बेनीवाल ने लोकसभा में खोला अंबुजा सीमेंट के खिलाफ मोर्चा, नहरों में प्रदूषित पानी का उठाया मुद्दा

लोकसभा में जमकर गरजे बेनीवाल, अम्बुजा प्लांट की पर्यावरण अनापत्ति रद्द करने की उठाई मांग, सांभर झील, हिमालय के संरक्षण, रामगढ़ बांध के कैचमेंट में अतिक्रमण, पंजाब से नहरों में आने वाले दूषित पानी से होने वाले कैंसर सहित कई मुद्दों को उठाया, बेनीवाल बोले- 'विकास कार्यों में नहीं हो पर्यावरण से समझौता' बेनीवाल ने शुक्रवार को लोकसभा में जलवायु परिवर्तन पर नियम 193 पर हुई चर्चा में लिया भाग

लोकसभा में जमकर गरजे बेनीवाल
लोकसभा में जमकर गरजे बेनीवाल

Politalks.News/Rajasthan. लोकसभा (Lok Sabha) में आज RLP संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) जमकर बरसे. बेनीवाल ने मूंडवा में अम्बुजा सीमेंट (Ambuja Cement) प्लांट की पर्यावरण अनापत्ति रद्द करने और सांभर झील के संरक्षण, रामगढ़ बांध के संरक्षण, हिमालय के संरक्षण और नहरों में आने वाले दूषित पानी से होने वाले कैसर सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. सांसद बेनीवाल ने लोकसभा में जलवायु परिवर्तन पर नियम 193 पर हुई चर्चा में भाग लिया और जलवायु परिवर्तन से जुड़े कई मुद्दों को उठाते हुए प्रकृति-प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण की मांग उठाई. बेनीवाल ने कहा कि, ‘अंबुजा सीमेंट कंपनी सरकार से बड़ी नहीं है. अगर सरकार अनापत्ति रद्द करती है तो बड़ा मैसेज जाएगा. अगर कार्रवाई नहीं की जाएगी तो लोकसभा में भाषण देने से टाइम ही खराब होगा, पर्यावरण संरक्षण नहीं होगा’.

विकास परियोजनाओं में पर्यावरण से नहीं होना चाहिए समझौता – बेनीवाल
लोकसभा में नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने नदियों में बढ़ते प्रदूषण और उनके अस्तित्व पर आ रहे संकट पर बोलते हुए पहाड़ों के संरक्षण का मुद्दा उठाया और उदाहरण देते हुए कहा कि, ‘उत्तराखंड में आपदाओं के बाद हमेशा ही नदियों पर बने बड़े बांधों और पॉवर प्रोजेक्ट्स पर उंगली उठती रही है. सुप्रीम कोर्ट तक इस पर चिंता जता चुका है, यहां तक कि केंद्र सरकार का अपना जल संसाधन मंत्रालय 2016 में सुप्रीम कोर्ट के सामने मान चुका है कि उत्तराखंड में गंगा पर कोई भी नया पॉवर प्रोजेक्ट पर्यावरण के लिए खतरा है’. बेनीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, ‘सुप्रीम कोर्ट ने 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद उत्तराखंड राज्य के 39 में से 24 पॉवर प्रोजेक्ट्स पर रोक लगा दी थी, सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर, 2014 को इस मामले में पूछा था कि अगर इन पॉवर प्रोजेक्ट्स से वन और पर्यावरण को खतरा है, तो इन्हें रद्द क्यों नहीं किया जा रहा? उन अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती, जिन्होंने इन्हें मंजूरी दी? विकास योजनाओं में पर्यावरण से समझौता नहीं होना चाहिए, हिमालय को बचाने के लिए पहाड़ों को बचाने के लिए गंभीर होना पड़ेगा’.

यह भी पढ़ें- झूठ बोल बुरे फंसे संबित पात्रा, दिग्गी ने की 2 लाख के इनाम की घोषणा तो बोले BV- वाजपेयी जी हम शर्मिंदा हैं

‘रामगढ़ बांध के कैचमेंट में नेताओं ने किया अतिक्रमण’
कभी जयपुर की लाइफ लाइन रहे रामगढ़ बांध की दुर्दशा पर सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘राजस्थान के जयपुर में स्थित रामगढ़ बांध का अस्तित्व संकट में है, रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में नेताओं और अधिकारियों के संरक्षण में कई लोगों ने अतिक्रमण कर लिए जिसे हटाने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे, क्योंकि उच्च न्यायालय के आदेश और कोर्ट के आदेशों की अवमानना से जुड़ी याचिकाओं के बाद भी वहां से अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा है’. सांसद बेनीवाल ने वन क्षेत्र के संरक्षण का मुद्दा उठाते हुए जोधपुर के बेरीगंगा के संरक्षित वन क्षेत्र में खनन की अनुमति के लिए आई 200 से अधिक पत्रावलियों की मंजूरी नहीं देने की मांग की.

‘पंजाब से कांग्रेस के नेताओं की शराब की फैक्ट्रियों का अपशिष्ट बहकर आ रहा नहरों में’
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने पहाड़ों के संरक्षण और हिमालय को बचाने की मांग उठाई. सांसद बेनीवाल ने पंजाब की तरफ से राजस्थान में आने वाली नहरों में गंदे पानी को रोकने की मांग की. बेनीवाल ने पंजाब के लुधियाना में कांग्रेस के नेताओं की शराब की फैक्ट्रियों से राजस्थान की नहरों में आने वाले गंदे पानी से नहरों में होने वाले प्रदूषण की तरफ भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया. सांसद बेनीवाल ने कहा कि, ‘नहरों के पानी से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो रही है’. बेनीवाल ने 26 हजार टन कोविड के कचरे से महासागरों में फैले प्रदूषण की तरफ भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया.

यह भी पढ़ें- विपक्ष व अपनों के निशाने पर सरकार, CM के आयोजन में प्रदर्शन होने पर DJ बजाने का आदेश हुआ वापस

‘अंबुजा सीमेंट ने झूठे तथ्यों के आधार पर ली पर्यावरण अनापत्ति’
नागौर सांसद बेनीवाल ने मूंडवा में अंबुजा सीमेंट प्लांट प्रबंधन और प्रशासन पर मिलीभगत का गंभीर आरोप लगाया. अंबुजा सीमेंट प्लांट इकाई द्वारा झूठे तथ्यों के आधार पर ली गई पर्यावरण अनापत्ति के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया. बेनीवाल ने नगरपालिका सीमा से निर्माण इकाई की स्थिति , जल की उपलब्धता, जैव विविधता ,लैंड यूज एवम् लैंड कवर तथा कृषि पर होने वाले हानिकारक प्रभाव के आंकलन में कई विसंगतिया पाई गई और एक एक बिंदु से पूरे तथ्यों के साथ पूर्व मंत्री जावड़ेकर को अवगत करवाया.

‘अंबुजा सीमेंट कंपनी नहीं है सरकार से बड़ी, कार्रवाई होगी तभी जाएगा मैसेज’
नागौर सांसद ने कहा कि, ‘उन्होने जांच के आदेश तो दिए, लेकिन जिन्होने जांच की उन्होने उस सीमेंट इकाई का निर्माण पूरा होने तक ढिलाई की. जांच रिपोर्ट कंपनी के पक्ष में रख दी, उन्होने मामले में पुनः जांच करवाने की मांग रखी. बेनीवाल ने कहा कि, ‘सीमेंट कंपनी चाहे कितनी बड़ी हो सरकार से बड़ी नहीं हैं. नियमों से बड़ी नहीं है और इस अंबुजा के साथ हम यदि ऐसी सीमेंट इकाइयों की पर्यावरण अनापत्ति रद्द करेंगे तब एक संदेश जाएगा. अन्यथा यहां भाषण देकर केवल समय व्यतीत करने से पर्यावरण संरक्षण नहीं हो पाएगा’. बेनीवाल ने राजस्थान में स्थित विश्व प्रसिद्ध साम्भर झील के संरक्षण की मांग उठाते हुए उक्त झील सहित राजस्थान में प्रवासी पक्षियों की हो रही मौतों की तरफ भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया. सांभर झील से अतिक्रमण हटाने की मांग की तथा वन्य जीवों के संरक्षण की मांग उठाई.

Leave a Reply