होम ब्लॉग पेज 3143

अजित डोभाल पुलवामा पहुंचे, ईद की तैयारियों का लिया जायजा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद सरकार का पूरा ध्यान केंद्रीय शासित प्रदेश में सामान्य करने पर है. इसी क्रम में शनिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पहले अनंतनाग और उसके बाद पुलवामा पहुंचे. यहां उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की और ईद की तैयारियों का जायजा लिया. फिलहाल इंटरनेट पर अभी रोक बरकरार है.

यह भी पढ़ें: अजित डोभाल पर गुलाब नबी का विवादित बयान, भड़की बीजेपी, श्रीनगर एयरपोर्ट पर ही रोका गया आजाद को

एमडीएस यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव पर संकट

राजस्थान के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में जहां आगामी 27 अगस्त को छात्रसंघ चुनाव होने वाले हैं, वहीं अजमेर के महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में इस बार छात्रसंघ चुनाव संकट के बादल छाये हुए हैं, क्योंकि यहां अक्टूबर—2018 से कुलपति की नियुक्ति नहीं हुई है, ऐसे में बिना कुलपति के रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव अधिकारी की नियुक्ति कौन करेगा? इस मामले में एमडीएस यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि उन्होंने इस सम्बन्ध में राज्यपाल को फाइल भेजी हुई है लेकिन अभी तक राजभवन से कोई जवाब नहीं आया है.

गौरतलब है कि, राजस्थान में इन दिनों छात्र राजनीती अपने चरम पर है. पिछले बुधवार को जैसे ही प्रदेश में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रसंघ चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हुई वैसे ही छात्र नेताओं ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. भाजपा से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) औऱ कांग्रेस से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) उम्मीदवारों के पैनल तैयार करने में जुट गए हैं. इसके लिए बैठकें शुरू हो गई हैं.

एमडीएस यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव के इस संकट को दूर करने के लिए छात्रनेता लामबंद हो रहे है पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मोहित जैन का कहना है कि राज्य सरकार जल्द इसका समाधान निकाले ताकि एमडीएस यूनिवर्सिटी में भी आगामी 27 तारीख को चुनाव हो सकें, जैन ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एमडीएस युनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव पर संकट आया तो एबीवीपी एन एस यू आई सहित समस्त संगठन एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

राज्य में आगामी 27 अगस्त को छात्रसंघ चुनाव होंगे और मतगणना 28 अगस्त को सुबह 11 बजे से होगी. प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव की तैयारियां दिन प्रतिदिन जोर पकडती नजर आ रहीं हैं. ऐसा हि कुछ नजारा महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर का भी है जहां छात्रसंघ चुनाव पर संकट के बादल छाये हुए है इसके बावजूद भी छात्र नेता कैम्पस में सक्रिय दिखाई दे रहे है. कॉलेज केंटीन हो या लाइब्रेरी, क्लास रूम हो या पार्किग, छात्र नेता कैम्पस के तमाम गलियारों मेें जाकर अपने अपने पक्ष में चुनाव की जाजम बिछाते नजर आ रहे है.

माहौल चुनाव का है तो वादों का होना तो लाजमी है, ऐसे में छात्रों के बीच छात्रनेता स्थायी कुलपति, कुलसचिव, शिक्षक भर्ती, गर्ल्स होस्टल में मूलभूत सुविधाएं, बॉयज हॉस्टल वापस शुरू करवाने जैसे वादों से छात्रों को अपने पक्ष में कर रहे है.

ये क्या बोल गए हरियाणा सीएम, राहुल गांधी ने कहा – आरएसएस के प्रशिक्षण का नतीजा

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कश्मीरी महिलाओं पर ​की गई टिप्पणी पर राहुल गांधी ने खट्टर के साथ ही आरएसएस पर भी निशाना साधा है. सोशल मीडिया पर ए​क ट्वीट पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘हरियाणा के सीएम खट्टर की कश्मीरी महिलाओं पर टिप्पणी घृणित है. उनका ये ट्वीट दर्शाता है कि कमजोर, असुरक्षित और दयनीय आदमी के लिए आरएसएस वर्षों के प्रशिक्षण क्या करता है. महिलाएं पुरुषों के स्वामित्व वाली संपत्ति नहीं हैं.’

