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क्या 2024 में प्रधानमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं अमित शाह?

देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीजेपी के दिग्गज़ नेता और मार्गदर्शक लाल कृष्ण आडवाणी की परम्परागत सीट गांधीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा था. यहां उन्होंने कांग्रेस के सी.जे. चावड़ा को बड़े अंतर से मात देकर न केवल अपना राजनीतिक कद दिखाया. बल्कि पिछली सरकार में गृहमंत्री रहे राजनाथ सिंह से उनकी गद्दी ​छीन अपने आपको पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद नंबर दो पर लाकर खड़ा कर दिया.

पिछली सरकार में यह स्थान राजनाथ सिंह के पास था. इस बार जिस तरह राजनाथ सिंह को 8 कैबिनेट समितियों में से केवल दो में शामिल किया गया, उससे साफ है कि अब पार्टी राजनाथ सिंह को नंबर दो पर रखने के ​बिलकुल मूड में नहीं है. हालांकि बाद में संघ के दखल के बाद उन्हें 6 कमेटियों में जगह मिल गई थी.

इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान जब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में अपनी ताकत का शक्ति प्रदर्शन किया था, तभी पार्टी से जुड़े सभी नेताओं को उनके नंबर दो होने का अहसास हो गया था. यहां तक की उनके नामांकन में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रामविलास पासवान, अरुण जेटली और महाराष्ट्र में अपना चुनाव प्रचार छोड़कर नितिन गडकरी भी वहां पहुंचे थे. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी उनकी तारीफ करते देखे गए.

गृहमंत्री बनने के बाद कार्यभार को देखते हुए अमित शाह पार्टी अध्यक्ष पद से छुटकारा पाना चाह रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी इस बात में मौन स्वीकृति है. तय माना जा रहा है कि जनवरी में नए पार्टी चीफ का चयन किया जाएगा. जेपी नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बना इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. जैसी की उम्मीद है, नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के तौर पर यह अंतिम कार्यकाल होगा. ऐसे में माना यही जा रहा है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव-2024 में अमित शाह को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने की रणनीति पर अभी से काम कर रही है.

वैसे भी देखा जाए तो नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी में अमित शाह दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं. 2024 में मोदी की आयु 75 साल के करीब हो जाएगी और मोदी-शाह फॉर्मूले के हिसाब से यह उनके संन्यास का वक्त होगा. ऐसे में बीजेपी नए नेतृत्व का निर्माण करेगी जिसके लिए मौजूदा समय में शाह पहली पसंद हैं. यह वजह है कि उन्हें अभी से तैयार किया जा रहा है.

हालांकि इस रणनीति में संघ की स्वीकृति अभी शेष है. सूत्रों की माने तो संघ की चाहत है कि अगला बीजेपी नेतृत्वकर्ता या तो उत्तरप्रदेश से हो या फिर मध्यप्रदेश से. इसके लिए विकल्प के तौर पर दो नेताओं को ढूंढ भी लिया है. पहला नाम है मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जिन्हें संघ की तरफ से भोपाल प्रेम त्यागने के लिए कहा जा चुका है. उसके बाद से शिवराज सिंह ने दिल्ली में अपनी सक्रियता बढ़ाई भी है. शिवराज सिंह बीजेपी के सर्वशक्तिशाली संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं. ऐसे में उनकी पीएम पद के लिए उम्मीदवारी कमतर नहीं मानी जा सकती.

दूसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम आता है जिन्हें कट्टर हिंदू समर्थक नेता माना जाता है. हिंदी भाषी राज्यों में उनकी लोकप्रियता मोदी और शाह से कमतर नहीं है. लेकिन योगी मोदी-शाह के पक्के भक्त हैं और किसी भी सूरत में अमित शाह के नेतृत्व को नकार नहीं पाएंगे. वहीं शिवराज सिंह का ओहदा अभी पार्टी में उतना ऊंचा नहीं हुआ है जो अमित शाह को टक्कर दे सकें. ऐसे में माना यही जा रहा है कि 2024 का लोकसभा चुनाव अमित शाह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा और उनके कद के आगे राजनाथ सिंह भी अपनी आवाज तेज नहीं कर पाएंगे.

