कर्नाटक का सियासी घमासान सनसनीखेज मोड़ पर पहुंच गया है. एचडी कुमार स्वामी की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार चलेगी या गिर जाएगी, कहना मुश्किल है. सरकार गिरने के आसार ज्यादा दिख रहे हैं. सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक बागी हो रहे हैं और बीजेपी उनको संरक्षण दे रही है. दूसरी तरफ कांग्रेस अपने विधायकों को इस्तीफे से रोकने के भरसक प्रयास कर रही है. इस बीच कर्नाटक में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों का सिलसिला जारी है. बुधवार को दो और कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफे दे दिए. ये हैं चिक बल्लारपुर के विधायक के. सुधाकर और होस्कोटे के विधायक और राज्य के आवास मंत्री एमटीबी नागराज. इसके साथ ही इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या 16 हो गई है. इन विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में कुमार स्वामी की गठबंधन सरकार के कुल विधायकों की संख्या 101 रह गई है जो अल्पमत में है. वहीं बीजेपी के कुल 105 विधायक हैं और विपक्ष दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन में सरकार बनाने के निमंत्रण की मांग कर रहा है.
वहीं स्पीकर केआर रमेश के बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है. जिन 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है कि स्पीकर उनका इस्तीफा मंजूर नहीं कर रहे हैं. शेष बचे 6 विधायकों की अर्जी लगाना बाकी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सभी बागी विधायकों को आज शाम 6 बजे तक कर्नाटक विधानसभा स्पीकर के.आर रमेश कुमार के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं. इससे पहले स्पीकर आर. रमेश ने पेश किए गए सभी इस्तीफों को स्वीकार करने से साफ तौर पर मना कर दिया था. उनका तर्क था कि किसी भी विधायक ने उनके समक्ष पेश होकर इस्तीफों की पेशकश नहीं की है. पूरी प्रक्रिया का एक नियम है और वह उसके अनुसार ही काम करेंगे.
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कर्नाटक का राजनीतिक संकट सचमुच बहुत गंभीर स्थिति में पहुंचने के संकेत बुधवार दोपहर मिले, जब इस्तीफा देने वाले विधायक सुधाकर को विधानसभा में जाने से रोका गया. जब सुधाकर के पिछले द्वार से प्रवेश कर रहे थे, तब उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुंडू राव, समाज कल्याण मंत्री प्रियंक खड़गे और पूर्व एमएलसी नजीर अहमद ने रोका. वे सुधाकर को जबरन उद्योग मंत्री केजे जॉर्ज के कक्ष में ले गए और उन पर इस्तीफा नहीं देने का दबाव डाला. जब बीजेपी नेताओं को इस घटनाक्रम की सूचना मिली तो वे केजे जॉर्ज के दफ्तर के बंद दरवाजे के सामने धरने पर बैठ गए. वे कांग्रेस नेताओं से मांग कर रहे थे कि सुधाकर को जाने दिया जाए.
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया के विधानसभा सौध पहुंचने पर तनाव और बढ़ गया. गलियारे में भारी भीड़ लग गई, जिसमें सभी पार्टियों के नेता शामिल थे. इस बीच पूर्व मंत्री बीजेपी नेता रेणुकाचार्य और शहरी विकास मंत्री यूटी खादर में जमकर कहासुनी हुई. दोनों इस सीमा तक झगड़ने लगे कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहां अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा. करीब दो घंटे बाद सुधाकर कक्ष से बाहर निकले. मल्लिकार्जुन खड़गे और बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार उन्हें बीजेपी नेताओं की नारेबाजी के बीच बाहर ले गए.
कर्नाटक में बीजेपी आरोप लगा रही है कि कई विधायक इस्तीफा देना चाहते हैं और कांग्रेस कुछ विधायकों को जबरन रोके हुए है. एमएलसी रवि कुमार ने आरोप लगाया कि बुधवार शाम चिक्कोडी-सादलगा विधायक और कांग्रेस के सचेतक गणेश हुक्केरी भी विधानसभा अध्यक्ष से मिले थे. कांग्रेस ने उन्हें भी कहीं रोक रखा है. उधर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में भी कर्नाटक का मामला गूंजा. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस और JDS के 10 विधायकों ने कर्नाटक की कुमार स्वामी सरकार पर कुशासन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. उन्होंने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार पर भी इस्तीफा मंजूर करने में गैरजरूरी देरी करने का आरोप लगाया.