दरअसल राहुल गांधी ने मनोहर लाल खट्टर की उस टिप्पणी पर निशाना साधा जिसमें खट्टर ने कहा था कि अनुच्छेद 370 खत्म होने से अब कश्मीर का रास्ता साफ हो गया है और अब वहां से भी लड़कियों को शादी के लिए हरियाणा लाया जा सकता है. खट्टर ने फतेहाबाद में भगवान महर्षि भागीरथ जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के विषय पर चर्चा करते हुए कहा, ‘म्हारे मंत्री अक्सर कहते हैं कि वे बिहार से बहू लाएंगे. पर इन दिनों लोग कह रहे हैं कि अब कश्मीर का रास्ता साफ हो गया है. अब हम लोग कश्मीर से बहू लाएंगे.’ खट्टर यहां हरियाणा के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के बारे में इशारा कर रहे हैं.

खट्टर की यह कथित तौर पर की गयी टिप्पणी से चारों ओर बवाल मच गया है. इस टिप्पणी के बाद खट्टर कई जगहों पर घिरते हुए दिख रहे हैं. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी मनोहर लाल खट्टर के कश्मीर की लड़कियों को लेकर दिए गए बयान की निंदा की है. स्वाति मालीवाल ने कहा कि मनोहर लाल खट्टर को अपने बयान पर शर्म आनी चाहिए. मुख्यमंत्री सड़क छाप रोमियो की भाषा बोल रहे हैं. खट्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की सलाह देते हुए मालीवाल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर के लोगों को विश्वास दिलाने में लगे हैं कि पूरा देश साथ है लेकिन एक नालायक मुख्यमंत्री अभद्र बातें बोलकर हिंसा भड़का रहा है.’


सफाई पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने अपने इस विवादित बयान को मजाक के तौर पर लेने की बात कहते हुए कहा कि यह मजाक की बात है. उन्होंने हरियाणा में लिंगानुपात बेहतर होने पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा से शुरू किए गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को सफल रूप दिया जा रहा है.

जैन, बौद्ध, सिखों को हिन्दू घोषित करे सरकार: श्रीजगतगुरू शंकराचार्य

गोवर्धनपुरी पीठाधीश्वर के श्रीजगतगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने केंद्रीय सरकार से जैन, बौद्ध, सिखों को हिन्दू घोषित करने की मांग की. साथ ही उन्होंने भारतीय संविधान की धारा 25 को पुनवर्ती लागू करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की 25वीं धारा के अनुसार, जैन, बौद्ध, सिख आदि हिंदू परिभाषित किए गए. परंतु सत्ता लोलुप राजनीतिक दलों और अदुरदर्शी नेताओं ने बौद्ध और सिखों के साथ जैनियों के एक वर्ग को अल्पसंख्यक घोषित कर दिया. इस लोकसभा चुनाव से पहले एक राजनीतिक दल वनवासियों को जिनकी प्रसिद्धी आदिवासी के तौर पर हो गयी थी, उन्हें अल्पसंख्यक घोषित करना चाहता था. छलबल डंके की चोट से अंग्रेजों की कूटनीति को क्रियान्वित करने वाले राजनीतिक दलों ने स्वतंत्रता से पूर्व से लेकर अब तक हिंदूओं के अस्तित्व और आदर्श को विलुप्त करने को लेकर अभियान चला रखा है.

निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि मेरी भावना यह है कि हिंदूओं के आदर्श की रक्षा होगी तो विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा. कारण ये है कि सनातन वैदिक आर्य हिंदूओं का जो सिद्धान्त है, वो इस डिजिटल युग में भी एक मात्र उत्कृष्ठ है. उन्होंने केंद्रीय सरकार और विपक्ष से देश के हित में संविधान की 25वीं धारा को पूर्वभूत की भांति लागू किए जाने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि जैन, बौद्ध, सिख इत्यादि पुनर्जन्म में आस्था रखते हैं. वे गौवंश व गंगा और परलोक में भी आस्था रखते हैं. इनमें भले ही कोई अपने आपको वैदिक न माने लेकिन वेदों में आस्था रखते हैं. ऐसी स्थिति में संविधान की 25वीं धारा में सूझबूझ दिखाते हुए इसे फिर से क्रियान्वित किया जाए.

दलाई लामा का ध्यान केंद्रीत करते हुए निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने वट वृक्ष का उदाहरण करते हुए कहा कि अगर वट वृक्ष की टहनियां काट दी जाए तो वो आकर्षण विहीन हो जाएगा. उन्होंने जैन, बौद्ध, सिख वर्ग को इस मुहिम में साथ देने को कहा. उन्होंने देश को संदेश देते हुए कहा कि अगर जैन, बौद्ध और सिख हिन्दू वर्ग में शामिल होते हैं तो देश या विदेश में जो अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक या फिर गैर हिंदू माने जाते हैं, वे भी वैचारिक द्ष्टि से हिंदूओं के सनिकट होंगे. उन्होंने कहा कि यह संदेश किसी के असित्तव और आदर्शों पर प्रहार करने के लिए नहीं वरन वसुदेव कुटुम्ब और सर्वे भवन्तु सुखीन: भावना से हमने ये संदेश दिया.

उन्होंने भारत के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों से सत्ता लोलूप होकर नहीं बल्कि देश के हित में काम करने की गुहार लगायी. उन्होंने अंग्रेज काल का उदाहरण देते हुए कहा कि बाहरी सत्ताधारियों ने 9 बार देश का विभा​जन किया है. ऐसे में अब पूर्व में की गयी भूल को सुधारे जाने की आवश्यकता है.

चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर का राजनीतिक अवसरवाद

राजनीति करना कोई नीरज शेखर से सीखे. उनके पिता चंद्रशेखर ने हमेशा मुद्दों की राजनीति की. उनके किसी से मतभेद रहे तो स्पष्ट रहे, लेकिन वह मनभेद नहीं रखते थे. वह कांग्रेस में थे, इंदिरा गांधी के समर्थक थे, युवा तुर्क मंडली में शामिल थे, लेकिन जब आपात काल लगा तो इसे देशहित के खिलाफ मानते हुए उन्होंने विरोध किया और जेल चले गए. सत्तारूढ़ पार्टी को छोड़कर विपक्ष में जा बैठे. हालांकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं थी, लेकिन देशहित का तकाजा निजी ऐशो आराम से ज्यादा अहम था. उनके पुत्र नीरज शेखर अवसरवाद का उदाहरण पेश कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद थे. इस्तीफा देने के बाद अब भाजपा के कोटे से राज्यसभा सदस्य बनने वाले हैं.

चंद्रशेखर का जीवन समाजवादी राजनीति में खपा. जनता पार्टी और उसकी सरकार के बिखरने के बाद भी उन्होंने सत्ता से तालमेल बनाने का प्रयास नहीं किया, जबकि उनके पास इसके बहुत से मौके थे. सभी पार्टियों के नेताओं से उनके मित्रवत संबंध रहे, लेकिन सिद्धांतों के आधार पर उन्होंने राजनीतिक समझौतों से परहेज रखा. उन्होंने कांग्रेस छोड़ी. समाजवादियों से जुड़े. जयप्रकाश नारायण के निकट रहे. जनता पार्टी के अध्यक्ष बने. ढाई साल में जनता पार्टी बिखर गई. चंद्रशेखर ने जनता पार्टी नहीं छोड़ी. चार-पांच पार्टियों के अलग होने के बाद जो जनता पार्टी बची, वह उसके अध्यक्ष बने रहे.