समाजवादी पार्टी से सांसद आजम खान के खिलाफ FIR दर्ज, जया प्रदा पर आपत्तिजनक टिप्पणी का आरोप

सपा के कद्दावर नेता आजम खान पर अपनी प्रतिद्वंद्वी और बीजेपी नेता जया प्रदा के लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप है.

रामपुर से सांसद और समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की नेता जया प्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है.

सांसद आजम खान के साथ अन्य 10 लोगों के खिलाफ भी इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. आजम खान पर जायरा वसीम के बहाने इशारों-इशारों में अपनी प्रतिद्वंद्वी और बीजेपी नेता जया प्रदा के लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप है. आजम खान के बयान पर जया प्रदा ने आपत्ति भी जताई थी.

भाजपा नेता अकाश कुमार सक्सेना ने सोमवार को सिविल लाइंस थाने में कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है. उन्होंने सपा सांसद आजम खान पर महिलाओं पर की गई टिप्पणी को लेकर शिकायत की है.

कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव को संसद की मंजूरी

राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की मियाद और 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई. इसके साथ ही जम्मू- कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल को भी उच्च सदन से निर्विरोध पारित कर दिया गया.

आरक्षण बिल पहले ही लोकसभा से पारित हो चुका है और राज्यसभा में किसी भी दल ने इस बिल का विरोध नहीं किया. इसके बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

इससे पहले राज्यसभा में दोनों बिल पास होने के बाद अमित शाह ने सभी राजनीतिक दलों का धन्यवाद करते हुए कहा कि मोदी सरकार जम्मू—कश्मीर में शांति, समृद्धि और विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हुए डिजिटल, ट्वीटर पर हुई एंट्री

PoliTalks news

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत अब खुद भी डिजिटल इंडिया मुहिम से जुड़ गए हैं. उन्होंने डिजिटल अपडेट होते हुए सोशल मीडिया पर नई-नई एंट्री ली है. उन्होंने आज सुबह अपना ट्वीटर अकाउंट बनाया. हालांकि, अभी तक उन्होंने कोई ट्वीट नहीं किया है, लेकिन उनकी एंट्री की चर्चा ट्विटर पर होने लगी है.

मोहन भागवत का ट्विटर अकाउंट @DrMohanBhagwat है. इससे पहले केवल RSS के अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ही संघ या मोहन भागवत का आधिकारिक बयान साझा किया जाता था. संघ प्रमुख के अकाउंट को खुले अभी तक एक दिन भी पूरा नहीं हुआ है और उनसे 18.8 हजार फोलोवर्स जुड़ गए हैं. वहीं उन्होंने सिर्फ एक अकाउंट को फोलो किया है और वह आरएसएस का अधिकारिक हैंडल है.

मोहन भागवत के डिजिटल होते ही संघ के कई बड़े दिग्गज़ चेहरों ने ट्विटर पर एंट्री कर अपनी अधिकारिक उपस्थिति दर्ज कराई. इनमें सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी, कृष्ण गोपाल, अरुण कुमार, अनिरुद्ध देशपांडे शामिल हैं. इन सभी नेताओं ने भी सोमवार को ही ट्विटर पर एंट्री ली है, हालांकि किसी की ओर से कोई ट्वीट नहीं किया गया है.

बीते कुछ दिनों से माना जा रहा है कि संघ युवाओं को लेकर अपनी सोच बदल रहा है और भविष्य की रणनीति पर ध्यान दे रहा है. संघ की ओर से जनता से सीधे तौर पर जुड़ने और अपनी छवि बदलने की कोशिशें भी की जा रही है. पिछले साल मोहन भागवत ने दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम को संबोधित किया था, जिसमें तीन दिन तक संघ ने देश के कई वर्गों के लोगों से सीधी बात की थी. यहां मोहन भागवत ने लोगों के सवाल के जवाब दिए थे और संघ की सोच, रणनीति और भविष्य की सोच पर बात की थी.

