गोरखपुर की सियासत की बात हो और चर्चा के केंद्र में ‘मठ’ न हो, ऐसा होना मुनासिब नहीं. गोरखपुर की तो सियासत ही मठ के इर्द-गिर्द घूमती है. चाहे समय हो महंत दिग्विजयनाथ का या फिर महंत अवैधनाथ का, मठ ने कई बार गोरखपुर को उसका सांसद दिया है. 1991 से लेकर 2018 तक तो गोरखपुर की सियासत पर मठ का एकछत्र राज रहा है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस सीट से 6 बार लगातार सांसद चुने गए.
योगी के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी को यहां 27 साल के बाद हार का सामना करना पड़ा. वो भी उस समय जब देश और प्रदेश में बीजेपी अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रही थी. इस बार बीजेपी की हालात यहां चिंताजनक है क्योंकि योगी को इस बार महागठबंधन की ताकत से भिड़ना होगा.
यूपी में बसपा-सपा-रालोद गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं. गोरखपुर सीट गठबंधन में सपा के हिस्से में आई है. सपा पहले यहां से वर्तमान सांसद प्रवीण निषाद को टिकट देने वाली थी लेकिन प्रवीण चुनाव से ऐन वक्त पहले बीजेपी में शामिल हो गए. ऐसे में पार्टी ने रामभुआल निषाद को चुनावी समर में उतार दिया. शुरुआत में बीजेपी ने भी यहां से किसी निषाद चेहरे पर दांव लगाने का मन बनाया था लेकिन बाद में महागठबंधन से निषाद उम्मीदवार घोषित होने के बाद भोजपुरी अभिनेता रविकिशन को अपना उम्मीदवार बनाया.
उपचुनाव में सपा ने मुनियाद ( मुस्लिम, यादव, निषाद, दलित) गठजोड़ के सहारे योगी के किले (गोरखपुर) को ढहा दिया था. महागठबंधन इस चुनाव में भी उसी रणनीति पर काम कर रहा है और यादव, मुस्लिम, दलितों को अपने पक्ष में मानकर चल रही है. अगर यह समीकरण उपचुनाव की तरह साकार होता है तो चुनाव बहुत करीबी होगा. इस तरह बीजेपी को हार भी झेलनी पड़ सकती है. अब योगी आदित्यनाथ के लिए सपा का मुनियाद गठजोड़ उनकी पेशानी पर बल लाता दिखाई दे रहा है.
हालांकि योगी आदित्यनाथ ने निषाद मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद को बीजेपी में शामिल कराकर उन्हें संतकबीरनगर से प्रत्याशी बनाया है. संजय निषाद समाज के बड़े नेता माने जाते है और निषाद पार्टी (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. गोरखपुर में हुए उपचुनाव में प्रवीण निषाद ही सपा के उम्मीदवार थे जिन्होंने बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला को हराया था.
पूर्वांचल में ब्राह्मण और राजपूत की अदावत से सभी राजनीतिक जानकार वाकिफ हैं. यह अदावत बीजेपी के लिए गोरखपुर में बड़ी समस्या है. भोजपुरी अभिनेता रविकिशन ब्राह्मण जाति से आते है. अब क्या राजपूत उसी लामबंदी के साथ रविकिशन को वोट देंगे, यह देखने की बात होगी. हालांकि राजपूत अन्य सीटों पर बीजेपी के साथ खड़े हैं. हालांकि पूरी स्थिति 23 मई को ही साफ हो पाएगी.