Politalks.News/Punjab-Uttarpradesh. पंजाब की जेल में बंद मऊ से बाहुबली विधायक मुख्तयार अंसारी ने जेल में रहते हुए भी दो राज्य की सरकारों के बीच टकराव पैदा कर दिया है. यह राज्य हैं पंजाब और उत्तर प्रदेश. यूपी में सीएम योगी का शासन है तो पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार है. योगी सरकार इस माफिया डॉन को अपने प्रदेश में लाना चाहती है जबकि पंजाब सरकार इसे सौंपने से इंकार कर रही है. मुख्यमंत्री योगी ने इस बाहुबली को पंजाब की जेल से लाने के लिए कई बार यूपी पुलिस को वहां भेजा, लेकिन हर बार पंजाब सरकार ने योगी की पुलिस को बैरंग वापस लौटा दिया था. इसी को लेकर पंजाब और यूपी सरकारों के बीच टकराव बना हुआ है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है और गुरुवार को हुई दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट नव फैसला सुरक्षित रख लिया है.
आखिर क्या है पूरा माजरा इसके लिए आइए आपको लिए चलते हैं उत्तर प्रदेश के जनपद मऊ में और बात करते हैं मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी की. प्रदेश में सपा और बसपा की सरकारों में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती रही है. लेकिन वर्ष 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में आई योगी सरकार के बाद अंसारी की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी. योगी सरकार ने मुख्तार अंसारी की गुनाहों की फाइल खोल दी. योगी के खौफ के चलते अंसारी नाटकीय रूप से पंजाब की जेल में जाकर बंद हो गया था. तभी से वह पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है.
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पंजाब सरकार के मुख्तार अंसारी को यूपी की जेल में न भेजने पर पिछले दिनों यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बता दें कि विधायक अंसारी को यूपी जेल में ट्रांसफर करने को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि योगी सरकार को उन्हें पंजाब से उत्तर प्रदेश जेल में ट्रांसफर करने की मांग करने का कोई ‘मौलिक अधिकार’ नहीं है. आइए अब जानते हैं आज सुप्रीम कोर्ट में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को यूपी की जेल में शिफ्ट को लेकर पंजाब और यूपी सरकार के वकीलों ने क्या-क्या दलीलें दीं.
अंसारी की शिफ्टिंग को लेकर दोनों सरकारों के वकीलों में खूब हुई जिरह
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि मुख्तार अंसारी को लेकर जो बातें पंजाब सरकार को लेकर यूपी सरकार ने कही हैं वो निराधार हैं. दुष्यंत ने कहा कि मुख्तार अंसारी पंजाब सरकार के लिए भी अपराधी है, लेकिन यूपी सरकार इस मामले में पंजाब सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है. डॉक्टर की जो रिपोर्ट है, हमने उस पर बात की है उत्तर प्रदेश सरकार के आरोप निराधार हैं. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जेल नियमों का हवाला दिया और कहा कि भले ही राज्य के पास मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन वह मुद्दे और पीड़ितों के अधिकारों का समर्थन कर सकता है और पीड़ित की भूमिका ले सकता है.
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तुषार मेहता ने कहा कि यह कहना कि राज्य के पास मूलभूत अधिकार नहीं हैं, गलत है क्योंकि राज्य हमेशा पीड़ित और समाज की भूमिका का निर्वहन कर सकता है. मेहता ने कहा कि अंसारी ने जेल नियमों का उल्लंघन किया और पीड़ितों के अधिकार और राज्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई बाधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. वहीं मुख्तार अंसारी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोई राज्य अनुच्छेद-32 के तहत दूसरे राज्य के खिलाफ नहीं आ सकता. रोहतगी ने कहा कि मौलिक अधिकार नागरिक का होता है, राज्य का नहीं. वकील रोहतगी ने कहा कि यूपी सरकार पंजाब में चल रहा मुकदमा अपने पास ट्रांसफर करने की मांग भी नहीं कर सकती. पंजाब में जो केस हैं, वह पंजाब सरकार और मेरे बीच का मामला है. यूपी का इसमें कोई रोल नहीं हो सकता. रोहतगी ने आगे कहा कि अंसारी ने कहा है कि यूपी में उसकी जान को खतरा है. सुनवाई के दौरान वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
लगातार मऊ विधानसभा से पांच बार विधायक चुना गया बाहुबली अंसारी
मुख्तार का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में हुआ था. अंसारी के दादा इंडिन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे तो पिता कम्युनिस्ट नेता थे. अंसारी ने छात्र जीवन से ही दबंगई शुरू कर दी थी. 1988 में मुख्तार का नाम पहली बार हत्या के एक मामले से जुड़ा. हालांकि सबूतों के अभाव में वह बच निकला था. इसके बाद 90 के दशक आते-आते वह जमीन के कारोबार और ठेकों की वजह से पूर्वांचल में अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व कायम कर चुका था. 1996 में मुख्तार ने पहली बार राजनीति में कदम रखा और मऊ सीट से विधानसभा का चुनाव जीता. इसके बाद पूर्वांचल में मुख्तार का दबदबा बढ़ता गया.
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बाहुबली मुख्तार अंसारी मऊ से 5 बार लगातार विधायक चुना गया. यही नहीं यूपी में सपा और बसपा की सरकारों में अंसारी को संरक्षण भी मिलता रहा. यूपी में उसे बाहुबली नेता के रूप में जाना जाता है. उसकी दबंगई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह जेल में रहते हुए भी चुनाव जीतता रहा है. 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से भी अंसारी का नाम जुड़ा था. अंसारी ने पूर्वांचल ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों के साथ पंजाब दिल्ली तक अपना आतंक नेटवर्क फैला रखा है. अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, रंगदारी के लिए धमकी, दंगा भड़काने, धोखाधड़ी करने, सरकारी व निजी संपत्तियों पर कब्जा करने, गैंगस्टर, अवैध वसूली, मकोका, एनएसए, आदि गंभीर आरोपों में मुकदमे कायम किए गए हैं. तीन राज्यों के 10 जनपदों के 21 थानों में 46 मुकदमेे दर्ज हैं.
बहरहाल गाजीपुर में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या, मऊ में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह दोहरा हत्याकांड, मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य और उनके अंगरक्षक सिपाही सतीश के दोहरे हत्याकांड मामलों में अभी उसके विरुद्ध सुनवाई जारी है. अक्टूबर 2005 में मऊ में भड़की हिंसा के बाद मुख्तार ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था, तभी से वो यूपी की जेल में बंद था. लेकिन वर्ष 2017 मेंं प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद मुख्तार अंसारी अपनी जान बचाने के लिए एक उद्योगपति को धमकी देने के मामले में पंजाब की जेल में बंद हो गया था. मुख्तार के दो बेटे हैं और भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं.