े नेता है. लोकसभा चुनाव में इमरान सहारनपुर से चुनाव लड़ थे, लेकिन उनको कामयाबी नहीं मिल पायी थी. लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब इमरान विधानसभा में अपनी मौजदूगी चाहते है.वो गंगोह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते है. गंगोह में अगर इमरान चुनाव लड़ते है तो वो बीजेपी के सामने अच्छी चुनौती पेश करेंगे.

रामपुर विधानसभा सीटः
यूपी के रामपुर विधानसभा सीट देश में सपा नेता आजम खान के कारण जानी जाती है.आजम रामपुर से 9 बार विधायक चुने गए है. पिछले विधानसभा चुनाव में आजम खान ने बीजेपी के शिव बहादुर सक्सैना को लगभग 47 हजार मतों से मात दी थी.अब आजम रामपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं. उन्होंने बीजेपी की जया प्रदा को मात दी है. आजम के सांसद चुने जाने कारण यहां उपचुनाव होंगे. उपचुनाव में आजम अपने पुत्र को चुनाव लड़वाना चाहते है. वैसे आजम के बड़े बेटे अब्दुल्ला आजम वर्तमान में स्वार टांडा सीट से विधायक है. लेकिन वो अपने दुसरे पुत्र को भी राजनीति में लाना चाहते हैं. रामपुर में आजम की काफी मजबूत पकड़ है, यहां से सपा उम्मीदवार का जीतना बिल्कुल तय है.

प्रतापगढ़ः
यूपी की प्रतापगढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक संगमलाल गुप्ता प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बन गए हैं. अब इस सीट पर विधानसभा का उपचुनाव होना है. 2017 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो संगमलाल गुप्ता को 80 हजार 828 वोट मिले थे. एसपी कैंडिडेट नगेंद्र सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. नगेंद्र सिंह को 46 हजार 274 वोट मिले थे.

अम्बेडकरनगरः
अम्बेडकर नगर विधानसभा सीट से पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा के रितेश पांडे चुनाव जीते थे. अब रितेश अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट से सांसद बन गए हैं. अब इस सीट पर विधानसभा का उपचुनाव होना है. यह इलाका बसपा का मजबूत क्षेत्र माना जाता है.

छतीसगढ़ः अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल को याद कर भावुक हुए सीएम भूपेश बघेल

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छतीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष मोहन मरकाम के पद्भाकर ग्रहण का कार्यक्रम में संबोधन देते समय सीएम भूपेश बघेल भावुक हो गए. अपने संबोधन के दौरान उनकी आखों से आंसू छलक उठे.बघेल ने कहा कि जब राहुल गांधी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी. तब प्रदेश में कांग्रेस संगठन की स्थिती बहुल दयनीय थी. हम चुनाव दर चुनाव हारते जा रहे थे.

लेकिन मैंने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के बाद तय किया कि मुझे सबसे पहले प्रदेश में मृत हालात में पड़े संगठन को जिवित करना है. संगठन की स्थिती सुढृढ हुई तो आगे तय किया कि किस तरह से चुनाव लड़ना है, इसकी रणनीति तय की गई. वर्ष 2013 से लड़ाई शुरू हुई और तब तक चैन से नहीं बैठे जब तक राज्य में सत्ता परिवर्तन नहीं हो गया.

बघेल ने अपने संबोधन में कहा कि हम पुरे पांच साल सरकार के खिलाफ लड़े. जनता की मांग को मजबूती से उठाया. हमारी इसी मेहनत का फल जनता ने हमें 2018 के विधानसभा चुनाव में दिया.पीसीसी अध्यक्ष पद के रूप में अपने अंतिम संबोधन में भूपेश बघेल ने सभी लोगों का आभार जताया. सीएम बघेल ने कहा कि कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं ने मिलकर लड़ाई लड़ी और सफलता मिली. हर एक का सहयोग मिला. उन्होंने मंच से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, पीएल पुनिया और मोहन मरकाम के जिंदाबाद के नारे लगाए.

कारगिल में वाजपेयी ने नहीं दी थी LoC पार करने की इजाजतः टिपनिस

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पूर्व एयर चीफ मार्शल अनिल टिपनिस ने कारगिल युद्ध के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होनें कहा कि कारगिल युद्ध के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान के खिलाफ एयर फोर्स का इस्तेमाल करना नहीं चाहते थे. इसलिए उन्होंने लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलओसी के वक्त पार करने की इजाजत नहीं दी थी.

टिपनिस ने यह बयान तब दिया जब वह पूर्व नेवी चीफ सुशील कुमार द्वारा लिखी गई किताब ‘A Prime Minister to remember- Memories of a military chief‘ की लॉन्चिंग के वक्त वहां पहुंचे थे. उन्होंने घटनाक्रम को याद करते हुए कहा, ‘1999 में पाकिस्तान सेना ने घुसपैठियों की मदद से जम्मू-कश्मीर में करगिल, द्रास, बटालिक सेक्टर के कुछ चौकियों पर कब्जा कर लिया था. उस वक्त मेरी और तत्कालीन आर्मी चीफ वेद मलिक की मीटिंग अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हुई थी. वाजपेयी जनरल मलिक से जानना चाहते थे कि क्या थल सेना बिना एयर फोर्स की मदद के भारत की चौकियों पर किए गए कब्जों को आजाद करवा पाएगी. जब तक वेद मलिक वाजपेयी के सवालों को जवाब भी दे पाते, मैंने कहा कि आर्मी को इसकी जरूरत है और हम इसके लिए तैयार है.’

तब वाजपेयी ने रौबदार आवाज में कहा था कि हम लोग लाइन ऑफ कंट्रोल पार नहीं करेंगे. टिपनिस ने यह भी कहा कि उन्होंने यह बात उस समय कही जब एयरफोर्स मात्र 6 घंटे के शॉर्ट नोटिस पर सेना के साथ हमले को तैयार थी.

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