पॉलिटॉक्स ब्यूरो. लगता है भाजपा के दिन मान इन दिनों ठीक नहीं चल रहे. पहले हरियाणा में टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी से नाराज होकर कई नेताओं ने निर्दलीय विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी और उनमें से 5 विधायक जीतकर सदन पहुंच गए. वहां जेजेपी के समर्थन से जैसे-तैसे अधरझूल सरकार बन गई. उसके बाद महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच कैसे नाटक हुए, ये सभी को पता है. अब झारखंड में भी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी होती नजर आ रही है. यहां भी बीजेपी के सहयोगी दल (BJP Alliance) उनके जी का जंजाल बने हुए हैं.
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भाजपा के हालिया प्रदर्शन को देखते हुए झारखंड में उनकी 20 साल से सहयोगी पार्टी (BJP Alliance) ऑल झारखंउ स्टूडेंट यूनियन (AJSU) यानि आजसू ने आंखे दिखाते हुए अपने 12 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी. गौर करने वाली बात ये है कि आजसू ने उन तीन सीटों पर भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं जिनपर भाजपा पहले ही उम्मीदवार उतार चुकी है. हालांकि भाजपा आजसू को 9 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है लेकिन बीजेपी से तालमेल की परवाह न करते हुए आजसू प्रदेशाध्यक्ष सुदेश महतो ने पहले ही 12 उम्मीदवार उतार दिए हैं. भाजपा के झारखंड ईकाई के अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ की सीट पर भी आजसू ने उम्मीदवार खड़ा किया है. अगर गठबंधन नहीं बनता है तो 15 से 20 प्रत्याशी और उतारे जा सकते हैं.
इसी तरह भाजपा की दूसरी सहयोगी (BJP Alliance) पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने भी गठजोड़ खत्म कर 81 में से 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर ली है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि भाजपा उनके और पार्टी के साथ बुरा बरताव कर रही है. चिराग ने भाजपा से 6 सीटों की मांग की थी और सूची बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और झारखंड के मुख्यंत्री रघुबीर दास के पास भेजी थी लेकिन पार्टी पिछली बार की तरह लोजपा को केवल एक सीट देना चाहती है जहां पर भी पार्टी का आधार नहीं है. इसे लेकर चिराग ने नाराजगी लाहिर करते हुए प्रदेश की 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. बता दें, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष रामविलास पासवान अभी मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एनडीए से अलग उम्मीदवार झारखंड में उतारने की तैयारी कर ली है.
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गौरतलब है कि इस बार झारखंड में टिकट वितरण मुख्यमंत्री रघुबीर दास के हिसाब से हो रहा है. यही वजह है कि कई वर्तमान मंत्रियों और विधायकों के टिकट कट गयी हैं. कुछ सीएम से विवाद और कुछ आजसू के साथ तालमेल के अभाव में अटकी पड़ी हैं. मुख्यमंत्री के किसी भी संभावित दावेदार को अभी तक टिकट नहीं मिली और न ही उन्हें मिली जिन्हें लोकसभा में टिकट से महरूम रखा गया था. रघुबर दास के बाद झारखंड में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे वर्तमान विधानसभा स्पीकर दिनेश उरांव और सरकार में नंबर दो मंत्री नीलकंठ मुंडा की टिकट भी रूकी हुई है. इनमें से लोकसभा का चुनाव हार चुके भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ को टिकट मिलना एक अपवाद कहा जा सकता है. वैसे ये केवल मुख्यमंत्री दास से करीबी होने का इनाम माना जा रहा है.