30 जून को बर्मिंघम में टीम इंडिया ने नई जर्सी क्या पहनी, सियासी गलियाओं तक में इसका रंग चढ़ गया. टीम इंडिया तो इस रंग में रंगी नहीं क्योंकि इं​ग्लैंड के साथ हुए इस मैच में टीम को हार झेलनी पड़ी. लेकिन राजनीति गलियाओं में अभी तक इसका गहरा रंग चढ़ा हुआ है. दरअसल यह जर्सी गहरे नीले और भगवा रंग की है और राजनीतिक नेताओं का कहना है कि बीसीसीआई ने केवल सरकार को खुश करने के लिए यह रंग चुना है. हालांकि मैच खत्म हो चुका है और जर्सी भी उतर चुकी है लेकिन टीम इंडिया की इस जर्सी पर कई राजनीतिक दलों ने ऐतराज जताया है.

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने जर्सी में भगवा रंग इस्तेमाल पर कड़ी आलोचना की है और कहा है कि बीसीसीआई ने केंद्र सरकार को खुश करने के लिए ऐसा किया है. वहीं बीजेपी की तरफ से इन आरोपों को खारिज किया गया है. इस मामले पर आईसीसी का कहना है कि जर्सी के रंग का चयन उनकी तरफ से किया गया था और उसे बीसीसीआई को भेजा गया था.

आईसीसी के बयान के अनुसार, खेल नियम के मुताबिक विश्वकप के मुकाबले में दो टीमें एक रंग की जर्सी पहनकर मैदान पर नहीं उतर सकती. इस वजह से एक टीम की जर्सी का रंग बदला गया. इन मामलों में मेजबान टीम को ही अपनी जर्सी पहनने की इजाजत होती है. यही वजह रही कि टीम इंडिया की जर्सी का रंग बदला गया लेकिन इसमें भगवा रंग का इस्तेमाल एक ट्विस्ट पैदा करने जैसा रहा.

जर्सी में भगवा रंग के इस्तेमाल पर समाजवादी पार्टी के नेता अबु आजमी ने कहा, ‘पीएम मोदी पूरे देश को भगवे में रंग देना चाहते हैं. तिरंगे में और भी रंग है तो सिर्फ भगवा रंग ही क्यों. अगर तिरंगे के रंग में खिलाड़ियों की जर्सी होती तो ज्यादा अच्छा था.’

वहीं कांग्रेस नेता नसीम खान ने कहा, ‘जब से मोदी सरकार आई है तब से ही भगवा की राजनीति शुरू हुई है. तिरंगे का सम्मान किया जाना चाहिए.’

दूसरी ओर, इस मामले पर बचाव करते हुए बीजेपी के नेता राम कदम का कहना है कि भगवा रंग पर किसी को क्या आपत्ति है. इसे खेल से दूर रखा जाना चाहिए. वहीं शिवसेना के नेता गुलाब राव पाटिल ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों की जर्सी भगवा रंग की है लेकिन इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.

इन सबसे बीच कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का तंज तो सबसे जुदा रहा. उन्होंने अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा, ‘चाहें मुझे कोई अंधविश्वासी कहें, लेकिन मैं कहती हूं कि इस जर्सी ने आईसीसी विश्वकप—2019 में भारत की जीत की लकीर को समाप्त कर दिया.’

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