इस बात से तो बिलकुल इनकार नहीं किया जा सकता है कि युवा संघ की विचारधारा से काफी प्रभावित हैं. हर घंटे बढ़ते फोलोवर्स की संख्या इस बात का पुख्ता प्रमाण है. अब जो भी फोलोवर्स RSS चीफ से जुड़े हैं, उन्हें मोहन भागवत के पहले ट्वीट का इंतजार रहेगा, इस बात में कोई शक नहीं है.

पश्चिम बंगालः बीजेपी कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा रिहाई मामले में ममता सरकार को कोर्ट का नोटिस

priyanka bjp
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सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को अवमानना मामले में नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने यह नोटिस पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मीम पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार भाजपा कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की रिहाई में देरी को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया है. शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी कर सरकार से पूछा है कि उसके आदेश के बावजूद भी प्रियंका शर्मा की रिहाई में देरी क्यों की गई.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी नेता प्रियंका शर्मा ने ममता बनर्जी की आपत्तिजनक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी. जिसके बाद स्थानीय टीएमसी नेता ने उनकी खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद प्रियंका को गिरफ्तार कर लिया गया था. प्रियंका ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी.

शीर्ष अदालत की अवकाश पीठ ने 14 मई को प्रियंका शर्मा को तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. प्रियंका शर्मा के भाई राजीब शर्मा ने न्यायालय में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि 14 मई के आदेश के बावजूद उनकी बहन की जेल से रिहाई में 24 घंटे से ज्यादा की देरी की गई. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आज ममता सरकार को नोटिस जारी किया है.

गहलोत के ट्वीट पर राहुल गांधी का जवाब ‘मैं इस्तीफा नहीं लूंगा वापस’

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के झटके से कांग्रेस पार्टी अभी तक उभर नहीं पाई है. आज पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करेंगे. इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी, लेकिन राहुल मानने को तैयार नहीं हैं. राहुल का कहना है कि वह अपना फैसला स्पष्ट कर चुके हैं, जिसे आप जानते हैं. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुई पहली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में ही राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी थी और वह तभी से उसी बात पर अड़े हुए हैं.

सोमवार को अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री आज राहुल गांधी से मिलेंगे. गहलोत ने लिखा था कि मौजूदा समय में केवल वह राहुल ही कांग्रेस का नेतृत्व कर सकते हैं. देश और देशवासियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता बेमिसाल है. लेकिन राहुल गांधी के जवाब से लगता है कि वह मानने के मूड में नहीं हैं और इस्तीफा देने की अपनी बात पर अड़े ही रहेंगे. बीते दिनों राहुल गांधी ने कहा था कि मेरे इस्तीफा देने की पेशकश करने के बाद भी कोई नेता इस्तीफा देने और हार की जिम्मेदारी लेने सामने नहीं आया था. जिसके बाद कांग्रेस पार्टी में भूचाल आ गया था और सैकड़ों पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था.

गहलोत मिले वेणुगोपाल से

राहुल गांधी से मुलाकात से पहले राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने संगठन महासचिव वेणुगोपाल से मुलाकात की. 15 जीआरजी में यह मुलाकात हुई. राहुल से बैठक से पहले यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. बैठक में किन मुद्दों को लेकर चर्चा हुई, अभी यह सामने नहीं आया है…

पांचों राज्यों के सीएम करेंगे मुलाकात

राहुल गांधी से आज दोपहर 3.30 बजे पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ औऱ पुडुंचेरी के सीएम मुलाकात करेंगे. छत्तीसगढ़ को छोड़कर अन्य सीएम की परिणाम के बाद राहुल गांधी की यह पहली बैठक होगी. हालांकि इससे पहले राहुल गांधी से राजस्थान सीएम गहलोत जन्मदिन के दिन राहुल से एआईसीसी दफ्तर में मिल चुके है.

