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गुरदासपुर सांसद सनी देओल ने रखा PA, मचा गदर

अभिनेता से राजनेता बने सनी देओल को सियासी गलियारे में कदम रखे अभी कुछ ही दिन हुए हैं और वे अभी से विपक्ष के चंगुल में फंसते हुए नजर आ रहे हैं. 17वीं लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर संसदीय सीट से सदन में पहुंचे सनी देओल के बारे में पता चला है कि उन्होंने एक स्क्रीन राइटर को गुरदासपुर में अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है. यह प्रतिनिधि सनी के संसदीय क्षेत्र से जुड़े मामलों पर नजर रखेगा. सनी ने ऑफिशियल लेटरहेड के जरिए इस बात की घोषणा की है. सनी के इस फैसले को विपक्ष से आड़े हाथ लेते हुए गदर मचाया हुआ है.

सनी देओल ने जिस प्रतिनिधि को संसदीय क्षेत्र में रखा है उनका नाम है स्क्रीन राइटर गुरप्रीत सिंह पल्हेरी. अब सनी ने इसे अपने क्षेत्र में नियुक्ति देकर शायद अच्छा ही काम किया हो लेकिन विपक्ष ने उपनपर निशाना साध ​दिया है. विपक्ष ने कहा है कि ये गलत है क्योंकि सनी उन लोगों के लिए जिम्मेदार हैं जिन्होंने उन्हें वोट दिया है. ऐसे में यह नियुक्ति गलत है.

मामला पर बना तूल इतना बढ़ गया कि सांसद सनी देओल को खुद अपनी सफाई पेश करनी पड़ी. उन्होंने एक ट्वीट करते हुए कहा है, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है और उसमें भी इतना बड़ा विवाद खड़ा कर दिया गया है. मैंने अपना पीए (पर्सनल असिस्टेंट) नियुक्त किया है जो कि गुरदासपुस के मेरे ऑफिस में मेरा प्रतिनिधित्व करेगा. ये नियुक्ति इस बात को ध्यान में रखकर की गई है कि जब मैं गुरदासपुर से बाहर हूं, संसद में हूं या कहीं सफर कर रहा हूं तो भी काम लगातार, बिना रुके चलता रहे.’

बता दें, गुरदासपुर लोकसभा सीट बीजेपी की परम्परागत सीट है. यहां से विनोद खन्ना बीजेपी के सांसद हुआ करते थे. उनके निधन के बाद उपचुनाव में बीजेपी ये सीट कांग्रेस के सामने हार गई थी. इस बार सनी देओल को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था और जीत दर्ज की.

अब सनी की ये सफाई ​उनके कितनी काम आएगी, ये तो वक्त ही बनाएगा. लेकिन उन्हें इस बात को समझने की जरूरत होगी कि यह कोई फिल्मी दुनिया नहीं जिसमें आपका सारा काम PA संभाल लेता है. यह राजनीति का ऐसा मैदान है जहां खुद को ही सारे काम करने होते हैं. सनी जितना जल्दी इस बात को समझ लें, उतना ही उनके लिए अच्छा है.

‘हमें समझ नहीं आया कि यह बिल्ली है या शेर तो हमने इसे एहतियातन पिंजरे में बंद कर दिया’

सौजन्य – सत्याग्रह

क्या सरकार को पता है कि बोतल बंद पानी घातक है: किरोड़ीलाल मीणा

बीजेपी सांसद डॉ.किरोड़ीलाल मीणा ने आज राज्यसभा में आदिवासियों के हक में उनकी आवाज उठाई. साथ ही सरकार से पूछा कि क्या स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री यह बताते की कृपा करेंगे कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि देशभर में उपयोग किए जा रहा बोतल बंद घातक है. उन्होंने कहा कि बोतल बंद पानी में प्लास्टिक के बारीक कण घुल जाते हैं जो मानव शरीर के लिए घातक साबित हुए हैं.

उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि क्या सरकार को यह पता है? क्या सरकार द्वारा लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए गए हैं? यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं तो इसके कारण क्या हैं?

इसके अलावा, अपने भाषण में किरोड़ीलाल मीणा ने आदिवासियों के दावों को निरस्त किए जाने और उनकी दयनीय स्थिति के बारे में सदन को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आदिवासियों के हित में 2005 में फोरेस्ट राइट एक्ट लाई जो 2006 में लागू हुआ. लेकिन राजस्थान में 36000 आदिवासी परिवार हैं जो अपने दावों को ठीक तरह से प्रस्तुत नहीं कर पाए और जिनके ​दावे निरस्त कर दिए गए. वहीं देशभर में 11 लाख आदिवासियों के दावे निरस्त हुए हैं.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि जो आदिवासी दावे प्रस्तुत नहीं कर सके, उन्हें जंगल से बेदखल कर दिया जाए. हालांकि केंद्र सरकार इस फैसले पर स्टे ले आई. इसके बावजूद राजस्थान के आदिवासी इलाकों में फोरेस्ट अधिकारी जबरन उनके घरों को उजाड़ रहे हैं. इनकी हालत इतनी दयनीय है कि पेट पालन के लिए ये लोग केवल दो हजार रुपये में अपने बच्चों तक को गिरवी रख रहे हैं. इस बात पर गौर किया जाए.

लोकसभा में डॉक्टर्स की मनमानी हड़ताल पर हनुमान का वार, कहा- कौन है मौत का जिम्मेदार

लोकसभा में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक-2019 पर चर्चा पर बोलते हुए नागौर सांसद हनुमान ​बेनीवाल ने एम्स सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में कभी भी होने वाली डॉक्टर्स की हड़ताल पर जमकर बहस की. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक जब चाहें बिना किसी लिखित सूचना के हड़ताल पर चले जाते हैं या धरना प्रदर्शन करने बैठ जाते हैं. उनकी अनुपस्थिति में जितनी भी जाने जाती हैं, उनका जिम्मेदार कौन है.

उन्होंने राजस्थान में हुई चिकित्सकों की हड़ताल पर सवाल पूछते हुए कहा कि प्रदेश में उस दौरान 100 लोगों की जाने गई थी. ऐसे में उन सभी डॉक्टर्स पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए.

हनुमान ने अस्पतालों में जातिगत आधार पर संविदाकर्मियों की भर्ती का मुद्दा भी सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि हाल ही में जोधपुर एम्स में बिना कोई विज्ञपत्ति निकाले जाति के आधार पर एक हजार संविदाकर्मी भर्ती किए गए. इससे पहले दिल्ली के एम्स अस्पताल में भी ऐसा ही कुछ किया गया. इस तरह अगर चलता रहा तो देश के सभी सरकारी अस्पतालों में जातिगत भर्तियों की दुकानें चल निकलेंगी.

उन्होंने यह भी कहा कि एम्स जैसे हाई प्रोफाइल सरकारी अस्पतालों में एक विधायक तो अपनी चला सकता है लेकिन सांसदों की वहां बिलकुल नहीं चलती. ऐसे में आम जनता कैसे वहां अपना ईलाज कराएंगा.

इससे पहले उन्होंने मेडिकल कांउन्सिल आॅफ इंडिया में व्याप्त भष्टाचार के मुद्दे से अपने भाषण की शुरूआत करते हुए कहा कि जयपुर के निम्स मेडिकल कॉलेज और महात्मा गांधी हॉस्पिटल के मालिक खुद भष्टचार और छेड़छाड़ के मुद्दों पर जेल की हवा खाकर आए हैं लेकिन दिल्ली एमसीआई के चलते वे सभी अपना काम चला लेते थे. ​इसके चलते उनकी दुकानें आज तक बंद नहीं हुई और न ही उनकी मान्यता रद्द हुई. लेकिन अब एमसीआई के भंग होने के बाद सरकार का हस्तक्षेप भी सीधे तौर पर रहेगा. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘भष्टाचार को खत्म करेंगे’ नारे को साकार करने में मदद मिलेगी.

दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर हाई वोल्टेज ड्रामा, कांग्रेसी नेता धरने पर बैठे

लोकसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस का हाई वोल्टेज ड्रामा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा क्या दिया, यह सियासी ड्रामा तो अपने चरम पर पहुंच गया. आज इस कड़ी में कुछ ऐसा भी जुड़ गया है जो इससे पहले कभी नहीं हुआ.

आज राहुल गांधी से इस्तीफा वापसी की मांग को लेकर अविनाश पांडे, राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, हरीश चौधरी और रणदीप धनखड़ सहित कई कांग्रेसी नेता कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय पर धरने पर बैठ गए हैं. यहां एक फ्लैक्स भी लगा हुआ है जिस पर लिखा है ‘हमें आपके नेतृत्व पर पूर्ण विश्वास है’.

यह तो एक शुरूआत भर है. खबरें तो यहां तक वायरल हो रही हैं कि एक कार्यकर्ता ने पार्टी मुख्यालय के बाहर आत्महत्या करने की कोशिश की है. उसका कहना है कि अगर राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा वापिस नहीं लिया तो वह फांसी पर चढ़ जाएगा. अगर सच में ऐसा होता है तो अभी तक तो राहुल गांधी के सिर पर केवल पार्टी की हार का ठीकरा ही फूटा था. अब एक मौत का जिम्मेदार भी माना जाएगा.

इससे पहले सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, अहमद पटेल सहित कांग्रेस के कई दिग्गज़ नेताओं ने राहुल गांधी से इस्तीफा वापिस लेने की मान मनुहार की लेकिन वे नहीं माने. यहां तक की शनिवार को AICC प्रवक्ता पवन खेडा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए साफ तौर पर कहा था कि CWC ने राहुल गांधी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है. उसके बाद भी राहुल अपने फैसले पर डटे हुए हैं.

सोमवार को भी कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में राहुल गांधी से उनके निवास पर मुलाकात कर इस बारे में बातचीत की थी. गहलोत ने मीडिया से रूबरू होते हुए यह भी बताया था कि हमने कार्यकर्ताओं की भावनाओं से राहुलजी को अवगत करा दिया है. उन्होंने हमें फैसले पर विचार करने का भरोसा दिलाया है.

एक तरफ राहुल गांधी को मनाने की कोशिशें तेज हो रही हैं तो दूसरी ओर, अशोक गहलोत और सुशील कुमार शिंदे को पार्टी का नेतृत्व सौंपने के लिए तैयार किया जा रहा है. राहुल गांधी ने अभी तक इन सभी मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है. कुल मिलाकर कांग्रेस का यह ‘टोटल धमाल’ पूरी तरह से पैसा वसूल कहा जा सकता है. वहीं बीजेपी मुख्यालय में भी इस ड्रामे के किस्से-कहानियां चटकारे लेकर सुनाए और बताए जा रहे हैं. इन सभी के बीच मोदी और शाह मंद-मंद मुस्कान के साथ इस नाटकीय अभियान पर नजरें गढ़ाए हुए हैं.

भारतीय राजनीति पर चढ़ रहा है टीम इंडिया के ‘भगवा’ का असर

30 जून को बर्मिंघम में टीम इंडिया ने नई जर्सी क्या पहनी, सियासी गलियाओं तक में इसका रंग चढ़ गया. टीम इंडिया तो इस रंग में रंगी नहीं क्योंकि इं​ग्लैंड के साथ हुए इस मैच में टीम को हार झेलनी पड़ी. लेकिन राजनीति गलियाओं में अभी तक इसका गहरा रंग चढ़ा हुआ है. दरअसल यह जर्सी गहरे नीले और भगवा रंग की है और राजनीतिक नेताओं का कहना है कि बीसीसीआई ने केवल सरकार को खुश करने के लिए यह रंग चुना है. हालांकि मैच खत्म हो चुका है और जर्सी भी उतर चुकी है लेकिन टीम इंडिया की इस जर्सी पर कई राजनीतिक दलों ने ऐतराज जताया है.

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने जर्सी में भगवा रंग इस्तेमाल पर कड़ी आलोचना की है और कहा है कि बीसीसीआई ने केंद्र सरकार को खुश करने के लिए ऐसा किया है. वहीं बीजेपी की तरफ से इन आरोपों को खारिज किया गया है. इस मामले पर आईसीसी का कहना है कि जर्सी के रंग का चयन उनकी तरफ से किया गया था और उसे बीसीसीआई को भेजा गया था.

आईसीसी के बयान के अनुसार, खेल नियम के मुताबिक विश्वकप के मुकाबले में दो टीमें एक रंग की जर्सी पहनकर मैदान पर नहीं उतर सकती. इस वजह से एक टीम की जर्सी का रंग बदला गया. इन मामलों में मेजबान टीम को ही अपनी जर्सी पहनने की इजाजत होती है. यही वजह रही कि टीम इंडिया की जर्सी का रंग बदला गया लेकिन इसमें भगवा रंग का इस्तेमाल एक ट्विस्ट पैदा करने जैसा रहा.

जर्सी में भगवा रंग के इस्तेमाल पर समाजवादी पार्टी के नेता अबु आजमी ने कहा, ‘पीएम मोदी पूरे देश को भगवे में रंग देना चाहते हैं. तिरंगे में और भी रंग है तो सिर्फ भगवा रंग ही क्यों. अगर तिरंगे के रंग में खिलाड़ियों की जर्सी होती तो ज्यादा अच्छा था.’

वहीं कांग्रेस नेता नसीम खान ने कहा, ‘जब से मोदी सरकार आई है तब से ही भगवा की राजनीति शुरू हुई है. तिरंगे का सम्मान किया जाना चाहिए.’

दूसरी ओर, इस मामले पर बचाव करते हुए बीजेपी के नेता राम कदम का कहना है कि भगवा रंग पर किसी को क्या आपत्ति है. इसे खेल से दूर रखा जाना चाहिए. वहीं शिवसेना के नेता गुलाब राव पाटिल ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों की जर्सी भगवा रंग की है लेकिन इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.

इन सबसे बीच कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का तंज तो सबसे जुदा रहा. उन्होंने अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा, ‘चाहें मुझे कोई अंधविश्वासी कहें, लेकिन मैं कहती हूं कि इस जर्सी ने आईसीसी विश्वकप—2019 में भारत की जीत की लकीर को समाप्त कर दिया.’

मासूम से दुष्कर्म मामला: जयपुर के शास्त्री नगर में धारा 144 लागू, इंटरनेट बंद

जयपुर के शास्त्री नगर इलाके में देर रात सात साल की बच्ची से दुष्कर्म के बाद तनाव की स्थिति बन गई है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर ​दी गई है. वहीं 14 थाना इलाकों में कल सुबह 10 बजे तक के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है.

इससे पहले घटना का पता चलने के बाद स्थानीय लोगों ने शास्त्री नगर थाने का घेराव किया. थाना प्रभारी ने जब अपराधियों की ​जल्द गिरफ्तारी का आश्वासन देकर सभी को वापिस भेजा तो लौटते समय कुछ उपद्रवी युवकों ने सड़क पर खड़े कई वाहनों के शीशे फोड़ दिए और घरों में पत्थर फेंके.

आज सुबह अस्पताल में ‘बच्ची की मौत’ की वायरल खबर के बाद स्थिति और भी भयानक हो गई. लोगों ने भट्टा बस्ती में जमकर पत्थरबाजी की. इस पत्थरबाजी में 15 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए. स्थानीय लोगों ने दोषियों की जल्दी से जल्दी गिरफ्तारी की मांग की है. फिलहाल बच्ची का जेके लॉन अस्पताल में इलाज चल रहा है.

प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली से फोन पर विधायक रफीक खान और अधिकारियों से संपूर्ण घटना की जानकारी ली है. उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की है. साथ ही अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता का आश्वास दिया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने शहर की जनता को अफवाहों पर ध्यान न देने की भी अपील की है.

इधर, आदर्श नगर विधायक रफीक खान ने जेके लॉन पहुंच मासूम के परिजनों से मुलाकात की है. घटना की जानकारी मिलने पर मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, मुख्य सचेतक महेश जोशी, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा, एडीजे जंगा श्रीनिवास राव, एएसपी सरिता बड़गुर्जर ने भी अस्पताल पहुंच बच्ची की कुशलक्षेप पूछी. फिलहाल बच्ची की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.

सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए राजधानी के शास्त्री नगर, भट्टा बस्ती, रामगंज, आदर्श नगर, सदर थाना, विद्याधर नगर, नाहरगढ़, गलता गेट, माणक चौक, सुभाष चौक, कोतवाली, संजय सर्किल और लालकोठी सहित 14 थाना इलाकों में इंटरनेट की सुविधा को कल सुबह 10 बजे तक के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है. 40 थानों की पुलिस की घटना स्थल पर तैनात कर दिया गया है.

बल्लामार विधायक पर मोदी सख्त, बोले ‘किसी का बेटा हो, पार्टी से निकाल देना चाहिए’

दिल्ली में बीजेपी संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बल्लामार विधायक आकाश विजयवर्गीय पर कड़ी सख्ती दिखाई. यही नहीं, उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की बात भी कही. विधायक का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने कहा कि वह चाहे किसी का भी बेटा क्यों न हो, उसकी ये हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है. उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए.

दरअसल मोदी संसद भवन की लाइब्रेरी के जीएमसी बालायोगी सभागृह में दोनों सदनों के सभी 380 सांसदों को संबोधित कर रहे थे. यहां उन्होंने पार्टी के आगे का एजेंडा तय करने के साथ ही बीजेपी के सदस्यता अभियान पर भी जोर दिया.

इससे पहले उन्होंने सभी मौजद सांसदों को शालिनता का पाठ पढ़ाते हुए जनता के लिए काम करने की बात कही. जब मोदी आकाश विजयवर्गीय की बात कर रहे थे, उस समय वहां पर आकाश के पिता कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद थे. कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं.

इस मामले में कैलाश विजयवर्गीय ने अपने विधायक बेटे आकाश को कच्चा खिलाड़ी बताया. उन्होंने कहा, ‘ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे लगता है आकाश और नगर निगम के कमिश्नर दोनों पक्ष कच्चे खिलाड़ी हैं. यह एक बड़ा मुद्दा नहीं था लेकिन इसे बहुत बड़ा बना दिया गया. मुझे लगता है कि अधिकारियों को अहंकारी नहीं होना चाहिए. उन्हें जनप्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए. मैंने इसकी कमी देखी है. दोनों को समझना चाहिए ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो.’

बता दें, इंदौर में नगर निगम का दल गंजी कंपाउंड क्षेत्र में एक जर्जर मकान को गिराने पहुंचा था. इसकी सूचना मिलने पर विधायक आकाश विजयवर्गीय मौके पर पहुंचे, जहां उनकी नगर निगम के कर्मचारियों से बहस हो गई. तभी आकाश विजयवर्गीय क्रिकेट का बल्ला लेकर नगर निगम के अधिकारियों से भिड़ गए. विजयवर्गीय ने बल्ले से अफसरों की पिटाई भी की. इसके मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भी जाना पड़ा. हालांकि रविवार को आकाश जमानत पर रिहा हुए हैं.

क्या है नवजोत सिंह सिद्धू की चांद-सितारे वाली पगड़ी का सच, जानिए…

क्रिकेट का मैदान हो या फिर हो सियासी गलियारा, नवजोत सिंह सिद्धू अपने तीखे बयानों और हरकतों की वजह से सुर्खियों में बने रहते हैं. फिर चाहे उनका इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जाना हो या फिर बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह से मतभेद में भी वह जमकर चर्चा में रहे. अब सिद्धू अपनी हरे रंग की चांद सितारों वाली पगड़ी के चलते सुर्खियों में चल रहे हैं. उनकी यह फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.

सिद्धू की हरे रंग की पगड़ी पर एक चांद और एक तारा प्रिंट है जो पाकिस्तान के झंडे पर लगा हुआ है. कुल मिलाकर कहा जाए तो फोटो में कांग्रेस नेता पाकिस्तान के झंडे वाली पगड़ी के साथ दिख रहे हैं. इस फोटो को पाकिस्तान के एक समर्थक के तौर पर ही वायरल किया जा रहा है. एक यूजर ने इस फोटो को फेसबुक पर साझा किया है और अन्य लोगों से भी इसे शेयर करने को कहा है.

जब पॉलिटॉक्स ने बारीकी से इस फोटो की पड़ताल की तो पता चला कि ये एक फोटोशॉप्ड तस्वीर है और वैसे भी सिख समुदाय के लोग सादी पगड़ी पहनते हैं. ऐसे में इस तरह की पगड़ी पहनने का कोई तुक नहीं निकलता. वैसे भी अगर गूगल पर ‘नवजोत सिंह सिद्धू’ को सर्च किया जाए तो उनकी ओरिजनल फोटो सामने आती है जो इससे बिलकुल अलग है.

दरअसल, इस फोटो को फेसबुक पर साझा किया है गोपाल सिंह चावला ने. चावला पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव हैं. गोपाल सिंह चावला ने तस्वीर साझा करते हुए अन्य लोगों से भी इसे शेयर करने को कहा है. हालांकि उसने ऐसा क्यों किया या ये करके वे क्या दिखाना चाह रहे हैं, ये साफ नहीं हो पाया है. लेकिन लगता है कि ऐसा करके चावला खबरों में बने रहना चाहते हैं. हालांकि बाद में उन्होंने अपने अकाउंट से इस फोटो को डिलीट कर दिया.

खैर, सच जो भी. हमारी पड़ताल में सिद्धू की यह फोटो पूरी तरह से फेक साबित हुई है. यहीं नहीं, सोशल मीडिया के यूजर्स ने भी गोपाल सिंह चावला को जमकर ट्रोल किया है. कुछ सिखों ने चावला की जमकर क्लास भी ली है. सोशल मीडिया पर ट्रोल करते हुए यूजर्स ने यह मैसेज दिया है कि ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

बीजेपी संसदीय दल की पहली बैठक हुई समाप्त, पीएम मोदी ने ​सांसदों को किया संबोधित

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लोकसभा चुनाव में काबिले-तारीफ जीत के बाद आज पहली बार भारतीय जनता पार्टी की संसदीय दल की बैठक हुई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. यह बैठक संसद भवन की लाइब्रेरी के जीएमसी बालायोगी सभागृह में रखी गई थी. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के लोकसभा और राज्यसभा के सभी 380 सांसदों को संबोधित करेंगे और सांसदों के लिए आगे का एजेंडा तय किया. साथ ही बीजेपी के सदस्यता अभियान पर भी जोर दिया.

बैठक में मौजूद सभी सांसदों को शालिनता का संदेश देते हुए पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश के इंदौर में हुई घटना पर नाराजगी जताई. बीजेपी इंदौर के विधायक आकाश विजयवर्गीय का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि किसी का भी बेटा हो लेकिन उसकी ये हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी. जिन लोगों ने स्वागत किया है, उन्हें पार्टी में रहना का हक नहीं है. बाकी सभी को पार्टी से निकाल देना चाहिए. इस दौरान पीएम मोदी ने ट्रिपल तलाक बिल पास करने के वक्त लोकसभा में सांसदों की कम उपस्थिति पर भी नाराजगी जताई.

हालांकि इस बैठक में पार्टी के कुछ ऐसे दिग्गज़ नदारद दिखे जो दशकों से इस बैठक में दिखते आ रहे थे. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज जैसे कई नेता इस लिस्ट में शामिल हैं जो आज की संसदीय दल की बैठक में मौजूद नहीं रहे. दरअसल, बीजेपी के ये तीनों दिग्गज संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं है. इसी के चलते संसदीय दल की बैठक में शामिल नहीं हुए.

आडवाणी, जोशी और सुषमा स्वराज ने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. लालकृष्ण आडवाणी की गांधीनगर सीट से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव लड़ा था जो वर्तमान में केंद्रीय गृहमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. खराब स्वास्थ्य के चलते सुषमा स्वराज ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. मुरली मनोहर जोशी को मान मनुहार कर शांत बिठाया गया था.

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