चंद्रशेखर ने कन्याकुमारी से दिल्ली तक ऐतिहासिक भारत यात्रा की. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को जो छप्परफाड़ बहुमत मिला था, उस चुनाव में वह बलिया से चुनाव हार गए. तब वह राजनीतिक गतिविधियों से अलग होकर सामाजिक गतिविधियों से जुड़ गए. उन्होंने भारत यात्रा ट्रस्ट बनाकर भारत यात्रा केंद्रों की स्थापना की. जलसंरक्षण, पर्यावरण, शिक्षा का प्रचार प्रसार, महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर उन्होंने कार्यक्रम बनाकर गैर राजनीतिक लोगों को जोड़ने का काम शुरू किया.

यह भी पढ़ें: लोकसभा में बीजेपी के बहुमत से राज्यसभा में भगदड़ का माहौल

जब चंद्रशेखर यह सब कर रहे थे, तब नीरज शेखर किशोरावस्था में थे. पदयात्रा के दौरान वह नेकर पहनते थे. चंद्रशेखर राजनीति के मिजाज को अच्छी तरह भांप चुके थे, इसलिए उन्होंने अपने परिवार को राजनीति से एकदम अलग रखा. उन्होंने जो भारत यात्रा ट्रस्ट बनाया, वह भी उन लोगों को सौंपा, जो वास्तव में पदयात्रा में शामिल थे और बाद में भारत यात्रा ट्रस्ट से जुड़े थे. माधवजी, बाई वैद्य, इंदुभाई पटेल, सुधीन्द्र भदोरिया और अन्य. इस ट्रस्ट में उनके परिवार के किसी व्यक्ति का नाम नहीं था. फिलहाल ट्रस्ट का संचालन सुधीन्द्र भदोरिया कर रहे हैं. चंद्रशेखर के पुत्र पंकज और नीरज, उनके भाई कृपाशंकर, दो भतीजे सहित परिवार से जुड़ा कोई भी व्यक्ति भारत यात्रा और उसके बाद शुरू हुए कार्यक्रमों में शामिल नहीं था.

चंद्रशेखर की संत जैसी जीवन शैली और उनकी सैद्धांतिक प्रतिबद्धता के कारण देश की राजनीति में उनका कद इतना ऊंचा हो गया था कि संसदीय राजनीति में एक बार जब नेतृत्वहीनता के कारण संकट की स्थिति बनी, तब उन्हें कई लोगों ने मिलकर प्रधानमंत्री पद संभालने के लिए मनाया. उन्होंने जनता दल से अलग होकर अपनी अलग समाजवादी जनता पार्टी बनाई और सिर्फ 49 सांसदों के दम पर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई. उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका राजीव गांधी के समर्थन से मिला था.

लेकिन चंद्रशेखर अपने स्वभाव के वशीभूत थे. कांग्रेसियों ने चिमटी काटने की आदत दिखाई. चार महीने के बाद एक दिन संसद चल रही थी और कांग्रेस सदस्य अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे. आरोप लगा कि हरियाणा के पुलिसकर्मी राजीव गांधी की जासूसी कर रहे हैं. चंद्रशेखर बेसिरपैर की बातों से परेशान होकर कुर्सी से उठे और इस्तीफा देने के लिए राष्ट्रपति भवन रवाना हो गए. जिस तरह उन्होंने प्रधानमंत्री पद संभाला था, सबको भौचक्का करते हुए उसी तरह छोड़ भी दिया. अगर उनमें सत्ता में बने रहने का लालच होता तो उन्हें इस्तीफा देने की जरूरत नहीं थी. सभी जानते हैं प्रधानमंत्री पद की ताकत क्या होती है.

चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को समाजवादी राजनीति में अपने पिता के योगदान का पुरस्कार मिला है, जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी ने उन्हें संसद में भेज दिया. समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल एस, बीजू जनता दल आदि पार्टियों के कई नेता चंद्रशेखर को पिता तुल्य मानते हैं. चंद्रशेखर के राजनीतिक चरित्र पर कोई दाग धब्बा नहीं है. चंद्रशेखर का जुड़ाव कभी भी भारतीय जनता पार्टी और संघ की विचारधारा से नहीं रहा.