कर्नाटक की राजनीतिक हलचल का असर मुंबई में भी दिखा. कांग्रेस नेता डी शिवकुमार बुधवार सुबह एक होटल में ठहरे 10 बागी विधायकों से मिलने पहुंचे थे. वे कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को समझाना चाहते थे कि बगावत करने से कोई फायदा नहीं है. ये विधायक बेंगलुरु में कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंपकर मुंबई पहुंच गए हैं. बताया जाता है कि इन विधायकों को बीजेपी से संरक्षण मिल रहा है. मुंबई के होटल रेनीसेंस में ठहरे इन विधायकों से मिलने के लिए शिवकुमार ने पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की थी. पुलिस ने उन्हें होटल के सामने सड़क पार खड़े रहने को कहा. इसके बाद शिवकुमार को मुंबई विश्वविद्यालय के कलीना परिसर में ले जाया गया. पूर्व मुंबई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा, संजय निरुपम और अन्य पार्टी कार्यकर्ता उनके साथ थे. शाम को डी शिवकुमार को एय़रपोर्ट पहुंचकर बेंगलुरु के लिए उड़ान पकड़नी पड़ी. उन्होंने कहा, कुछ अज्ञात ताकतों के कारण वह असंतुष्ट विधायकों से नहीं मिल सके.
मुंबई के इस घटनाक्रम के दौरान दिल्ली में लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन को सूचित किया कि कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार को मुंबई के एक होटल में प्रवेश करने से रोक दिया गया, क्योंकि होटल में ठहरे कर्नाटक के विधायकों ने अपनी सुरक्षा खतरे में होने की शिकायत की थी. उन्होंने इस संबंध में एक पत्र भी सदन में लहराया, जो विधायकों ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को लिखा था. कर्नाटक के ये विधायक सुरक्षा की चिंता में मुंबई के होटल में ठहरे हुए हैं. लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कर्नाटक में लोकतंत्र का गला घोटा जा रहा है. उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार पर कर्नाटक में सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने चौधरी को इस मुद्दे पर आगे बोलने से रोक दिया.
राज्यसभा में भी कर्नाटक का मामला गूंजता रहा. लंच से पहले दो बार सदन की बैठक स्थगित करनी पड़ी. कांग्रेस सदस्यों ने राज्यसभा सभापति के आसन के सामने नारेबाजी करते हुए कर्नाटक के घटनाक्रम पर बहस कराने की मांग की. सभापति वेंकैया नायडू ने यह मांग नामंजूर कर दी. इसके बाद सदन की कार्यवाही चलाना मुश्किल हो गया. लंच के बाद सदन की बैठक फिर शुरू होने पर कांग्रेस सदस्यों का रवैया नहीं बदला. सदन में केंद्रीय बजट पर बहस होनी थी, लेकिन कांग्रेस सदस्यों की नारेबाजी जारी रही. पांच मिनट बाद कार्यवाही फिर स्थगित हो गई. इसके बाद दोपहर तीन बजे राज्यसभा की बैठक शुरू हुई. सदन के उप सभापति हरिवंश ने कांग्रेस के पी चिदंबरम से बजट पर बहस शुरू करने के लिए कहा, चिदंबरम ने इनकार कर दिया. इसके बाद हरिवंश ने सुरेश प्रभु का नाम पुकारा. हंगामे और टोकाटाकी के बीच सुरेश प्रभु का संबोधन 50 मिनट तक चला.
इस तरह कर्नाटक के नाटक का अभी तक पटाक्षेप नहीं हुआ है. विधायक इस्तीफा देने के बाद इधर से उधर हो रहे हैं. बीजेपी को सरकार गिरने का इंतजार है. कांग्रेस सरकार को बचाने के प्रयासों में लगी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी समझ नहीं पा रहे हैं कि यह क्या हो रहा है.