राहुल के साथ बैठक बेहद अहम

राहुल गांधी के साथ कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक काफी अहम मानी जा रही है. बैठक में क्या होगा इसको लेकर सभी की निगाहें जमी हुई है. वहीं पंजाब के पूर्व पीसीसी चीफ प्रताप सिंह बाजवा ने सभी सीएम के इस्तीफे देने के बयान से हडकंप मचा दिया है. अब देखना है कि सभी सीएम बैठक मेें अपने इस्तीफे की पेशकश करते है या नहीं.

मायावती का योगी सरकार पर तीखा हमला, जातियों को गुमराह करने का लगाया आरोप

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यूपी में 17 जातियों को अनुसूचित जाति  कैटिगरी में शामिल करने के योगी सरकार के फैसले पर सियासत तेज हो गई है. आज इसी मामले को लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है. मायावती ने कहा कि सरकार इन जातियों को गुमराह कर रही है. सरकार के इस फैसले के बाद ये सभी जातियां सामान्य कैटेगरी में आ जाएगी. सरकार ने अपने इस फैसले में संविधान की धज्जियां उड़ाई है.

मायावती ने योगी सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने यह फैसला उपचुनाव में फायदे के लिए लिया है. मायावती ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा,  कि संविधान के अनुच्‍छेद 341 के भाग दो में कहा गया है कि अधिसूचना को बदलने का अधिकार केवल संसद को है. योगी सरकार का यह आदेश पूरी तरह से गैर-कानूनी और असंवैधानिक है. सरकार यह अच्‍छी तरह से जानती है कि 17 जातियों को यह लाभ नहीं दे पाएगी, फिर भी उसने ऐसा किया है.

मायावती ने योगी सरकार के साथ-साथ इस मुद्दे पर अखिलेश योदव को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि योगी सरकार 17 जातियों को पूर्ववर्ती एसपी सरकार की तरह से केवल धोखा दे रही है. ये 17 जातियां अब जनरल में आ जाएंगी क्‍योंकि राज्‍य सरकार ने इन 17 जातियों ओबीसी से हटा दिया है.

योगी सरकार के इस फैसले पर सुहलदेव समाद पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी हमला बोला है. राजभर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल का शिगूफा छोड़कर सरकार इन 17 जातियों को गुमराह कर यूपी में आगामी विधानसभा उपचुनाव में वोट लेने की तैयारी कर रही है। अगर योगी जी वास्तव में इन जातियों का विकास करना चाहते है तो आपके पास सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट आठ महीने से पड़ी है, इसको तत्काल लागू कर आगे जो भी भर्ती हो उसमे अति पिछड़ों की भागीदारी सुनिश्चित करें.

राहुल गांधी से मुलाकात से पहले गहलोत ने ली हार की जिम्मेदारी

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राजस्थान के अशोक गहलोत आज दिल्ली में हैं. वह आज कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात से पहले अशोक गहलोत ने लोकसभा चुनाव में हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि हम अपनी एकजुटता दिखाने के लिए राहुल गांधी के निवास पर जा रहे हैं. बता दें, लोकसभा चुनाव में हार के बाद यह मुख्यमंत्रियों के संयुक्त बैठक होगी.

अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से उन्होंने एक के बाद एक 4 ट्वीट करते हुए अपनी बात कही. उन्होंने लिखा, ‘कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों की बैठक माननीय कांग्रेस अध्यक्ष से होगी. हम सभी माननीय कांग्रेस अध्यक्ष के साथ हैं और हम 2019 की बहस की जिम्मेदारी लेते हैं.’

अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालने का अनुग्रह करते हुए लिखा, ‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि वर्तमान परिदृश्य में केवल वह ही पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं. हमारे देश और देशवासियों की भलाई के प्रति उनकी प्रतिबद्धता समझौतावादी और बेजोड़ है.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘2019 का चुनाव कांग्रेस की कार्यक्रम, नीति और विचारधारा की हार नहीं थी. हालांकि यह देखना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था कि घटती अर्थव्यवस्था सहित विभिन्न मोर्चों पर मोदी सरकार की विफलता के बावजूद, बीजेपी ने अपने कट्टर राष्ट्रवाद के पीछे अपनी भारी असफलताओं को छिपाने के लिए भारी संसाधनों की मदद की. लेकिन तमाम बाधाओं के बावजूद, विपक्ष के बीच यह कोई रहस्य नहीं है. केवल कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश की.’

बता दें, पंजाब को छोड़कर शेष सभी कांग्रेस शासित प्रदेशों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पंजाब में कांग्रेस ने कुल 13 सीटों में से आठ पर जीत दर्ज की थी. जबकि राजस्थान में पार्टी का 2014 की तरह खाता तक नहीं खुल पाया है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सत्ता मे आने के बावजूद लोकसभा में प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा.

राहुल गांधी के साथ इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी.नारायणसामी मौजूद रहेंगे.

सुशील कुमार शिंदे बनेंगे कांग्रेस अध्यक्ष!

अशोक गहलोत नहीं सुशील कुमार शिंदे हो सकते हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष

लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेसी नेताओं ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने की कई कोशिशें की, लेकिन राहुल अपने फैसले पर अड़िग रहे. राहुल ने कई बार मीडिया में और कांग्रेसी नेताओं से साफ कहा कि अब अध्यक्ष पद पर नहीं रहेंगे. राहुल के फैसले के बाद कांग्रेस के भीतर नए अध्यक्ष की तलाश शुरु हो गई. कभी केसी वेणुगोपाल का नाम सामने आया तो कभी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का, लेकिन दोनों नेताओं ने ही अध्यक्ष पद को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. अब खबर आ रही है कि अब राहुल गांधी के उत्तराधिकारी के नाम पर मुहर लग गई है.

खबरों की माने तो कांग्रेस ने पार्टी की कमान किसके हाथ में देनी है उसके लिए उपयुक्त नेता का चुनाव कर लिया है. कांग्रेस आलाकमान ने गांधी परिवार संग सभी नामों पर विचार-विमर्श करने के बाद मन बनाया है कि पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को पार्टी का अगला अध्यक्ष बनाया जाए. हालांकि, इसकी घोषणा में थोड़ी देरी हो सकती है.

सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र  के जाने-माने दलित नेता हैं. बिखरते दलित वोटबैंक को इकटठा करने के लिए कांग्रेस सुशील कुमार शिंदे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर दलित कार्ड खेल सकती है. शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. आगामी दिनों में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने वाला है. इन चुनावों को ध्यान में रखते हुए सुशील कुमार शिंदे को अध्यक्ष बनाया जा रहा है.

अध्यक्ष पद के लिए सुशील कुमार शिंदे का चुनाव इसलिए किया जा रहा है,  क्योंकि गांधी परिवार और उनके मुख्य सिपहसलारों में इस मुद्दे पर आम राय है कि राहुल गांधी की जगह पार्टी की जिम्मेदारी ऐसे नेता को दी जाए, जो पार्टी के प्रति वफादार रहे. सुशील कुमार शिंदे की महत्वाकांक्षाओं ने कभी भी लीडरशिप को परेशानी में नहीं डाला है. उन्होंने हमेशा ही पार्टी की सर्वोच्च सत्ता के आदेशों का एक-एक शब्द पालन किया है.

पार्टी ने उन्हें भैरोंसिंह शेखावत के मुकाबले उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार भी बनाया था और विलासराव देशमुख को फिर से महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने के लिए उन्हें गवर्नर बनाकर आंध्र प्रदेश भी भेज दिया था. शिंदे ने कभी आलाकमान के इन फैसलों की वजह पूछने तक की कोशिश नहीं की. वो हमेशा आलाकमान के  आदेशों को तामील करते चले गए. केंद्र में भी उन्हें ऊर्जा से लेकर गृहमंत्री तक बनाया गया और उन्होंने पूरी तरह पार्टी और गांधी परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है.
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