उनके पुत्र नीरज शेखर को यह चिंता थी कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की समाजवादी पार्टी के कोटे की सारी सीटें साल भर बाद भाजपा को मिलने वाली हैं. उसके बाद वह सांसद नहीं रहने वाले थे. उन्हें यही चिंता हुई कि बाकी जीवन कैसे कटेगा? जो बंगला मिला है, उससे अलग वंचित हो जाएंगे. इसलिए वह राजनीतिक दावपेच के माध्यम से अब भाजपा में शामिल होने के बाद राज्यसभा में बने रहने का जुगाड़ कर चुके हैं. चंद्रशेखर की राजनीति अलग थी. नीरज शेखर की अलग है. नीरज शेखर को यह नहीं भूलना चाहिए कि भाजपा भी चंद्रशेखर के नाम से ही उन्हें राज्यसभा में ला रही है.

अध्यक्ष चयन प्रकिया से सोनिया-राहुल हुए अलग, पांच पैनल के नेता तय करेंगे नया अध्यक्ष

कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अपने आप को अलग करते हुए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक छोड़ दी है. सोनिया गांधी ने बताया कि कांग्रेस अध्‍यक्ष चुनने को लेकर मैं और राहुल परामर्श प्रक्रिया का हिस्‍सा नहीं हैं इसलिए हम इससे बाहर हैं. बैठक में पांच समूह बनाए गए हैं, जो अलग अलग क्षेत्रों के नेताओं से उनकी राय जानेंगे. फिलहाल कांग्रेस कार्य समिति की बैठक खत्म हो गई है. रात 8 बजे एक बार फिर कांग्रेस कार्य समिति की बैठक होगी. जानकारी यह भी मिल रही है कि अगर आज बात नतीजे तक नहीं पहुंची तो कल फिर सीडब्ल्यूसी की बैठक हो सकती है.

कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया को लेकर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि मैं या राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया में नहीं हैं. ग्रुप में नाम होने पर उन्होंने कहा कि हमारा नाम गलती से शामिल किया गया. सीडब्ल्यूसी की बैठक से राहुल गांधी और सोनिया गांधी निकल चुके हैं. सीडब्ल्यूसी के अन्य सदस्य कांग्रेस मुख्यालय में मौजूद हैं. ये नेता कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर सभी वर्गों से बातचीत करेंगे. सभी की राय लेने के बाद आज रात 8 बजे फिर से सीडब्ल्यूसी की बैठक होगी. बैठक में कांग्रेस अपना नया अध्यक्ष चुन लेगी या राहुल गांधी के उत्तराधिकारी की तलाश अभी लंबी खिंचेगी इसकी तस्वीर जल्द साफ होती नजर नहीं आ रही है.

सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और सांसदों की बैठक में तमाम नेताओं ने राहुल गांधी को साफ संकेत दे दिया कि उन्हें थोपा गया अध्यक्ष मंजूर नहीं होगा. इसलिए अब ऐसा माना जा रहा है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में नए अध्यक्ष के चयन के लिए किसी पैनल अथवा व्यवस्था के आधार पर निर्णय लिया जाएगा.

रणदीप सुरजेवाला के अनुसार आज शाम दुबारा होने वाली कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक से पहले बनाये गए पांचों पैनल के नेता हर राज्‍य के पार्टी प्रमुखों के साथ अगले कांग्रेस अध्‍यक्ष के नाम पर मंथन करेंगे. इस तरह से अगले कांग्रेस अध्‍यक्ष का नाम तय किया जाएगा. इसके बाद इन पांचों पैनल के नेताओं की रिपोर्ट के आधार पर तय हुए नाम को शाम को होने वाली बैठक में रखा जाएगा. गौरतलब है कि नए अध्यक्ष को चुनने के लिए इससे पहले भी कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई.

यह भी पढ़ें: कांग्रेस को अध्यक्ष की तत्काल आवश्यकता क्यों, क्या होनी चाहिए जरूरी योग्यताएं?

