पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. प्रदेश युवा कांग्रेस के चुनाव के बाद पिछले काफी दिनों से लंबित प्रदेशाध्यक्ष की अधिकारिक घोषणा भारतीय युवा कांग्रेस ने मंगलवार को कर दी है. फरवरी में हुए मतदान के दौरान गडबडी की शिकायतों के बाद चुनाव के परिणामों को रोका गया था. आज घोषित हुए नतीजों में बडा चौंकाने वाला फेरबदल सामने आया और मुकेश भाकर की अधिकारिक जीत की घोषणा के बाद एक फिर से पॉलिटॉक्स की खबर पर मुहर लगी. पॉलिटॉक्स ने अपनी खबर के माध्यम से मतदान के ठीक बाद यानि 23 फरवरी को ही बता दिया था बडे अंतर से मुकेश भाकर की जीत पक्की.
युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा आज प्रदेशाध्यक्ष पद के नतीजे घोषित किए गये. घोषित नतीजों के अनुसार मुकेश भाकर को सर्वाधिक 34945 वोट मिले. दूसरे नंबर पर अमरदीन फकीर को 25073 वोट मिले. वहीं पूर्व में घोषित विजेता सुमित भगासरा तीसरे नंबर पर रहे भगासरा को 23464 वोट मिले. राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा की गई अधिकारिक घोषणा के बाद मुकेश भाकर युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष निर्वाचित हो गए है वहीं अमरदीन फकीर उपाध्यक्ष, तो सुमित भगासरा को अभी होल्ड पर रखा गया है. इससे पहले प्रदेश महासचिव, सचिव और जिला कार्यकारिणी के परिणामों की घोषणा 29 मार्च को कर दी गई थी.
बता दें, प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए मुकेश भाकर की शुरू से ही जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन मतदान के दौरान हुई धांधली के चलते मुकेश भाकर का नाम 3 मार्च को जारी हुए आॅनलाइन परिणामों में दूसरे नंबर पर आया और पहले नंबर पर सुमित भगासरा का नाम घोषित हुआ. लेकिन आज हुई अधिकारिक घोषणा के बाद स्थिती साफ हो गई है और मुकेश भाकर प्रदेशाध्यक्ष निर्वाचित हो गए है.
मुकेश भाकर युवा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए वैसे तो पिछले सात साल से तैयारी कर रहे थे, लेकिन लाडनूं विधायक बनने के बाद से युवा कांग्रेस के सदस्यों के बीच बेहद एक्टिव रहे. साथ ही भाकर ने इस दौरान प्रदेश के लगभग सभी जिलों में दौरा कर युवाओं के बीच अपने आप को बनाये रखा इसका फायदा भी इन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनने में मिला. भाकर ने चुनाव प्रचार में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. प्रचार के सभी माध्यम सोशल मीडिया, होर्डिंग्स, कॉलिंग, वॉल पोस्टर, बल्क एसएमएस सभी माध्यमों से भाकर ने पूरी तरह प्रचार प्रसार भी किया. जिसका फायदा भी भी यहां भाकर को मिला और भाकर प्रदेशाध्यक्ष बने.
मुकेश भाकर वर्तमान में नागौर जिले के लाडनूं विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी हैं. छात्र राजनीति के समय से युवाओं में पकड रखने वाले भाकर 2013 से 2015 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वहीं 2015 से 2016 तक एनएसयूआई में राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं. सात साल पहले हुए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में भी भाकर बहुत एक्टिव थे और अशोक चांदना के चुनाव में अहम भूमिका भाकर ने निभाई थी और इसी अनुभव का फायदा मुकेश भाकर को अपने चुनाव में हुआ.
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दरअसल, राजस्थान में युवा कांग्रेस के फरवरी महीने में चुनाव हुए थे. इस चुनाव के लिए 22 और 23 फरवरी को प्रदेशाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, जिला अध्यक्ष, जिला महासचिव और विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष पद के लिए ऑनलाइन मतदान हुआ था. चुनाव के नतीजे 3 मार्च को आॅनलाइन जारी होने के बाद इसकी आधिकारिक घोषणा 9 मार्च को होनी थी. लेकिन मतदान के दौरान गडबडी की शिकायतें युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी तक पहुंची जिसके चलते परिणामों की आधिकारिक घोषणा पर रोक लगा दी गई थी. इसके बाद 29 मार्च को प्रदेशाध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी की घोषणा के बाद मंगलवार को प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा की गई.
याद दिला दें, 3 मार्च को जारी हुए वोटिंग के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा वोट प्रदेशाध्यक्ष पद पर सुमित भगासरा को मिले थे. जिसके बाद उन्हें जीता हुआ प्रत्याशी मान लिया गया था. वोटिंग के आधार पर आंकड़े जारी होने के बाद चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव लड़े विधायक मुकेश भाकर, सत्यवीर अलोरिया, रोमा जैन और राकेश मीणा ने दिल्ली में यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय चुनाव कार्यालय में शिकायत की और विरोध प्रदर्शन भी किया. इन प्रत्याशियों ने आरोप था कि इनके खुद के वोट भी प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के खाते में चले गए और बिना गड़बड़ी किए यह संभव नहीं है. जिसके कारण चुनाव के परिणामों की आधिकारिक घोषणा पर रोक लगा दी गई थी.