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राजस्थान विधानसभा में राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी को लेकर हुए विवाद पर बोले उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनियां, कहा- यह सरकार की ढलान का वक्त है, यह पांचवा वर्ष है, चुनाव में सभी दल जाने वाले हैं, ऐसी दुर्दशा और दुर्गति किसी सत्ताधारी दल की इतिहास में आज तक नहीं देखी गई, बहुत कमजोर डिफेंस के साथ सत्ता पक्ष सदन में आता है और सदन के बाहर भी उनका यही आचरण होता है, यह बात सही है, कहा जाता है, एक चोरी छुपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं, उसी का नतीजा है, यह कांग्रेस पार्टी की सरकार जिसके पास पूरा बहुमत नहीं था, उन्होंने बसपा के जुगाड़ और निर्दलीय विधायक से जुगाड़ किया, बसपा के यह वही सदस्य है जो बाड़ाबंदी के समय इस सरकार के संकटमोचक बने, जो लाडले और प्यारे थे, बाड़ाबंदी के उस दौर में जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उस समय खड़ा था, वह यही राजेंद्र गुढ़ा था, गुढ़ा ने मंत्रिमंडल में रहते हुए कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा किया, आत्यकक्षेप सत्यता के निकट था, लेकिन मंत्री ने सरकार को आईना दिखाया, सच कहना बगावत है, कह दो कि मैं बागी हूं, इस अंदाज के साथ कहा और बर्खास्तगी के बाद जो कहा वह लाल डायरी से ताल्लुक रखता है, लाल डायरी में किस तरह थे, राज बाहर आए यह मांग विपक्ष की थी, जनता भी यह जानना चाहती थी कि आखिर उस लाल डायरी में क्या राज है, वह लाल डायरी क्या है, जिससे सरकार घबराई हुई है, मुख्यमंत्री घबराए हुए हैं, मुख्यमंत्री के सलाहकार घबराए हुए हैं, ऐसे में एक नैतिक जिम्मेदारी होती है, सदन की परंपरा होती है, सरकार का बर्खास्त किया हुआ मंत्री उसको सदन में अपने स्पष्टीकरण का अवसर दिया जाना चाहिए, यह एक लोकतांत्रिक परंपरा होती है, उन्होंने जब कोशिश की तो स्पीकर महोदय ने उन्हें अवसर नहीं दिया, हम यह जानना चाहते थे विपक्ष के नाते की आखिर यह लाल डायरी में ऐसा क्या करंट था कि पूरा सदन हिल गया, सत्ता पक्ष को हाथापाई की नौबत आ गई, लोकतांत्रिक तरीके से अपनी पार्टी के एक विधायक की आवाज को दबाने की कोशिश गई, यह सारा मसला राजस्थान की जनता ने लाइव देखा है, राजस्थान की सरकार ने एक पाप और किया है, वही इस मामले पर ट्वीट कर पूनियां ने कहा- आज बच्चन साहब की फ़िल्म डॉन याद आ गई, वहां भी खलनायकों के बीच “ लाल डायरी “ का ही झगड़ा था

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