पार्टी सूत्रों का कहना है कि खड़गे समेत कई दलित समुदाय के नेता अध्‍यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं. नए अध्यक्ष को लेकर मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, सुशील कुमार शिंदे समेत कई वरिष्ठ नेताओं के नामों की चर्चा है. सूत्र यह भी बताते हैं कि मुकुल वासनिक का नाम सबसे आगे है. देखा जाए तो कांग्रेस के सबसे संकटपूर्ण दौर में फिलहाल गांधी परिवार का नेतृत्व होते हुए भी जब पार्टी नेता खुलेआम पार्टी लाइन से असहमति जता रहे हैं. ऐसे में गांधी परिवार से बाहर के नए नेतृत्व के लिए भविष्य की चुनौती कितनी गंभीर होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.

बता दें, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले शुक्रवार को हुई कांग्रेस नेताओं की बैठक अनुच्छेद 370 के मसले पर आमराय बनाने के लिए बुलाई गई थी लेकिन इसमें नए अध्यक्ष को लेकर तमाम प्रदेशों के नेताओं ने अपने इरादे साफ कर दिए. इन नेताओं का कहना था कि पार्टी का एक वर्ग नए अध्यक्ष के लिए कुछ ऐसे नामों को आगे बढ़ा रहा है जो पार्टी का नेतृत्व करने में उतने सक्षम नहीं हैं. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने तो साफ कहा कि कुछ स्वार्थी लोग राहुल गांधी की कुर्बानी पर पानी फेरने की कोशिश में प्रायोजित नामों को उछाल रहे हैं.

उल्‍लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उस समय उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए कांग्रेस कार्यकारिणी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था. हालांकि, राहुल गांधी अपने रुख पर अड़े रहे. उन्‍होंने साफ कर दिया था कि न तो वह और ना ही गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा. अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए राहुल ने यह भी कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रहते हुए भी वह पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहेंगे.

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक शुरू, अगले अध्यक्ष पर होगा विचार

करीब दो दशकों के बाद अब करीब-करीब यह तय होने वाला है कि कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति बनेगा. राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद करीब दो महीने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है. शनिवार को हो रही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में यह असमंजस की स्थिति समाप्त होने के आसार हैं.

गौरतलब है कि 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद 25 मई को राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने उनसे अनुरोध किया था कि अध्यक्ष पद छोड़ने की जरूरत नहीं है. लेकिन राहुल गांधी ने जुलाई के पहले हफ्ते में फिर कहा कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लेने का विचार नहीं कर रहे हैं. इसके बाद से नए कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर अटकलों का दौर चल रहा है.

इस दौरान अंतरिम अध्यक्ष के लिए कई नाम सामने आए, जिनमें अशोक गहलोत, कैप्टन अमरिंदर सिंह, कमलनाथ, सचिन पायलट, सुशील कुमार शिंदे सहित कई नेता शामिल हें, लेकिन इनमें से ज्यादातर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में रुचि नहीं रखते हैं. इन सब नेताओं के मैदान से हटने के बाद अब मुकुल वासनिक का नाम चल रहा है.

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले शुक्रवार को सोनिया गांधी के निवास पर वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई थी. इसमें अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल सहित कांग्रेस के केंद्रीय और राज्यों के पदाधिकारी शामिल थे. इसमें जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जे को समाप्त करने और राज्य के विभाजन के फैसले पर विचार किया गया. इस मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं में एकराय नहीं है.

शनिवार को हो रही बैठक में राहुल गांधी के इस्तीफे पर विचार किया जाएगा. कांग्रेस कार्यसमिति उन्हें पार्टी अध्यक्ष के रूप में किए गए कार्यों के लिए धन्यवाद देगी और नए कांग्रेस अध्यक्ष के बारे में विचार किया जाएगा. राहुल गांधी इस्तीफा देने के बाद पार्टी के किसी नेता से मिलने से इनकार कर दिया है, इसलिए वरिष्ठ नेता सलाह लेने के लिए सोनिया गांधी से मिल रहे हैं.

समझा जाता है कि कांग्रेस कार्यसमिति राहुल गांधी का इस्तीफा मंजूर करने के साथ ही अंतरिम अध्यक्ष का चुनाव करेगी और दिसंबर तक पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पार्टी के संगठन के चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दे सकती है. राहुल गांधी के हटने के बाद कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर अब तक सर्वसम्मति नहीं बन पाई है.

पार्टी सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी के सामने कई पार्टी नेताओं ने अशोक गहलोत को या मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बनाने की सलाह दी है. हालांकि सोनिया गांधी ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी युवा नेता को अध्यक्ष अध्यक्ष बनाने की पैरवी कर रहे हैं. मुंबई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने कहा है कि राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट या युवा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए.

आज जम्मू-कश्मीर लिया है, कल बलूचिस्तान और पीओके लेंगे: शिवसेना

शिवसेना के नेता संजय राउत ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा है कि भगवा संगठन पाकिस्तान के क्षेत्र में प्रवेश कर गया है और भारतीय सेना भी वहां पहुंचेगी. आज जम्मू-कश्मीर लिया है, कल बलूचिस्तान, पीओके लेंगे. मुझे विश्वास है देश के प्रधानमंत्री अखंड हिंदुस्तान का सपना पूरा करेंगे. राउत ने अपना बयान उस संदर्भ में दिया है जिसमें इस्लामाबाद के कई हिस्से में भारत समर्थक बैनर लगाने की खबरें वायरल हुईं थी. संजय राउत ने अपना यह बयान शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय कॉलम में दिया.

अपने संपादकीय कॉलम में शिवसेना नेता ने इस्लामाबाद की प्रतिक्रिया को महत्वहीन करार देते हुए कहा है कि पाकिस्तान और क्या कर सकता है?. भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करने के लिए पाकिस्तान को धन्यवाद देते हुए राउट ने कहा कि अब इस्लामाबाद को स्वीकार कर लेना चाहिए कि कश्मीर मुद्दा उसके लिए बंद अध्याय है और उनके पास अब केवल पीओके है, जिसका भी समाधान जल्दी ही हो जाएगा.

संजय राउत ने अपने लेख के माध्यम से पाकिस्तान के भारत के साथ संबंधों को कमतर करने पर भी निशाना साधा. उन्होंने लिखा कि दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में कमी लाने से भारत की तुलना में पाकिस्तान को अधिक नुकसान होगा. राउत ने नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान उच्चायोग को भी बंद करने की गुजारिश करते हुए कहा कि शिवसेना कई वर्षों से मांग करती रही है कि उसे बंद किया जाए क्योंकि कश्मीरी अलगाववादियों को वहां से वित्त पोषण होता है. कश्मीरी आतंकवादी भारत विरोधी षड्यंत्रों के लिए पाकिस्तान उच्चायोग आते हैं. अगर पाकिस्तान ने नयी दिल्ली में अपना उच्चायोग बंद नहीं किया होता तो उसके उच्चायुक्त को दिल्ली से भागना पड़ता क्योंकि देश में पाकिस्तान के लिए काफी गुस्सा है.

बता दें, मोदी सरकार ने संसद में एक विधेयक पास करा जम्मू कश्मीर से धारा 370 और धारा 35ए को हटा दिया. इससे जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा प्राप्त राज्य का दर्जा छिन गया. वहीं राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया. भारत सरकार के इस फैसले के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. पाकिस्तान ने सीधे शब्दों में भारत को चेतावनी दी है. वहीं समझौता एक्सप्रेस और थार एक्सप्रेस ट्रेन को बंद कर दिया. भारतीय फिल्मों के पाकिस्तान में दिखाये जाने पर भी बैन लगा दिया. साथ ही भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को वापिस हिंदुस्तान भेज दिया गया है.

बौखलाये पाकिस्तान ने समझौता और थार एक्सप्रेस के बाद अब दिल्ली-लाहौर बस सेवा भी रोकी

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat